टीनएज लड़कियों अपनी इमोशन और यौन इच्छाओं पर रखें कंट्रोल,: कोलकाता हाई कोर्ट की नसीहत, जानिए और क्या कहा?

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Kolkata High Court judgment on Love Affair :- पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एक केस में सुनवाई करते हुए कोलकाता हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. कोलकाता हाई कोर्ट ने 19 अक्टूबर 2023 को पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एक केस में सुनवाई के दौरान नसीहत देते हुए कहा कि नाबालिग लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं को काबू में रखना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि लड़कों को भी लड़कियों और महिलाओं का सम्मान करने की नसीहत परिवार को देनी चाहिए। कोलकाता हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले में यह एक अहम टिप्पणी की और लड़के को बरी कर दिया। इससे पहले निचली अदालत ने इस मामले में लड़के को दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी।

प्रेम प्रसंग से जुड़ा है मामला :-

दरअसल यह मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ है था। लड़की और लड़के के बीच प्रेम प्रसंग में आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बने थे। उस समय लड़की नाबालिग थी और इसके बाद 18 वर्ष की उम्र होने पर लड़की ने अपने प्रेमी से शादी कर ली। वहीं, निचली अदालत ने नाबालिग लड़की से यौन संबंध बनाने के आरोप में लड़के को दोषी मानते हुए सजा सुना दी। इसके बाद मामला कोलकाता हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट के जस्टिस चित्तरंजन दास और पार्थ सारथी सेन ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बने थे। इस कारण केवल लड़के को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। हाई कोर्ट ने इस मामले में रेप के आरोपी लड़के को बरी कर दिया।

यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखना चाहिए :-

कोलकाता हाई कोर्ट ने इस तरह के मामलो में पोक्सो एक्ट के इस्तेमाल पर भी चिंता जताई और सुझाव दिया कि 16 साल से अधिक किशोरों के बीच सहमति से यौन संबंध बनाने की स्थिति को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि किशोरों में सेक्स सामान्य है, लेकिन यौन इच्छा महिला व पुरुष के कुछ कार्यों पर निर्भर करती है। कोर्ट ने कहा, ‘नाबालिग लड़कियां दो मिनट के यौन सुख के आनंद के लिए तैयार हो जाती है, ज​बकि उनको अपनी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखना चाहिए और उनको अपनी गरिमा व आत्म सम्मान की रक्षा करनी चाहिए।’

घरों में सिखाएं महिलाओं का सम्मान कोर्ट :-

कोर्ट की तरफ से कहा गया, ‘टीनएज लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं को कंट्रोल करना चाहिए और जबकि लड़कों को लड़कियों के गरिमा वा आत्म-सम्मान की जानकारी देनी चाहिए.’; अदालत ने कहा, ‘युवा लड़की या महिला के इच्छा और अधिकारों का सम्मान करना पुरुषों का कर्तव्य है. परिवार को अपने बच्चों को महिलाओं के आत्म-समान, उसकी गरिमा और गोपनीयता का सम्मान करने की सीख देनी चाहिए क्योंकि पहली बार बच्चा घर में सबसे ज्यादा और सबसे पहले सीखता है.’

किशोरों (टीनएज) को दिए गए सुझाव :-

कोर्ट ने इस फैसले में कहा कि सेक्स या कामेच्छा के लिए जिम्मेदार हॉर्मोंस की व्याख्या करते हुए कहा कि संबंधित ग्रंथि उत्तेजना से सक्रिय (चालू) हो जाती है, तो यौन इच्छा जागृत होती है। लेकिन संबंधित ग्रंथि का सक्रिय (चालू) होना अपने आप नहीं होता। इसके लिए हम जो देखते हैं, सुनते हैं, कामुक सामग्री पढ़ते हैं वो सब भी जिम्मेदार होता है। कोर्ट ने कहा कि किशोरों में सेक्स सामान्य है लेकिन यौन इच्छा की उत्तेजना कुछ स्त्री पुरुष दोनों के कुछ कार्यों पर निर्भर करती है इसलिए यौन इच्छा बिल्कुल भी सामान्य और आदर्श नहीं है। इसी के साथ अदालत ने इस मुद्दे पर ‘कर्तव्य और दायित्व आधारित दृष्टिकोण’ का प्रस्ताव रखते हुए किशोर लड़के लड़कियों दोनों के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। इसी के साथ यौन शिक्षा को बढ़ावा देने और इसके लिए माता पिता के मार्गदर्शन की जरुरत भी बताई है।

Note:-

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By: KP

Edited by: KP

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