ईद मुबारक : रमजान का महीना इस समय समाप्त होने जा रहे है, जो कि इस्लामिक कैलेंडर हिज़री का 9वां महीना है। इस महीने के बाद शव्वाल का 10वां महीना आएगा, जिसकी पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाएगी। यह मुस्लिम समाज का सबसे बड़ा त्योहार होता है। हिज़री कैलेंडर के हर महीने की शुरुआत चांद निकलने से होती है और उसके डूबने पर खत्म होती है। ईद के दिन शव्वाल के चांद के दीदार के साथ मनायी जाती है।
ईद के दिन घरों में खुशियां और मिठास छाई रहती है। सभी लोग नए नए कपड़े पहनकर अपने घरों को सजाते हैं और मीठे-मीठे पकवान बनाते हैं। जिसमें सिवइयां घरों की खासियत बन जाती हैं, जो हर किसी के मुँह को मीठास से भर देती है। इसके साथ-साथ, लोग आपस में गले मिलकर ईद मुबारक देते हैं और आपस में खुशियां बांटते हैं। ईद का मतलब है साथ मिलकर खुशियों का त्योहार मनाना, जिसमें हर कोई खुशी और मस्ती में डूब जाता है।
क्या है दो ईद मुबारक
अल्लाह ने मुस्लिम समुदाय को खुशी के लिए दो ईद के तोफे दिए हैं एक ईद-उल-फितर और दूसरी ईद-उल-अज़हा। ईद-उल-फितर रमजान के महीने के बाद, शव्वाल की पहली तारीख को मनाई जाती है, जबकि ईद-उल-अज़हा हिज़री कैलेंडर के अंतिम महीने ज़िलहिज्जा की 10 तारीख को होगी है। ईद-उल-फितर के दिन सभी मुस्लिम भाई बहनों के बीच खुशियां साझा करते और ईद मुबारक बोलते हैं, जहां कोई अमीर या गरीब नहीं होता। सभी नए कपड़े पहनते हैं और अच्छे पकवान खाते हैं। ज़रा सोचिए, ईद-उल-फितर के दिन गरीब लोग कैसे इस त्यौहार के माहौल में नई चमकदार कपड़े पहनकर और स्वादिष्ट खाने का आनंद लेते हैं? यह ईद का जादू है, जो सभी को एक साथ मिलकर खुशियां प्रदान करता है।
कब और क्यों मनाई जाती है ईद-उल-फितर?
जैसा कि पहले बताया गया, ईद-उल-फितर रमजान के बाद मनाया जाता है, यह खुशियों का पर्व है। इसकी शुरुआत 2 हिज़री को हुई थी, जो 624 ईस्वी में हुई थी। इस त्यौहार को मनाने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, जंग-ए-बद्र में मुस्लिमों की विजय, जो 17 रमजान को हुई थी। यह इस्लाम की पहली जंग थी।

इस लड़ाई में 313 मुस्लिम सैनिक थे, जबकि उनके विरुद्ध लड़ रही दुश्मनी सेना की संख्या 1,000 से भी अधिक थी। इस महायुद्ध में पैगंबर हजरत मोहम्मद (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) के नेतृत्व में मुस्लिम सैनिकों ने बहादुरी से लड़ा और जीत हासिल की। इस विजय की खुशी में मिठाई बाँटी गई और सभी ने आपस में गले मिलकर ईद मुबारक दी। इसी खुशी में ईद का आयोजन किया गया।
ऐसे मनाई जाती है ईद मुबारक
ईद के दिन की शुरुआत एक सुकून भरी सुबह के साथ होती है, जब लोग फज्र की नमाज के लिए मस्जिदों में जमा होते हैं। नमाज के बाद, सभी लोग नए कपड़े पहनकर और इत्र लगाकर ईद की नमाज के लिए तैयार हो जाते हैं। मर्दों को ईदगाह या मस्जिद में नमाज के लिए जाने का इंतजाम किया जाता है। नमाज से पहले नहाने के बाद वुजू किया जाता है और घर से निकलने से पहले खजूर या सीर का सेवन किया जाता है।
ईदगाह में सभी मुसलमान तैयार होकर एक साथ उमड़ते हैं, और आपस में मिलकर कांधे से कांधा मिलाते हैं ईद की नमाज के लिए, जो कि सूरज के उदय के बाद पढ़ी जाती है। नमाज के बाद, सभी लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं और ईद मुबारक देते हैं। इस खुशी के मौके पर, घरों में दावतें दी जाती हैं जो साझेदारी का संदेश देती हैं।
