77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा- सभी देशवासी उत्साह के साथ अमृत महोत्सव मना रहे हैं। यह दिन हम सब के लिए गौरवपूर्ण और पावन है। चारों ओर उत्सव का वातावरण देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।
राष्ट्रपति मुर्मू बोलीं : हमारा संविधान मार्गदर्शक दस्तावेज:चंद्रयान का विक्रम जल्द ही चंद्रमा पर लैंड करेगा, हमें इससे और आगे जाना है

राष्ट्रपति बोलीं :स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है।

जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा, हमारी अपने परिवार और कार्य-क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है। लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है, और हमारी वह पहचान है, भारत का नागरिक होना।

औपनिवेशिक शासन ने इसे खत्म करने की कोशिश की थी। 15 अगस्त 1947 को हम आजाद हुए। हमारा स्वाधीनता आंदोलन अद्भुत था। महान सभ्यता के मूल्यों को जन-जन में ले गए। हमारे स्वाधीनता संग्राम के मूल्यों सत्य-अहिंसा को पूरी दुनिया में अपनाया गया है।

गांधीजी तथा अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया और हमारी महान सभ्यता के मूल्यों का जन-जन में संचार किया।

मुर्मू ने अपना बचपन याद किया 

सभी लोग स्वतंत्रता दिवस को उत्साह के साथ मनाने की तैयारी कर रहे हैं। ये मुझे बचपन की याद भी दिला रहा है। जब तिरंगा फहराया जाता था तो लगता था कि शरीर में बिजली कौंध गई हो। मिठाई बांटी जाती थी। ये सब उत्साह से भर देता था। स्वतंत्रता दिवस हमें ये याद दिलाता है कि हम व्यक्ति नहीं हैं, हम विश्व के सबसे बड़े नागरिक समुदाय हैं।

बेटियां साहस के साथ आगे बढ़ें

मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूं कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें। मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ, हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें।

आज महिलाएं हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं और देश का गौरव बढ़ा रही हैं। मुझे प्रसन्नता होती है कि महिलाओं की आर्थिक सशक्तीकरण पर ध्यान रखा जा रहा है।

दुनिया में मानवीय मूल्यों का निर्माण कर रहे
आज हम देख रहे हैं कि भारत ने विश्व पर यथोचित स्थान बनाया है। अपनी यात्राओं के दौरान मैंने नए गौरव का भाव देखा है। भारत दुनिया में मानवीय मूल्यों को स्थापित करने में अग्रणी योगदान दे रहा है।

भारत, पूरी दुनिया में, विकास के लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। G20 समूह दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारे लिए वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का यह एक अद्वितीय अवसर है।

राष्ट्रपति मुर्मू बोलीं- हमारा संविधान मार्गदर्शक दस्तावेज:चंद्रयान का विक्रम जल्द ही चंद्रमा पर लैंड करेगा, हमें इससे और आगे जाना है।

 

भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर
देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली GDP ग्रोथ भी दर्ज की है। देश सभी मोर्चों पर प्रगति कर रहा है। विश्व की कई अर्थव्यवस्थाएं खराब दौर से गुजर रही हैं।

हमारी सरकार कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम रही है। मुद्रास्फीति चिंता का विषय है, लेकिन हमारी सरकार ने इसके लिए भी प्रभावी कदम उठाए हैं।

भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए अग्रसर है। जरूरतमंदों की सहायता के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं। पिछले दशक में लोगों का गरीबी से निकलना संभव हो पाया है।

विश्व को हमने लाइफ फॉर एन्वायरमेंट का मंत्र दिया
जिस बात पर सबको ध्यान देना चाहिए- जलवायु परिवर्तन। बीते सालों में कहीं बहुत बारिश हुई तो कहीं सूखे का सामना करना पड़ा। ये सब ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण हुआ। भारत ने इस पर भी काफी काम किया है। विश्व को हमने लाइफ फॉर एन्वायरमेंट का मंत्र दिया है।

लोभ की प्रकृति हमें प्रकृति से दूर करती है। कई जनजाति समुदाय आज भी प्रकृति से गहरे जुड़े हैं। जनजातीय समुदाय के प्रकृति से संबंध और अपना अस्तित्व बनाए रखने को एक शब्द में समझाया जा सकता है- हमदर्दी। महिलाएं हमदर्दी ज्यादा गहराई से महसूस करती हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भोपाल में कहा, ‘आज 140 करोड़ देशवासियों का मेरा परिवार है। सभी भाषाएं और बोलियां मेरी अपनी हैं। हमारी परंपरा में ‘यत्र विश्वम् भत्येकनीडम्’ (जहां सारा विश्व चिड़ियों का एक घोंसला बनके रहे ) की भावना प्राचीनकाल से है। राष्ट्रप्रेम और विश्व बंधुत्व के आदर्श का संगम हमारे देश में दिखाई देता रहता है।

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