Indian Paralympics History

Indian Paralympics History : सन् 1968- 2024 तक पैरालिंपिक में कैसा रहा भारत का प्रदर्शन की कहानी..

Paralympics 2024: निश्चित रूप से पेरिस में पैरा एथलीट द्वारा किए गए शनदार प्रदर्शन का असर अब बहुत ही दूरगामी होने जा रही है.. 

Indian Paralympics History

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2024 का ओलंपिक अभियान भारत के लिए मिला-जुला रहा था. जहां पदक के कुछ बड़े दावेदारों के हाथ सिर्फ़ निराशा ही हाथ लगी, वही मनु भाकर जैसे चेहरे एक ही ओलंपिक में दो पदक जीत कर सुपरस्टार बन गई. नीरज चोपड़ा ने सिल्वर मेडल जीता तो हॉकी टीम भी लगातार दूसरी बार मेडल लेकर घर आई, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद भारत के झोली में 1 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज के साथ कुल 6 मेडल ही अपने नाम कर पाई, वही मेडल टेली में भारत ने अपना 71वें स्थान पर रही. भारत ने टोक्यो ओलंपिक में 7 मेडल के अपने पिछले रिकॉर्ड को भी नहीं तोड़ पाई, लेकिन इसके बाद शुरू हुए पैरालिंपिक, पैरालिंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देकर अपने हौसले को फिर से बुलंद कर दिए हैं.

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साल 1968 में  तेल अवीव में खेला था अपना पहला पैरालिंपिक

भारत ने अपना पैरालंपिक 1968 में तेल अवीव में खेला था, जसमे भारत को निराशा हाथ लगी थी, इस पैरालिंपिक में भारत एक भी पदक जीत नहीं पाई थी.

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फ्रीस्टाइल स्विमिंग में मुरलिकंत पेटकर भारत के लिए पहला मेडल विजेता

साल 1972 में मिला था भारत को पहला पदक

इस बार न केवल टोक्यो ओलंपिक का रिकॉर्ड टूटा बल्कि 29 मेडल का एक ऐसा मानक भी सेट कर दिया गया जो अगले पैरालिंपिक खेलों में एक मानक की तरह काम करेगा. भारत का पैरालिंपिक में पदक हासिल करने का सफर 1972 में हीडलबर्ग से शुरू हुआ था. तब भारत को केवल एक ही पदक मिला था, लेकिन यह गोल्ड मेडल था. इस मेडल को मुरलीकांत पेटकर ने फ्रीस्टाइल स्विमिंग में मेडल जीतकर भारत के लिए पैरालिंपिक मेडल की शुरुआत की थी. फिल्म ‘चंदू चैंपियन’ इसी चैंपियन की जिंदगी के पर  आधारित है.

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1984 में न्यूयॉर्क पैरालंपिक

साल 1984 में न्यूयार्क में मिले चार पदक

इसके बाद सन् 1984 में न्यूयॉर्क में हुए पैरालिंपिक खेलों में भारत के मेडल की संख्या तो चार हुई, लेकिन गोल्ड मेडल नहीं आ सका था. 

साल 1988 में सेओउल् पैरालिंपिक में रहा खाली हाथ

साल 1988  सेओउल् (Seoul) पैरालंपिक में खेला था, जसमे भारत को निराशा हाथ लगी थी, इस पैरालिंपिक में भारत ने एक भी पदक अपने नाम नही कर पाई थी.

साल 1992 में बार्सेलोना पैरालिंपिक, साल 1996 अटलांटा पैरालिंपिक, साल 2000 में  सिडनी इन पैरालिंपिक में लगातर भारत को  निराशा हाथ लगी और एक भी पदक नहीं जीत पाई.

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2004 में एथेंस पैरालिंपिक पदक विजेता देवेन्द्र झाझड़िया और राजिंदर सिंह रहेलू

साल 2004 में एथेंस में दो पदक 

2004 में एथेंस में हुए पैरालिंपिक खेलों में भारत को फिर एक गोल्ड मेडल जीता और एक ब्रॉन्ज मेडल भी जीता. इस बार कुल दो पदक मिले पदक विजेता देवेन्द्र झाझड़िया और राजिंदर सिंह रहेलू.

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2012 में लंदन पैरालिंपिक पदक विजेता (गिरीशा होसानगर नागराजेगौड़ा)

साल 2012 में लंदन पैरालिंपिक में एक पदक

साल 2012 लंदन पैरालिंपिक में भारत को 1 ही सिल्वर मेडल जीता था. तब ही ओलंपिक में भारत ने 6 मेडल जीतकर अपना इतिहास रचा था.

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2016 में रियो पैरालिंपिक पदक विजेता

साल 2016 में रियो पैरालिंपिक में 4 पदक

इसके बाद 2016 के रियो पैरालिंपिक खेलों में भारत ने 2 गोल्ड और 1 सिल्वर व 1 ब्रॉन्ज मेडल समेत 4 पदक जीते. इस पैरालिंपिक खेलों में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. 

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2020 में टोक्यो पैरालिंपिक पदक विजेता

साल 2020 में टोक्यो पैरालिंपिक में आया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

इसके बाद आया वो ऐतिहासिक पल, टोक्यो पैरालिंपिक 2020 ने सब कुछ बदलकर रख दिया. भारत ने इन खेलों में 5 गोल्ड मेडल जीते. इसके साथ 9 सिल्वर और 13 ब्रॉन्ज मेडल ने देश को कुल मिलाकर 19 पदक अपने नाम किया. टोक्यो ओलंपिक ने यह विश्वास पक्का किया था कि भारत पैरालिंपिक खेलों में शनदार प्रदर्शन करके दिखा सकता है.

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2024 में पैरिस पैरालिंपिक पदक विजेता

अब 2024 पैरिस पैरालिंपिक ने स्थापित कर दिया नया मानक

अब पेरिस पैरालिंपिक ने इस भरोसे को न केवल मजबूत किया है, बल्कि आगे के लिए नई उड़ान की उम्मीद भी दे दी है. अब अपेक्षा और बढ़ चुकी हैं कि भारत पैरालिंपिक खेलों में अगली बड़ी ताकत के तौर पर भी उभर सकती है. पेरिस पैरालिंपिक 2024 खेलों में भारत ने 7 गोल्ड, 9 सिल्वर और 13 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं. कुल पदक की संख्या 29 रही और वही 18 वे स्थान पर रही.

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Note:

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By: KP

Edited  by: KP

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