One country one election: एक देश एक चुनाव को लेकर मोदी सरकार संसद में बिल लाने की तैयारी में है. वही सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आई है . सरकार के सूत्रों के मुताबिक सरकार तीन संसद में बिल लाएगी, जिसमें दो संविधान संशोधन बिल होगा. हालांकि, ये अभी तय नहीं हुआ है कि ये बिल सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में लाएगी या बजट के सत्र में. मगर इसको लेकर जल्द ही केंद्र सरकार के स्तर पर फैसला लिया जाएगा.
गौरतलब यह है कि मोदी कैबिनेट ने एक देश एक चुनाव पर बनी रामनाथ कोविंद समिति की सिफ़ारिशों को स्वीकार कर लिया था. और समिति की रिपोर्ट में दो चरणों में चुनाव की सिफ़ारिश की गई है. वही पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव कराने की सिफारिश समिति ने की है. वही दूसरे चरण में स्थानीय निकाय के चुनावों को कराए जाने की सिफ़ारिश की गई है.
आप को बता दें कि वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार करने के लिए मोदी सरकार ने पिछले साल सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने इस साल मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में ये प्रस्ताव दिया गया था.
1. सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए.
2. अगर बहुमत नहीं मिलता है और अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है तो बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से फिर से चुनाव कराए जा सकते हैं.
3. पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं.
4. 100 दिनों के भीतर दूसरा फेज होगा, जिसमें शहरी और ग्रामीण निकाय चुनाव कराए जाएंगे.
5. सभी चुनावों के लिए कॉमन इलेक्टोरल रोल तैयार किय़ा जाएगा.
6. एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की भी सिफारिश की गई है.
एक देश एक चुनाव को लागू करने में चुनौतियां
मोदी 3.0 के 100 दिन पूरे हुए है तो सरकार का अब तूफानी स्टैंड आ गया है. अब वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर सरकार की कोशिशें अपनी जगह हैं और विपक्ष के सवाल अपनी जगह है. इसमें कोई भी शक नहीं है कि वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने में चुनौतियां काफी हैं, लेकिन ऐसी कोई भी चुनौती नहीं जिसे देश के फायदे के लिए मात नहीं दी जा सके.
62 सियासी दलों से ली गई है राय
समिति ने एक देश-एक चुनाव पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए 62 सियासी दलों से राय ली गई थी. इन राजनीतिक दलों में से 32 ने समर्थन, 15 ने विरोध और 15 ने इस पर अभी जवाब देने से इनकार कर दिया था. जेडीयू ने जहां बिल का समर्थन किया है, तो वहीं चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने मामले में अपनी राय अभी नहीं दी है. इतना ही नहीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इसका समर्थन किया है.