AVN News Desk Patna Bihar: बिहार में आप अभी भले ही नहीं मानें, लेकिन जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव में वोटिंग की तारीख नजदीक आती जाएगी- यह मानना ही पड़ेगा कि बिहार की सबसे हॉट और पॉपुलर सीट हाजीपुर है। वजह है सिर्फ दो चाचा और दो भतीजे , यह भी लिखने लायक बात है।

बिहार में दो चाचा बहुत चर्चित हैं। एक पूर्वडिप्टी सीएम तेजस्वी यादव वाले, यानी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। दूसरे है चिराग पासवान वाले, यानी अबतक केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस। इन दोनों चाचा और दोनों भतीजों के कारण ही बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट मतदान तक ऐसी हॉट सीट बन जाएगी कि आप पूछिए ही मत, चाचा पशुपति पारस अभी भतीजे चिराग पासवान से ताजा – ताज़ा चोट खाकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर हुए है और महागठबंधन में अपनी जगह तलाश रहे हैं। दूसरे चाचा नीतीश कुमार हैं, जिनपर पिछले डेढ़ महीने से तेजस्वी यादव खूब भड़के हुए हैं। लेकिन, नीतीश कुमार का हाजीपुर सीट से सीधा रिश्ता इसलिए बन रहा है, क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बिहार की तीसरी नंबर की पार्टी बनाने में चिराग पासवान का अहम योगदान था। अब असल खेला यहीं होगा- हाजीपुर में। हाजीपुर में जिद ठानकर चिराग पासवान उतर तो जाएंगे, लेकिन उन्हें अपने चाचा पशुपति पारस से लोकसभा चुनाव में लड़न के लिए पराये चाचा नीतीश कुमार का साथ तो लेना ही होगा। वरना वो जितना पक्का मानकर चल रहे थे, उतना ही कच्चा रहेगा सबकुछ।

बिहार
बिहार सीएम नीतीश कुमार और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव

बिहार में बेहतर रास्ता बीजेपी ने बताया अंदर-अंदर

बीजेपी की ओर से जब सीट बंटवारे की घोषणा की जा रही थी, तभी अंदर-अंदर संदेश दे दिया गया था कि लोक जनशक्ति पार्टी एक रहे। बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने घोषणा की थी कि लोक जनशक्ति पार्टी को पांच सीटें दी जा रही हैं। इस घोषणा के जरिए उन्होंने साफ किया है कि 2019 में लोजपा साथ थी, आज भी लोजपा के लिए ही बीजेपी सीट छोड़ रही है। उस घोषणा के समय अगर चिराग पासवान का नाम ले लिया जाता तो शायद आज बात अलग भी हो सकती थी। मतलब, बीजेपी ने एक तरह से पशुपति पारस और चिराग पासवान को साथ आने का अंतिम अवसर भी दे दिया था। ऐसे में घर की लड़ाई घर में रखते हुए चिराग पासवान और पशुपति पारस साथ आ जाएं तो भी दिवंगत रामविलास पासवान के परिवार के तीनों सदस्यों बेटे चिराग पासवान, भाई पशुपति कुमार पारस और भतीजे प्रिंस राज का टिकट भी पक्का रहेगा और बाहरी दुश्मनों से भी मिलकर लड़ाई लड़ी जा सकेगी। फैसला, वैसे अब पशुपति पारस को करना है। क्योंकि, बीजेपी ने चिराग पासवान को जहां पांच सीटें पहले बताकर अब दे दी हैं, वहीं पशुपति पारस खुद कह चुके हैं कि उनकी सीट बंटवारे पर बीजेपी या किसी से कोई बात ही नहीं हुई थी। अगर पशुपति पारस ने जिद नहीं छोड़ी तो उन्हें सब कुछ छोड़कर सामने महागठबंधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हुंकार भरने का अंतिम फैसला भी करना होगा।

अगर अब भी अड़े रहे तो दोनों का नुकसान

वैसे भी “पशुपति पारस पर महागठबंधन की नजर पहले से ही है। वैसे भी जब परिवार के दो लड़ते हैं तो बाहर का कोई ना कोई फायदा उठाता ही है। इसी फायदे के इंतजार में अभी तक महागठबंधन का सीट बंटवारा रुका हुआ है। अब अगर पशुपति पारस हाजीपुर में चिराग पासवान के सामने खड़े हो जाते हैं तो निश्चित तौर पर राष्ट्रीय जनता दल अपनी पूरी ताकत इस सीट पर लगाएगा। हाजीपुर लोकसभा सीट का एक बड़ा हिस्सा यादव बहुल है और अगर पशुपति पारस को महागठबंधन ने यहां उतार दिया तो अपनी जाति के वोटरों के साथ उन्हें यादवों का भी वोट मिलेगा। इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी-राजद गठजोड़ के कारण मुसलमानों का भी वोट मिल सकता है। ऐसे में चिराग पासवान को अपनी मेहनत, दिवंगत पिता रामविलास पासवान के बनाए आधार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर अपने पक्ष में परिस्थितियां बनानी ही होंगी।” मतलब यह है कि, कुल मिलाकर मुकाबला बेहद ही रोचक हो जाएगा। कोई भी जीत की गारंटी दे सके, यह स्थिति बिलकुल नहीं होगी। इसलिए ही, राजनीतिक प्रेक्षक यह भी मानते हैं कि बीजेपी 40 की 40 सीटों को पक्का करने के लिहाज से अंतिम समय तक पशुपति पारस को नहीं छोड़ना चाहती थी.

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