Narak Chaturdashi 2024 : नरक चतुर्दशी, जिसे रूप चौदस, छोटी दिवाली, या काली चौदस भी कहा जाता है, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 30 अक्टूबर के दिन है। यह दिन दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद होता है। इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान और यम तर्पण का खास महत्व है।

नरक चतुर्दशी

क्यों मनाते हैं नरक चतुर्दशी?

इस पर्व की एक रोचक कथा है। प्राचीन समय में नरकासुर नाम का एक राक्षस था, जिसने देवताओं और ऋषि-मुनियों को परेशान किया और 16,100 सुंदर राजकुमारियों को बंदी बना लिया। जब देवता और साधु इस स्थिति से दुखी हुए, तो वे भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए।

भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से नरकासुर का वध किया और उन सभी राजकुमारियों को आजाद कराया। इस खुशी में उन्होंने उन कन्याओं से विवाह किया, जिससे समाज में उनके प्रति सम्मान बढ़ा। तभी से नरक चतुर्दशी का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई।

तेल और उबटन का महत्व:

नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी के दिन लोग तेल लगाकर स्नान करते हैं। कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया, तब उन्होंने भी ऐसा ही किया। इस परंपरा का पालन करने से नरक से मुक्ति और स्वर्ग की प्राप्ति का विश्वास है।

महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार करती हैं, क्योंकि श्री कृष्ण ने राजकुमारियों को उनकी खोई हुई सुंदरता वापस दी थी। माना जाता है कि ऐसा करने से उन्हें सौभाग्य और सुंदरता का आशीर्वाद मिलता है।

इस तरह, नरक चतुर्दशी का पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सुंदरता और सम्मान का प्रतीक भी है।

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