न्यू दिल्ली भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) : के थिंक टैंक या यू बोले बीजेपी के मौजूदा समय के कर्ताधर्ता का मिथिलांचल आना बहुत मायने रखता है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटने के बाद देश का गृह मंत्री बनने के बावजूद संगठन अमित शाह के हिसाब से ही चलता है, यह सभी को पता चलता है और कई मौकों पर देखा भी जाता है। सनातन धर्म और भारत-इंडिया को लेकर विवादों के बीच मिथिलांचल में अमित शाह का आना कई इशारे कर रहा है। मौका भी है और दस्तूर भी या आप सीधा – सीधा कहे कि कुछ इस अंदाज में आ रहे हैं।
वो आएंगे तो सनातन से लेकर भारत/इंडिया तक की बातें होंगी, लेकिन यह भी तय है कि अमीत शाह का लक्ष्य लोकसभा चुनाव का गणित देखना और समझना है। लोगों को दिखाना-जताना और बताना है।
अमीत शाह का ताजा ताजा दौरा मिथिलांचल में मिश्रा और झा की राजनीति भी तय करेगा। गृह मंत्री अमित शाह सबसे पहले मधुबनी जिले में झंझारपुर पहुंचकर एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद वह अररिया जाएंगे और जोगबनी में इंट्रीग्रेटेड चेकपोस्ट में एसएसबी जवानों के रहने हेतु बने आवासीय परिसर का उद्घाटन करेंगे।
अमित शाह के दौरे को लेकर बिहार बीजेपी की तैयारियों
अमित शाह के दौरे को लेकर बिहार बीजेपी तैयारियों में जुटी हुई है। भाजपा के ज्यादातर दिग्गज झंझारपुर में लगातार कैंप कर रहे हैं। जहां पहुंचेंगे, उस क्षेत्र का गणित भाग समझिए और लोकसभा चुनाव 2019 में झंझारपुर सीट जनता दल यूनाईटेड (JDU) के खाते में थी। तब बीजेपी-जदयू के साथ में जदयू के रामप्रीत मंडल ने जीत हासिल की थी। लेकिन, 2020 के विधानसभा चुनाव के जनादेश से उलट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) छोड़कर जदयू (JDU) के महागठबंधन में शामिल होने का असर इस सीट पर 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को जरूर मिलेगा।
जातीय समीकरणों के आधार
अगर जातीय समीकरणों के आधार पर देखें तो राजद और जदयू के साथ होने से महागठबंधन को यहां बहुत मजबूती मिलेगी। वजह है पिछड़ा और अतिपिछड़ा बहुल सीट है। अमीत शाह की इस सभा से पहले बीजेपी ने चौंकाते हुए मिथिलांचल से निषाद समाज के नेता हरि सहनी को बिहार विधान परिषद् में न केवल नेता प्रतिपक्ष बनाया, बल्कि मिथिला में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया गया है। मायने यह कि भारतीय जनता पार्टी इस क्षेत्र में इस वर्ग के वोटरों को लुभाने और साथ लाने का बड़ा दांव खेल चुकी है।इसलिए, अभी यह मानना संभव नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी मिथिलांचल में सहयोगी दलों के भरोसे रहने के मूड में है।
मिश्रा को लेकर क्या गणित भाग हो सकता है
राजनीतिक पंडित तो यह भी कह रहे हैं कि अमित शाह की रैली मिथिलांचल में झंझारपुर सीट पर अगड़ी जाति वोट को साधने की कोशिश है। इसी क्षेत्र से सांसद रहे नीतीश मिश्रा भी आते हैं। नीतीश मिश्रा वैसे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पौत्र हैं। वह इस सीट से एक बार सांसद रह चुके हैं। बीजेपी पार्टी में वह सक्रिय भी हैं और काम करने के अलग तरीके के कारण नीतीश मिश्रा को पसंद करने वाले लोगो की तादाद ठीकठाक हैं। संभव है कि अमीत शाह के स्टेज पर नीतीश मिश्रा को आगे करने का और एक चेहरा बनाने का प्रयास हो, मतलब यह है की नाम घोषित किए बगैर बीजेपी बताने का प्रयास करेगी कि वह पिछड़ी जाति के लोगों का सम्मान दे रही है तो अगड़ी जाति की पीठ पर भी उसका हाथ आ जाएगा ।
इस बीच अगर अमीत शाह सनातन धर्म और भारत /इंडिया की बात करें तो अचंभा नहीं होगा, क्योंकि धर्म के मामले में मिथिलांचल हमेशा से बहुत मायने रखता है। और वैसे भी मिथिलांचल को राजा जनक का क्षेत्र कहा जाता है और सीतामढ़ी को माता सीता की जन्मस्थली के रूप मैं जाना जाता है। ऐसे में धर्म की बातें उठेंगी ही और साथ ही जाति को साधने का भी पूरा प्रयास होगा। और जहा गृह मंत्री अमीत शाह की रैली या जनता को संबोधन करने की बात हो और बिहार मैं हो तो लालू प्रसाद यादव,नीतीश कुमार और घूम फिर कर कांग्रेस, इंडिया गठबन्धन को कोसे बिना कोई रैली और सभा खतम नहीं हो सकती। बेहर हाल देखते है क्या क्या होता है, बस इंतजार है जनता को ।