Manipur Violence: मणिपुर में इस साल 3 मई को मैतई और कुकी समुदाय के बीच भयानक जातीय हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा के मंगलवार (24 अक्टूबर) को 175 दिन पूरे हो गए हैं. इसे लेकर कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा और करारा हमला बोला है.
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पुराना नाम ट्वीटर) पर कहा है कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर के लोग करीब से देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में छोड़ दिया है. जब की उनके हस्तक्षेप की सबसे ज्यादा जरूरत थी.
जयराम रमेश ने पूछे है प्रधानमंत्री मोदी से सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि, “पीएम नरेंद्र मोदी राज्य के संकट को पूरी तरह से नजरअंदाज करके जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकते है. मणिपुर में हिंसा भड़कने और राज्य में सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का आज 175वां दिन हो गया है. ऐसे में मणिपुर के लोगों से, सुलह करवाने वालों और विश्वास स्थापित करने की प्रक्रिया को गति लाने वाले सभी लोगों सरकार से 5 सवाल पूछने ही चाइए.
मणिपुर हिंसा पर कांग्रेस पार्टी ने खड़े किए ये सवाल
कांग्रेस नेता ने पूछा है कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और विधायकों से मुलाकात क्यों नहीं की, जबकि इनमें से ज्यादातर नेता उनकी अपनी ही पार्टी के हैं या उनकी पार्टी के सहयोगी हैं?
उन्होंने दूसरा सवाल यह किया है कि संसद में मणिपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री से क्यों मुलाकात नहीं की? जयराम रमेश ने यह भी पूछा है कि सभी विषयों पर उपदेश देने वाले प्रधानमंत्री मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक क्यों नहीं बोले?
उन्होंने आगे कहा है कि प्रधानमंत्री बिना सोचे-समझे यात्रा करना पसंद करते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए मणिपुर में कुछ घंटे भी बिताना ठीक क्यों नहीं समझा? इसके अलावा उन्होंने सवाल किया है कि जिस मुख्यमंत्री को मणिपुर के समाज के सभी वर्गों ने नकार दिया है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की अनुमति क्यों दी जा रही है?
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा को बताया प्रायोजित
कांग्रेस पार्टी ने पीएम मोदी पर ऐसे समय में हमला बोला है, जब आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा प्रायोजित बताया है. उन्होंने आगे कहा, “मणिपुर में हुई जातीय हिंसा प्रायोजित थी. मैतेई और कुकी समुदाय के लोग कई सालो से साथ रह रहे हैं. यह एक सीमावर्ती राज्य है. इस तरह के अलगाववाद और आंतरिक संघर्ष से बाहरी ताकतों को ही फायदा मिलता है. वहां जो कुछ भी हुआ है, क्या उसमें बाहर के लोग शामिल थे.”