आजकल भारत में जिस तरह प्यार, शादी और रिश्तों से जुड़ी घटनाएं सामने आ रही हैं, उन्हें देखकर दिल दहल उठता है। प्यार जो कभी भरोसे और त्याग का नाम था, आजकल शक, धोखा और हत्या की वजह बनता जा रहा है। एक समय था जब समाज में शादी को सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता था , लेकिन आजकल कई रिश्ते कोर्ट-कचहरी और कब्रिस्तान और शमशान में खत्म हो रहे हैं।
❖ ताजा उदाहरण: इंदौर के राजा रघुवंशी की हत्या
अभी हाल ही में मेघालय में हुए राजा रघुवंशी हत्याकांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इंदौर के रहने वाले राजा रघुवंशी अपनी पत्नी सोनम के साथ हनीमून पर गए थे। लेकिन मेघालय पुलिस के अनुसार वहां सोनम ने ही उसे भाड़े के हत्यारों से मरवा दिया। पुलिस जांच में पता चला कि सोनम पहले से ही अपने प्रेमी के साथ साजिश रच चुकी थी। ये घटना केवल एक उदाहरण नहीं, बल्कि आज के समाज की मानसिकता को दिखाने वाली एक खौफनाक तस्वीर है।
❖ क्यों हो रहे हैं शादी और प्यार में कत्ल?
शक और विश्वास की कमी:
सोशल मीडिया और मोबाइल के जमाने में शक की दीवारें रिश्तों को खोखला कर रही हैं। हर मैसेज पर झगड़ा, हर फोन कॉल पर सवाल।
स्वार्थ और धोखा:
अब कई बार लोग प्यार या शादी का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं—जैसे संपत्ति, पैसे या विदेश जाने के लिए।
लव ट्रायंगल और एक्स अफेयर:
पुराना रिश्ता खत्म हुए बिना नया शुरू कर देना, और जब बात खुलती है तो मामला खतरनाक मोड़ पर चला जाता है।
अहंकार और ईगो:
“मुझे ठुकराया तो तुझे जीने नहीं दूंगा“ वाली मानसिकता युवाओं में बढ़ती जा रही है। रिश्तों में सहनशक्ति कम होती जा रही है।
❖ अन्य चर्चित घटनाएं:
श्रद्धा हत्याकांड (दिल्ली): आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर 35 टुकड़ों में काटा, और फिर फ्रिज में छिपाकर कई दिन तक सबूत मिटाता रहा।
साक्षी हत्याकांड (दिल्ली): साक्षी को सरेआम चाकुओं से गोदकर मार दिया गया, क्योंकि वह आरोपी से रिश्ता खत्म करना चाहती थी।
बुलंदशहर हत्याकांड: प्रेमिका ने पति के साथ मिलकर अपने प्रेमी की हत्या करवा दी।
❖ सोशल मीडिया की भूमिका:
आजकल रिलेशनशिप फेसबुक और इंस्टाग्राम पर शुरू होते हैं, और वहीं खत्म भी हो जाते हैं। दिखावे का प्यार, स्टोरी वाली मोहब्बत और फॉलोवर बढ़ाने वाले रिश्ते जल्द ही कड़वाहट में बदल जाते हैं। कई बार सोशल मीडिया पर ब्रेकअप या ब्लॉक कर देने पर भी लोग इतने गुस्से में आ जाते हैं कि हत्या तक कर बैठते हैं।
❖ समाधान क्या है?
खुलकर बातचीत: शक हो या नाराजगी, बात करके हल निकले न कि हत्या या आत्महत्या।
समाज और परिवार की भागीदारी: रिश्तों में माता-पिता, दोस्त और काउंसलर की राय जरूरी है।
कानूनी और मानसिक मदद: रिलेशनशिप वॉयलेंस या डिप्रेशन जैसी स्थिति में मदद लेना कोई शर्म की बात नहीं।
युवा पीढ़ी को समझाना: प्यार का मतलब केवल रोमांस नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी, समझदारी और भरोसा भी है।
भारत में बदलती सोच, तेज़ भागती ज़िंदगी और सोशल मीडिया की चमक-धमक के बीच रिश्तों की नींव कमजोर होती जा रही है। प्यार अब वो त्याग नहीं रहा, जो कभी मीरा ने किया था। ये एक खतरनाक मोड़ है जहां मोहब्बत के नाम पर खून बह रहा है। समय है संभलने का—वरना रिश्ते नहीं, रिश्तों से जुड़ी ज़िंदगियाँ खत्म होती रहेंगी।