Sharda Sinha : बिहार की स्वर कोकिला कहे जाने बली.. “कौन थीं शारदा सिन्हा?”.. ! Who was Sharda Sinha? !
“शारदा सिन्हा एक ऐसी शख्सियत थी जिनका करिअर का उदय छठ पुजा के गाये गीतों से हुआ और इनका अंतिम सांस छठ पुजा के पावन दिनों में ही हुआ हैं, छठ पुजा के पहले दिन नहाय खाय के दिन.. “
शारदा सिन्हा अब नहीं रहीं हमरे बीच
लोकगायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात 09:20 पर दिल्ली के एम्स में 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. वह कई दिनों से बीमार थीं जिसके कारण 26 अक्टूबर 2024 को दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल भर्ती कराई गई थी, सोमवार रात 04 नम्बर 2024 से उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था. एम्स के एक अधिकारी ने बताया, ‘शारदा सिन्हा का सेप्टीसीमिया के कारण ‘रिफ्रैक्टरी शॉक’ के चलते मंगलबर 05 नम्बर 2024 रात 09: 20 मिनट पर उनका निधन हो गया.’
लोकगायिका शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमन सिन्हा ने अपनी एक पोस्ट में लिखा कि ‘आप सब की प्रार्थना और प्यार हमेशा मां के साथ रहेंगे. मां को छठी मईया ने अपने पास बुला लिया है. मां अब शारीरिक रूप में हम सब के बीच नहीं रहीं.’ इससे पहले, सोमवार रात को उन्होंने अपने एक वीडियो संदेश में कहा था कि इस बार उनकी मां काफी मुश्किलों में हैं. वह वेटिंलेटर सपोर्ट पर हैं. उन्हें दुआओं की जरूरत है.
मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित हैं थीं शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा वर्ष 2018 से मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित थीं। यह एक तरह ब्लड कैंसर होता है। उनकी तबीयत बिगड़ने पर 26 अक्टूबर 2024 को दिल्ली एम्स के कैंसर सेंटर में भर्ती किया गया था। तब उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा था।
सितंबर को शारदा सिन्हा के पति का हुआ था निधन
इसी साल 22 सितंबर 2024 को शारदा सिन्हा के पति ब्रजकिशोर सिन्हा का ब्रेन हेमरेज के कारण निधन हो गया था।
कौन थीं शारदा सिन्हा?
बिहार से ताल्लुक रखने वाली बिहार की स्वर कोकिला कहे जाने बली भारतीय लोक और शास्त्रीय गायिका थीं। शारदा सिन्हा जी का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को हुलास, राघोपुर, सुपौल जिला बिहार में हुआ था, बिहार से ताल्लुक रखने वाली, वह मुख्य रूप से मैथिली और भोजपुरी भाषा में गाती हैं थीं और उन्हें बिहार कोकिला कहा जाता है। शारदा सिन्हा ने “विवाह गीत”, “छठ गीत” जैसे कई क्षेत्रीय गीत गाए हैं। शारदा सिन्हा छठ के गीतों के लिए जानी जाती हैं। उनके गाए छठ गीत आज भी लोगों को बेहद पसंद हैं। शारदा सिन्हा के गायिकी की शुरुआत उनके भाई की शादी में गाए एक गीत से हुई थी। 1991 में, उन्हें संगीत में उनके योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार मिला। उन्हें 2018 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया ।
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शारदा सिन्हा का शिक्षा
शारदा सिन्हा ने बी.एड किया है। बी.एड. पूरा करने के बाद, उन्होंने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संगीत में पीएचडी करने का फैसला किया। इस उन्नत डिग्री ने उन्हें संगीत का गहराई से अध्ययन करने, इसके सिद्धांत, इतिहास और सांस्कृतिक महत्व की खोज करने का मौका दिया।
विश्वविद्यालय में शारदा सिन्हा ने लोक और शास्त्रीय संगीत दोनों के बारे में सीखा, जिससे उन्हें एक संगीतकार और शोधकर्ता के रूप में विकसित होने में मदद मिली। अपनी डिग्री के अलावा, शारदा सिन्हा ने मगध महिला कॉलेज, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और प्रयाग संगीत समिति से भी प्रशिक्षण लिया।
पुरस्कार
साल 1991 में शारदा सिन्हा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था और साल 2018 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था और साथ ही संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी सम्मानित किया गया था |
बच्चे
शारदा सिन्हा के दो बच्चे है जिनका अंशुमान सिन्हा और वंदना है |
शारदा सिन्हा के प्रमुख गायन व गीत
सिन्हा ने हिट फ़िल्म मैंने प्यार किया 1989 में “काहे तो से सजना”, फ़िल्म हम आपके है कौन में “बाबुल जो तुम सिखाया”, बॉलीवुड फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2 से “तार बिजली” और बॉलीवुड फिल्म चारफुटिया छोकरे से “कौन सी नगरिया” गाना भी गाया ।
छठ पूजा गीत
सुपावो ना मिले माई और पहिले पहिल छठी मैया जैसे बोल वाले गीतों में शारदा सिन्हा लोगों से छठ के दौरान बिहार आने का आग्रह कर रही हैं। त्योहार के दौरान बजाए जाने वाले अन्य छठ गीतों में केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झाके झुके, हे छठी मईया, हो दीनानाथ, बहंगी लचकत जाए, रोजे रोजे उगेला, सुना छठी माई, जोड़े जोड़े सुपावा और पटना के घाट पर शामिल हैं । हालांकि ये गाने पुराने हैं, फिर भी प्रासंगिक हैं और भक्त इन्हें हर साल सुनते हैं, जैसे कि छठ पुजा शारदा सिन्हा के गये गीतों के बिना छठ पर्व अधुरा सा लगता हैं। शारदा सिन्हा जी का अंतिम गीत है जो हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद रिलीज़ हुआ है बोल इस प्रकार है…. दुखवा मिटाईं छठी मईया.. रउए आसरा हमार..
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By: KP
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