लोकसभा में सोमवार (7 अगस्त) को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 पास हो गया है। केंद्रीय IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार (3 अगस्त) को इस बिल को लोकसभा में पेश किया था।
यह कानून लागू होने के बाद लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिल जाएगा। कंपनियों को यह बताना होगा कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और डेटा का क्या इस्तेमाल कर रही हैं।

विधेयक में इसके प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर न्यूनतम 50 करोड़ रुपए से लेकर अधिकतम 250 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का व्यवस्था रखा गया है। पुराने बिल में यह 500 करोड़ रुपए तक था।

डिजिटल पर्सनल डेटा क्या होता है?

डिजिटल पर्सनल डेटा को हम एक उदाहरण से समझते हैं। जब आप अपने मोबाइल में किसी कंपनी का ऐप इंस्टॉल करते हैं तो वह आपसे कई प्रकार की परमिशन मांगता है, जिसमें कैमरा, गैलरी, कॉन्टैक्ट, GPS जैसी अन्य चीजों का एक्सेस शामिल होता है। इसके बाद वह ऐप आपके डेटा को अपने हिसाब से देख सकता है।

कई बार तो ये ऐप आपके निजी डेटा को अपने सर्वर पर अपलोड कर लेते हैं और उसके बाद अन्य कंपनियों को बेच भी देते हैं। अभी तक हम ऐप से यह जानकारी नहीं ले पाते हैं कि वह हमारा कौन सा डेटा ले रहे हैं और उसका क्या यूज कर रहे हैं। यह बिल इसी तरह के डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए लाया गया है।
एक महीने पहले केंद्रीय कैबिनेट ने बिल को दी थी मंजूरी
केंद्रीय कैबिनेट ने एक महीने पहले 5 जुलाई को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के ड्राफ्ट को मंजूरी दी थी।

विवाद की स्थिति में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड करेगा फैसला
विवाद की स्थिति में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा। नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो धीरे-धीरे विकसित होंगी।

ड्राफ्ट में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का डेटा शामिल हैं, जिसे बाद में डिजिटाइज किया गया हो।

अगर विदेश से भारतीयों की प्रोफाइलिंग की जा रही है या गुड्स और सर्विस दी जा रही हों तो यह उस पर भी लागू होगा। इस बिल के तहत पर्सनल डेटा तभी प्रोसेस हो सकता है, जब इसके लिए सहमति दी गई हो।

अभी देश में ऐसा कानून नहीं
भारत में ऐसा कोई कानून फिलहाल नहीं है। मोबाइल और इंटरनेट के चलन के बाद से निजिता की सुरक्षा की जरूरत थी। कई देशों में लोगों के डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सख्त कानून तैयार किए जा चुके हैं।

पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि सरकार संसद के मानसून सत्र में डेटा प्रोटेक्शन बिल और दूरसंचार बिल पारित कर सकती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर चिंता जाहिर की थी।

इस दौरान अप्रैल 2023 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एक नया डेटा संरक्षण विधेयक तैयार है और जुलाई में संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा।

फिलहाल सख्त कानून न होने की वजह से डेटा कलेक्ट करने वाली कंपनियां इसका कई दफा फायदा उठाती हैं। बैंक, क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेंश से जुड़ी जानकारियों के आए दिन लीक हो जाने की खबरें आती रहती हैं। ऐसे में लोग अपने डेटा की प्राइवेसी को लेकर डाउट में रहते हैं।

डेटा के प्रति जवाबदेही तय करना इस बिल का उद्देश्य
इस विधेयक का उद्देश्य कंपनियों, मोबाइल ऐप और बिजनेस फैमिली सहित अन्य को यूजर्स के डेटा को इकट्ठा करने, स्टोर करने और यूज करने के लिए जवाबदेह बनाना है। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, जिसके बाद डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर काम शुरू हुआ था।

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