भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप 2025 का मुकाबला जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, सोशल मीडिया पर इस मैच को ‘बॉयकॉट’ करने की मांग भी तेज होती जा रही है। रविवार को भी ‘बॉयकॉट IND vs PAK’ ट्रेंड करता रहा। भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच हमेशा से रोमांच और जोश का प्रतीक माना जाता रहा है। लेकिन जब-जब सीमा पर गोलियां चलती हैं, जवान शहीद होते हैं और देश खून के आँसू रोता है, तब जनता के दिल में सवाल उठता है – क्या ऐसे समय में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना सही है?
देश की जनता की आवाज़ साफ है – “सीमा पर शहीदों का खून सूखने से पहले बल्ला और गेंद की यह जंग कैसे खेली जा सकती है?“
गाँव से लेकर शहर तक, युवा से लेकर बुज़ुर्ग तक, हर भारतीय का दिल शहीदों के परिवार के दर्द को महसूस करता है। क्रिकेट का शोर भले ही कुछ घंटों का हो, लेकिन सीमा पर जवान का बलिदान जीवन भर गूंजता है।
लोग कहते हैं –
“जब रिश्ते खून से टूटे हों तो खेल के मैदान में दोस्ती की झूठी तस्वीर क्यों बनाई जाए?”
“देश पहले, मनोरंजन बाद में।”
“जिस देश से हमारी माताएँ बेटे खो रही हैं, उस देश के साथ खेल का मैदान साझा करना अपने शहीदों का अपमान है।“
जनता का गुस्सा और दर्द मिलकर यही संदेश देता है कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच यह भावनाओं का मुद्दा बन चुका है।
लोग चाहते हैं कि सरकार और क्रिकेट बोर्ड जनता की आवाज़ सुने और ऐसा फैसला ले जिससे शहीदों की आत्मा को सम्मान मिले।
भारत की जनता की यही पुकार है –
“हमें जीत या हार की खुशी नहीं चाहिए, हमें अपने शहीदों का सम्मान चाहिए।“हालांकि, एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह बहस अब केवल जनता तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसका असर भारतीय टीम के खिलाड़ियों तक भी पहुंच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सूर्यकुमार यादव, शुभमन गिल और टीम के अन्य युवा खिलाड़ी इन चर्चाओं से मानसिक रूप से प्रभावित हुए हैं और अंदर ही अंदर काफी परेशान महसूस कर रहे हैं।
भारत के कोच गंभीर से ली खिलाड़ियों ने मानसिक मजबूती की सलाह
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए खिलाड़ियों ने टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर और अन्य सपोर्ट स्टाफ से बातचीत की और इस स्थिति से निपटने के लिए मार्गदर्शन मांगा। भले ही इन खिलाड़ियों ने पहले भी पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेले हैं, लेकिन इस बार के हालात अलग हैं। मैदान के बाहर का माहौल खिलाड़ियों के लिए भी असामान्य और चुनौतीपूर्ण हो गया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया बदलाव, कप्तान-कोच नहीं पहुंचे
इस हाई-वोल्टेज मुकाबले से पहले आम तौर पर टीम के कोच या कप्तान प्रेस कॉन्फ्रेंस में आते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। टीम प्रबंधन ने सहायक कोच रेयान टेन डेशकाटे को मीडिया के सामने भेजा। इससे साफ जाहिर होता है कि ड्रेसिंग रूम में माहौल सामान्य नहीं है।
क्या भारतीय खिलाड़ी भावनाओं के साथ मैदान पर उतरेंगे?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब डेशकाटे से पूछा गया कि क्या खिलाड़ी मैदान पर अपनी भावनाएं लेकर उतरेंगे, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘हां, मुझे लगता है कि वे ऐसा करेंगे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे खिलाड़ी भारत की आम जनता की भावनाओं और संवेदनाओं को पूरी तरह समझते हैं और उन्हें महसूस करते हैं। एशिया कप लंबे समय तक अनिश्चितता की स्थिति में था। एक समय तो हमें लगा कि यह टूर्नामेंट होगा ही नहीं। लेकिन जैसा कि आप जानते हैं, सरकार की जो नीति है, वह हमारे सामने स्पष्ट है।’
जनता की भावनाओं को लेकर पूरी तरह जागरूक है टीम
डेशकाटे ने कहा, ‘हम लोग इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि लोगों की भावनाएं कितनी गहरी हैं। लेकिन साथ ही हम यह भी मानते हैं कि हमें इस सबको पीछे छोड़कर आगे बढ़ना होगा। हमारे खिलाड़ियों को एक बार फिर देश के लिए खेलने का मौका मिलेगा और वे पूरी तरह पेशेवर रवैया अपनाते हुए अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जितना इस परिस्थिति में मुमकिन हो सकेगा।’
भावना रहित होकर सिर्फ क्रिकेट पर ध्यान दो
डेशकाटे ने अंत में यह भी बताया कि मुख्य कोच गौतम गंभीर ने खिलाड़ियों को क्या संदेश दिया है। उन्होंने कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि लोगों की भावनाएं कितनी प्रबल हैं। गौतम गंभीर का संदेश पूरी तरह पेशेवर रहा है। उन्होंने खिलाड़ियों से कहा है कि जो बातें हमारे नियंत्रण में नहीं हैं, उन पर ध्यान न दें। खिलाड़ियों से कहा गया है कि जब क्रिकेट खेलने उतरें तो भावनाओं को एक तरफ रखकर पूरी तरह से खेल पर ध्यान दें। ये खिलाड़ी अब इतने अनुभवी हैं कि पेशेवर तरीके से सोच सकें। जरूर, हर खिलाड़ी की भावनाओं की तीव्रता अलग-अलग होती है, लेकिन टीम को यही समझाया गया है कि वे सिर्फ एक ही बात पर ध्यान दें, और वो है मैच।’