लट्ठमार होली

लट्ठमार होली : होली का त्योहार वाकई मस्ती और रंग-बिरंगा माहौल का एक त्यौहार है, लेकिन भारत की एक खास जगह है, जहां महिलाएं होली के त्योहार में पुरषों पर लाठियां बरसाती हैं। हां, बात हो रही है बरसाने की लठमार होली की। यहाँ पर उत्तर प्रदेश के छोटे-छोटे गाँवों में होली के पहले ही धमाल शुरू हो जाता है, और लोग एक-दूसरे पर रंग और गुलाल की बजाय खुशियों के साथ लाठियां बरसाते हैं। यहाँ का होली का माहौल कुछ अलग ही होता है, जहाँ रंग-बिरंगे खेल के साथ लड़कों को लड़कियों के द्वारा अच्छी धुलाई भी मिलती है।

लट्ठमार होली, जिसे “लट्ठ की होली” के नाम से भी जाना जाता है, बरसाना के राधा रानी मंदिर में एक अलग माहौल महसूस लाती है। यहां, देवी राधा को समर्पित इस मंदिर में होली का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। लठमार होली का यह उत्सव सप्ताहों तक चलता है, जहां लोग रंगीन लठियों के साथ एक-दूसरे पर रंग और गुलाल की बौछार करते हैं। इस उत्सव में रंगों का समाहार नहीं होता, बल्कि हर रंग के साथ एक गहरा संबंध और भावना होती है। लोग नृत्य, संगीत और प्यार के रंगों में खो जाते हैं, जिससे यहां का एतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर और भी अधिक मान्यता प्राप्त करता है।

बरसाना और नंदगाँव शहर में होली का उत्सव एक अनोखा रंग भरा  होता है। यहाँ पर नारी-पुरुष एक-दूसरे पर रंग और गुलाल की बरसात करते हैं, जिसे देखकर हर कोई खुशी से उड़ जाता है। बरसाना के पुरुष पहले दिन नंदगाँव में होली मनाते हैं, फिर दूसरे दिन बरसाना में। यह उत्सव हिंदू कथाओं की मनोरंजनीय रूपरेखा को भी दर्शाता है, जैसे कृष्ण और राधा का प्रेम कहानी। यह एक रंगीन और धार्मिक मिलनसार उत्सव है, जो लोगों को एक-दूसरे के साथ प्यार और भाईचारे की भावना से जोड़ता है।

लट्ठमार होली

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण और राधा जैसी प्रेम कहानी का होली उत्सव में विशेष महत्व है। इसी कहानी के चर्चित स्थल बरसाना में, हर साल होली का मनाना एक विशेष आयोजन होता है। मथुरा से थोड़ी दूरी पर स्थित इस गाँव में, पुरानी प्रथा के अनुसार, नंदगाँव के पुरुष बरसाना में होली खेलने आते हैं, जबकि बरसाना के पुरुष नंदगाँव में जाते हैं। इस खास परंपरा के तहत, आज भी यहाँ के लोग रंगों के बजाय लाठियों की बरसात में होली मनाते हैं, जिससे यह उत्सव अधिक उत्साही और रोमांचक हो जाता है। इस अनोखे अनुभव को देखकर होली का नाम यहाँ लठमार होली हो गया है।

लट्ठमार होली इतिहास हिंदी में

लट्ठमार होली में, महिलाएं उत्साह में एक लट्ठ लेकर उन पुरुषों की ओर धावा बोलती हैं, जो रंग उड़ाने की शुरूवात करते हैं। होली के वास्तविक दिन से पहले, इस अनोखी घटना को देखने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठी होती है। यहाँ महिलाएं पुरुषों को पीटते हुए कुछ लोक गीत गाती हैं और उन्हें राधा-कृष्ण की याद दिलाती हैं। इस दिन पुरुष खुशी-खुशी महिलाओं के लट्ठों का सामना करते हैं। इस प्रतिस्पर्धा में, महिलाएं पुरुषों पर अपना विजय प्रकट करती हैं, जिससे यह एक परंपरागत और मनोरंजनीय होली उत्सव बन जाता है।

 

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