AVN News Desk : लोकसभा चुनाव के बीच में देश में मुसलमानों की आबादी में बढ़ोतरी और हिंदुओं की आबादी में गिरावट को लेकर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी की प्रतिक्रिया सामने आई है. वही उन्होंने कहा है कि सारा डाटा इंटरनेट पर मौजूद है, ये कोई नया सर्वे नहीं है. जब इलेक्शन हो रहा है तो उसको जानबूझकर हिंदू-मुस्लिम करने के लिए इस डाटा को पब्लिक किया गया है. वही सच्चाई तो यह है कि 1992 में सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर एक औरत एवरेज 4.4 बच्चे पैदा करती थी. 2015 में जो घटकर 2.6 हो गया था.
वही उन्होंने कहा है कि हिंदू औरत 1992 में एवरेज 3.3 बच्चे पैदा करती थीं, जो 2015 में घटकर 2.1 हो गई है. यानि कि 0.5 प्रतिशत का फर्क है. वही यह मसला हिंदू मुसलमान का है ही नहीं. यह पूरे देश में एक सर्वे करा लीजिए, गरीब लोगों के ज्यादा बच्चे होते हैं. जो बाद में पढ़-लिख जाते हैं, उनके बच्चों की संख्या कम हो जाती है इसलिए यह हिंदू-मुस्लिम की समस्या ही नहीं है.
‘जनसंख्या नियंत्रण पर कानून क्यों नहीं लेकर आए पीएम नरेंद्र मोदी’
उन्होंने कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी को अगर जनसंख्या वृद्धि की इतनी ही चिंता थी तो 10 साल से वह सत्ता में हैं, उन्होंने इसको लेकर कोई कानून क्यों नहीं बनाया है, क्योंकि, हर चुनाव में उन्हें इसे मुद्दा बनाना है.
पुंछ आतंकी हमले और सैम पित्रोदा पर क्या बोले कांग्रेस नेता राशिद अल्वी?
वही जम्मू-कश्मीर के पुंछ में हुए आतंकी हमले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान से हमलावर आए, हमारे एक जवान शहीद हुए हैं, उसके लिए कौन जिम्मेदार है. वहीं, सैम पित्रोदा को लेकर उन्होंने कहा है कि पार्टी ने उनका इस्तीफा ले लिया है और मंजूर भी कर लिया है. उनके बयान से कांग्रेस पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है.
लोकसभा चुनाव में हिंदू-मुस्लिम आबादी पर अब बहस क्यों?
आप को बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद की ओर से जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि 1950 से 2015 के बीच भारत में हिंदुओं की आबादी 7.82 फीसदी कम हुई है. वहीं, मुसलमानों की आबादी में 43.15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. और रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया गया है कि भारत के पड़ोसी हिंदू बहुल देश नेपाल में भी हिंदुओं की जनसंख्या में कमी देखने को मिली है.