Youth Unemployment: भारत, जो एक युवा राष्ट्र है, उसकी ताकत उसके युवाओं में निहित है। देश की कुल जनसंख्या का लगभग 65% हिस्सा 35 वर्ष से कम उम्र का है। ऐसे में युवाओं का रोजगार से वंचित रहना न केवल एक सामाजिक समस्या है, बल्कि आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। यह स्थिति तब और अधिक गंभीर हो जाती है, जब बेरोजगारी के शिकार युवा अपने ऊर्जा और समय को उत्पादकता के बजाय धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों में व्यर्थ करते हैं।
भारत में बेरोजगारी की स्थिति
भारत में बेरोजगारी दर पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बेरोजगारी दर लगभग 7-8% के करीब रही। स्नातक और उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं की बड़ी संख्या भी रोजगार पाने में असमर्थ है।
मुख्य कारण : शिक्षा प्रणाली और रोजगार की मांग के बीच असंतुलन
- औद्योगिक विकास की धीमी गति
स्किल गैप - राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता
- धर्म और राजनीति की ओर झुकाव
जब युवा रोजगार के अभाव में अपने समय का सही उपयोग नहीं कर पाते, तो वे अकसर ऐसे संगठनों यानी ग्रुपों और गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं, जो धर्म और पहचान की राजनीति पर केंद्रित होते हैं।
धर्म रक्षा आंदोलन
बेरोजगार युवाओं को धर्म के नाम पर संगठित करना बहुत आसान होता है। धार्मिक संगठनों द्वारा युवाओं को यह विश्वास दिलाया जाता है कि उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान खतरे में है। वे बड़े पैमाने पर रैलियों, प्रदर्शन और यहां तक कि हिंसक गतिविधियों (Activities) में भी शामिल हो जाते हैं।
कुछ उदाहरण
कई राज्यों में हुए सांप्रदायिक दंगे: बेरोजगारी से ग्रस्त युवाओं का उपयोग धर्म के नाम पर दंगों और हिंसक गतिविधियों में किया गया है।
सोशल मीडिया पर धार्मिक प्रचार: बेरोजगार युवा अपनी निष्क्रियता (Inactivity) के कारण सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय रहते हैं और अक्सर धर्म से जुड़े कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित हो जाते हैं।
इसका प्रभाव
सामाजिक अस्थिरता: बेरोजगार युवा को धर्म के नाम पर उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होकर समाज में वैमनस्य और विभाजन बढ़ाते हैं।
आर्थिक हानि: उत्पादक श्रमबल के उपयोग न होने से देश की आर्थिक प्रगति प्रभावित होती है।
राजनीतिक दुरुपयोग: राजनीतिक दल अक्सर बेरोजगार युवाओं को अपनी विचारधारा के अनुसार इस्तेमाल करते हैं।
- इसका समाधान सिर्फ सरकार ही कर सकती है
- इसका समाधान सिर्फ रोजगार के अवसर सृजित करने से ही होगा।
- सरकार को औद्योगिक विकास और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। सिर्फ बड़े बड़े बैनर होडिंग पर या टीवी पर प्रचार करने से नहीं ओर ना ही भाषण देने से होगा ,इसका समाधान सिर्फ जमीन पर उतारने से होगा।
- युवाओं को कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करना।
- धार्मिक शिक्षा और सहिष्णुता को बढ़ावा देना
- स्कूल और कॉलेज स्तर पर धर्मनिरपेक्षता और सह-अस्तित्व की शिक्षा दी जाए।
धार्मिक संगठनों को अपने प्रचार में संयम बरतने के लिए प्रेरित करना। - युवाओं को रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करना कला, खेल और तकनीकी नवाचार में युवाओं को व्यस्त रखने के लिए राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करना।
इसका निष्कर्ष
भारत जैसे युवा प्रधान देश में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति सामाजिक और सांस्कृतिक विभाजन को बढ़ावा दे सकती है। युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ने की आवश्यकता है ताकि वे धर्म, जाति और राजनीति के नाम पर बांटे जाने के बजाय देश के निर्माण में योगदान दे सकें। युवाओं का सशक्तिकरण ही एक समृद्ध और एकजुट भारत का आधार हो सकता है।