Shravan Month Facts : हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन साल का पाँचवां और भगवान शिव को अत्यंत प्रिय महीना है, जिसे श्रावण मास भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस माह में भोलेनाथ की पूजा, विशेषकर शिवलिंग पर जलाभिषेक या रुद्राभिषेक करने से समस्त कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। सावन का नाम श्रवण नक्षत्र से पड़ा, जो इस मास की पूर्णिमा के दिन होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला, तब शिव ने उसे ग्रहण कर संसार की रक्षा की और देवताओं ने उन्हें शीतलता देने के लिए जल चढ़ाया, तभी से यह परंपरा चली आ रही है। यही कारण है कि सावन में शिवभक्ति का विशेष महत्व है और यह माह भक्तों के लिए आस्था, आराधना और आध्यात्मिक ऊर्जा का उत्सव बन जाता है।
श्रावण का महीना
श्रावण : साल का सबसे पवित्र महीना
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन या श्रावण साल का पाँचवाँ महीना होता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और भक्तों के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
️ भगवान शिव की विशेष कृपा का समय
ऐसा विश्वास है कि जो भक्त श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा करता है, उस पर महादेव की विशेष कृपा बरसती है। जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करना इस मास में बेहद पुण्यकारी माना गया है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा
शिव पुराण के अनुसार, सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाना विशेष रूप से फलदायी होता है। यह पूजा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और जीवन में सुख-शांति लाने में मदद करती है।
कांवड़ यात्रा और व्रत का महत्त्व
सावन शुरू होते ही कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें शिव भक्त गंगा जल लेकर लंबी यात्रा करके शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं। साथ ही, श्रद्धालु सोमवार व्रत रखकर शिवजी की कृपा पाने का प्रयास करते हैं।
श्रावण नाम कैसे पड़ा?
हिंदू मासों के नाम चंद्रमा के नक्षत्रों के आधार पर रखे जाते हैं। श्रावण के महीने में जब पूर्णिमा आती है, तब चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होते हैं। इसी कारण इस मास को श्रावण कहा गया, जो समय के साथ सावन बन गया।
पौराणिक कथा: समुद्र मंथन और शिवजी का विषपान
जब समुद्र मंथन हुआ, तब हलाहल विष निकला जिसे भगवान शिव ने पूरी सृष्टि की रक्षा के लिए पी लिया। इस विष की गर्मी कम करने के लिए देवताओं ने शिवजी पर जल अर्पित किया। तभी से सावन में जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
शिव-पार्वती विवाह की कथा
मान्यता है कि माता पार्वती ने सावन महीने में घोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इस मास में किए गए सोमवार व्रत और तप से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
️ सावन में शिवजी का धरती पर आगमन
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावन में भगवान शिव धरती पर आते हैं और अपने ससुराल जाते हैं। इसी कारण यह महीना शिवभक्तों के लिए उत्सव का समय होता है।
श्रद्धा और भक्ति का महीना
सावन केवल पूजा का महीना नहीं, बल्कि आत्म-संयम, ध्यान और तप का समय है। इस मास में भक्ति से की गई हर साधना का फल कई गुना अधिक मिलता है।