करवा चौथ

Karwa Chauth : करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो पति-पत्नी के प्रेम को दर्शाता है। इस दिन, सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। यह परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है, जब महिलाएं अपने पतियों के लिए ईश्वर से आशीर्वाद मांगती थीं। आइए जानते हैं इस त्योहार के पीछे की कहानी और इसकी महत्ता।

करवा चौथ की कहानी

सती सावित्री की कहानी 

इस पर्व का एक प्रमुख कारण सती सावित्री की कथा है। जब उनके पति सत्यवान की मृत्यु के लिए यमराज धरती पर आए, तो सावित्री ने उन्हें अपने पति का जीवन वापस मांगने के लिए प्रार्थना की। यमराज ने उनकी प्रार्थना नहीं मानी, लेकिन सावित्री की दृढ़ता और प्रेम ने यमराज को उनकी दया करने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सावित्री को वरदान देने को कहा, और उसने कई बच्चों की मां बनने की इच्छा व्यक्त की। इसके बाद यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दिया। इसी से महिलाओं ने सावित्री की तरह निर्जला व्रत रखना शुरू किया।

क्यों मनाते हैं करवा चौथ

करवा चौथ का पर्व मुख्य रूप से उत्तर और पश्चिम भारत की महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह मान्यता है कि इन क्षेत्रों के पुरुष अक्सर सेना और पुलिस में भर्ती होते हैं। इसलिए महिलाएं इस दिन अपने पतियों की सलामती और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।

करवा चौथ

इस दिन रबी की फसल, विशेषकर गेहूं, बोई जाती है। कई स्थानों पर महिलाएं करवे में गेहूं भरकर भगवान को अर्पित करती हैं, ताकि उनके घर में अच्छी फसल हो।

इस तरह, करवा चौथ न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि सामुदायिक और कृषि परंपराओं को भी प्रोत्साहित करता है।

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