Krishna Janmashtami : भगवान श्रीकृष्ण को भगवान श्रीहरि का आठवां अवतार माना जाता है। श्रीकृष्ण नारायण के पूर्ण रूप में धरती पर आए थे। उन्होंने कई अद्भुत लीलाएं कीं और दैवीय कार्य किए। कान्हा के रूप में लेकर द्वारकाधीश श्रीकृष्ण बनने तक, उन्होंने एक लंबा और कठिन रास्ता तय किया। उनके हर कार्य के पीछे जनकल्याण की भावना और संसार के लिए एक गहरा संदेश छिपा हुआ था। इसीलिए श्रीकृष्ण के जीवन के अनगिनत दिलचस्प पहलू लोगों के लिए प्रेरणा और ज्ञान का स्रोत बनते हैं।
Krishna Janmashtami
हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कन्हैया का जन्मोत्सव, यानी जन्माष्टमी, बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त, सोमवार को है। इस खास मौके पर, हम आपको श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे दिलचस्प तथ्य बताएंगे जिनसे आप शायद अनजान होंगे।
1. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की कुल 16,108 रानियां थीं, लेकिन वास्तव में उनकी 8 प्रमुख पत्नियां थीं। इनका नाम था रुक्मिणी, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। बाकी सभी को श्रीकृष्ण ने पत्नी का दर्जा दिया था क्योंकि भौमासुर ने उनका अपहरण कर लिया था। जब श्रीकृष्ण ने उन्हें भौमासुर से मुक्त कराया, तो वे यह सोचकर चिंतित थीं कि अब कोई उन्हें स्वीकार नहीं करेगा। इस पर श्रीकृष्ण ने उन्हें सम्मान दिया और जीवनभर उनका ख्याल रखा।
2. श्रीकृष्ण को 64 कलाओं में माहिर माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने ये कलाएं गुरु सांदीपनि से 64 दिनों में सीखी थीं। शिक्षा पूरी करने के बाद जब श्रीकृष्ण लौटे, तो उन्होंने गुरु दक्षिणा के रूप में गुरु सांदीपनि को उनके मृत बेटे को जीवित कर वापस किया।
3. भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम हैं, जिनमें प्रमुख नाम हैं कान्हा, कन्हैया, गोविंद, गोपाल, घनश्याम, गिरधारी, मोहन, बांके बिहारी, माधव, चक्रधर और देवकीनंदन। ये नाम उनके विभिन्न रूपों और गुणों को दर्शाते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
4. देवकी की सातवीं संतान बलराम और आठवीं संतान श्रीकृष्ण थे। कंस के वध के बाद, श्रीकृष्ण ने माता देवकी की प्रार्थना पर अपने छह अन्य भाइयों को, जिनका कंस ने हत्या कर दिया था, माता से मिलवाया। इसके बाद, उन्होंने उन भाइयों को मुक्ति प्रदान की।
5. भगवान श्रीकृष्ण ने 17 वर्ष की आयु में ब्रज छोड़ दिया था। उसके बाद, वे राधारानी से केवल एक बार मिले, लेकिन उनका राधारानी से संबंध हमेशा आत्मिक रहा। श्रीकृष्ण राधारानी को अपनी शक्ति और बुद्धि का रूप मानते थे।
6. भगवान श्रीकृष्ण की भगवद् गीता सबसे पहले अर्जुन के अलावा हनुमान और संजय ने भी सुनी थी। हनुमान कुरुक्षेत्र के युद्ध के समय अर्जुन के रथ पर सबसे ऊपर सवार थे।
7.भगवान श्रीकृष्ण 125 साल तक जीवित रहे, और उनका अंत एक बहेलिया के तीर से हुआ। मान्यता है कि वह बहेलिया पिछले जन्म में बालि था। जब भगवान राम ने बालि को छिपकर मारा था, तो राम ने कहा था कि अगले जन्म में तुम्हारे हाथों मेरी मृत्यु होगी। द्वापरयुग में, जब श्रीकृष्ण एक पेड़ के नीचे बैठे थे, तो वह बहेलिया उनके पैर पर बने निशान को चिड़िया समझकर तीर चला बैठा। वह तीर श्रीकृष्ण के पैर में लगा और इसके बाद उन्होंने अपने शरीर का त्याग कर दिया।