Vegetable Inflation : सब्जियों के दाम बीते दो हफ्ते में आसमान छूने लगे हैं. सब्जियों की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. वही सब्जी के बढ़ते दामों (Vegetable Inflation) ने आम आदमी का रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. वही हर साल बारिश के दिनों में सब्जियों की कीमतें आसमान छूने लग जाती हैं. इस बार भी सब्जियों के दाम बढ़ गई हैं. वही कीमतें बढ़ने के पीछे उत्पादन में कमी भी है, और परिवहन की समुचित व्यवस्था का अभाव है या फिर जमाखोरी भी इसका मुख्य कारण है?

भीषण गर्मी से भले ही लोगों को थोड़ी राहत मिली हो, लेकिन सब्जियों का बाजार अब खूब तपने लगा है. वही कीमतों को लेकर टमाटर भी अपनी लाल आंख दिखा रहा हैं… तो सब्जियों का राजा आलू भी आसमान छूते दामों के साथ आम लोगों को खूब आंखें दिखा रहा है. वही भिंडी और लौकी यानी घीया के दामों में भी जबरदस्त उछाल है. वही आम लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है. वही इससे पहले से ही राशन का सामान खूब महंगा है, अब सब्जी भी बारिश में आम आदमी का खूब पसीना छुड़ा रही है.

वही एक सब्जी खरीदार ने कहा है कि, ”सब्जी का तो पूछो ही मत, पूरी मंडी में आग लग गई है. जो लहसुन मैं लेता था 100-150 रुपये, आज 250-300 सौ रुपये ले रहा हूं. वही अदरक दो-ढाई सौ रुपये किलो है.”

बाजार में सब्जियां खरीद रही एक महिला ने कहा है कि, ”बहुत महंगी हो गई हैं सब्जी, 2000 रुपये लेकर आओ तो पता ही नहीं चलते..टमाटर, आलू, प्याज से लेकर हर चीज महंगी हुई है.”

सब्जियों पर अब दोहरी मार

आम आदमी सब्जियों की कीमतों से परेशान हैं, तो सब्जियां भी भारी बारिश के साथ दोहरी मार झेल रही हैं. वही एक तरफ सप्लाई का संकट है तो दूसरी ओर प्याज और टमाटर समेत कई सब्जियों के बारिश के मौसम में खराब होने का खतरा मंडरा रहा है. वही इसका सीधा असर इनके दामों पर खूब हो रहा है.

वही दो हफ्ते पहले के मुकाबले सब्जियां दोगुनी महंगी हो गई हैं. वही अब टमाटर 80 रुपये किलो तक, आलू 40 रुपये किलो, प्याज 50 रुपये किलो तक, लौकी 50 रुपये किलो तक, भिंडी 60 रुपये किलो तक बिक रही है. अब 60 रुपये तक पहुंचा करेला मुंह को और अधिक कड़वा कर रहा है.

दो हफ्ते पहले के मुकाबले मौजूदा दाम

पहले अब टमाटर 30-35 रूपये प्रति किलो 70-80

आलू 15-20 35-40
प्याज. 25-30 40
लौकी 30 50
भिंडी 20-25 60
करेला 35 60

एक आलू- प्याज विक्रेता ने कहा है कि, ”आलू के दाम में आधे का फर्क है. वही पहले 10-15 रुपये था, आज के समय में 35-40 रुपये है.”

सब्जियों

एक टमाटर विक्रेता ने कहा है कि, ”टमाटर 70 रुपये किलो चल रहा है. टमाटर ज्यादा गर्मी पड़ने से सड़ गया. अब जो टमाटर मार्किट में आ रहा है, उसका भाड़ा, टैक्स लग रहा है. वही माल भी कम आ रहा है. पहले 10 गाड़ियां आती थीं, अब दो गाड़ियां ही आ रही हैं. तो फिर इससे फर्क तो पड़ेगा ही. यही कारण है कि महंगाई बढ़ती जा रही है. जब माल ज्यादा आएगा तो अपने आप ही सस्ता हो जाएगा.”

ऑपरेशन ग्रीन योजना प्रभावी नहीं

वही हर साल इस मौसम में सब्जियां महंगी हो ही जाती हैं, तो क्या इसके लिए पहले से कोई भी तैयारी नहीं की जा सकती? इस बारे में कृषि अर्थशास्त्री राकेश सिंह ने कहा है कि, ”सब्जियों में खास तौर पर टमाटर, आलू और प्याज के लिए सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन योजना भी शुरू की. वही उसका मकसद यही था कि दाम में उतार-चढ़ाव कम हो, लेकिन अभी उसका पूरा असर दिख ही नहीं रहा है. निश्चित रूप से हमारा जो ट्रांसपोर्टेशन है और बाकी जो स्टोरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर है उसको और सुदृढ़ यानी मज़बूत करने की जरूरत है. वही अब हम क्लाइमेट चेंज और इन्फ्लुएंस इनफ्लेशन भी अब कहने लगे हैं. वही सब्जियों के उत्पादन और दाम पर जलवायु परिवर्तन का भी बहुत असर पड़ रहा है.”

उन्होंने कहा है कि, ”अत्यधिक गर्मी और अत्यधिक बारिश की वजह से खूब प्रभाव पड़ता है. हालांकि जो पूरी सप्लाई चेन है उसमें कहीं न कहीं इनएफिसिएंशी भी ज्यादा है. जो भी दाम बढ़ रहे हैं, इसका पूरा लाभ हमारे किसानों को नहीं मिल रहा है. इसका मतलब यह है कि अभी भी जो बीच में लोग काम रह हैं, वे भी रोल प्ले कर रहे हैं. वही क्षमता की कमी को दूर करना चाहिए.”

सब्जियों की आपूर्ति व्यवस्था कमजोर

वही राकेश सिंह ने कहा है कि, ”जैसे ही सरकार ने नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट शुरू किया था. और उसका भी पूरा प्रभाव अभी सामने नहीं आया है. तो सब्जी के क्षेत्र में सप्लाई चेन इनएफिशिएंसी को कम करने की जरूरत है.”

उन्होंने कहा है कि, ”सब्जियों के दाम बढ़ने के पीछे 30 प्रतिशत कारण उत्पादन में कमी है. वही इसके बाद 70 प्रतिशत कारण सप्लाई चेन में इनएफिशिएंशी ही है.”

राकेश सिंह ने कहा है कि, ”ट्रांसपोर्ट की दिक्कतें तो हैं ही, इसके अलावा दामों में मुख्य रोल सब्ज़ी विक्रेता अदा कर रहे हैं. वह दामों को बहुत ज्यादा बढ़ा रहा है. डिमांड और सप्लाई से जितनी महंगाई नहीं बढ़ रही है, उससे ज्यादा वह महंगाई को बढ़ा रहे हैं.”

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