वसंत पंचमी

Basant Panchami Facts : वसंत पंचमी, विशेष रूप से पंजाब क्षेत्र में मनाया जाता है, जहाँ लोग वसंत ऋतु के आगमन के साथ पतंग उड़ाते हैं। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, जिन्हें हिन्दू धर्म में ज्ञान, कला और संगीत की देवी माना जाता है। इस दिन छात्र-छात्राएं मां सरस्वती के चरणों में श्रद्धा से पूजा अर्चना करते हैं। भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने भी कहा है कि “वसंत मेरे रूपों में से एक है”, जिससे इस दिन के महत्व का अंदाजा लगता है।

वसंत पंचमी

इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और विभिन्न पकवान तैयार किए जाते हैं जैसे- बूंदी के लड्डू, पीले मीठे चावल आदि। तो आइए जानते हैं वसंत पंचमी मनाने के पीछे की कहानी और इसका महत्व।

वसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है?  

‘वसंत’ का अर्थ है वसंत ऋतु और ‘पंचमी’ पांचवे दिन, इसलिए माघ महीने के पांचवे दिन वसंत ऋतु के आगमन पर इसे मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में सरस्वती पूजा होती है और विद्यार्थी मां सरस्वती से अपने ज्ञान में वृद्धि की कामना करते हैं।

हमारे देश में छह ऋतुएं होती हैं, जिनमें से वसंत ऋतु सबसे सुखद और मनमोहक मानी जाती है। इसे ‘ऋतुराज’ भी कहा जाता है, क्योंकि इस मौसम में धरती पर हरी-भरी हरियाली और सरसों के पीले खेत जैसे सोने की तरह चमकते हैं। गेहूं की फसल भी इस मौसम में उगाई जाती है।

माँ सरस्वती का जन्म और पूजा का महत्व  

वसंत पंचमी को माँ सरस्वती का जन्मदिन भी कहा जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, जब ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था, तब शांति का साम्राज्य था और कोई आवाज नहीं थी। भगवान विष्णु के आदेश पर ब्रह्माजी ने जल छिड़का, जिससे एक अद्भुत शक्ति और चतुर्भुज देवी का अवतार हुआ, जिनके हाथों में वीणा, पुस्तक और माला थी। जब उन्होंने वीणा बजाई, तो समूचे ब्रह्मांड में ध्वनि फैल गई, और तब उन्हें सरस्वती कहा गया। इसलिए इस दिन को माँ सरस्वती के जन्म के रूप में मनाया जाता है।

वसंत पंचमी के अद्भुत तथ्य  

पीला रंग: वसंत पंचमी में पीले रंग का विशेष महत्व है, क्योंकि यह रंग वसंत ऋतु का प्रतीक है। इसे ‘बसंती रंग’ भी कहते हैं, जो समृद्धि, उजाले और आशीर्वाद का प्रतीक है। लोग इस दिन पीले कपड़े पहनते हैं और पीले रंग के पकवान तैयार करते हैं।

सांप को दूध पिलाना: कुछ स्थानों पर वसंत पंचमी के दिन सांपों को दूध पिलाने की परंपरा है, जो समृद्धि और धन की प्राप्ति के रूप में माना जाता है।

पतंग उड़ाना: विशेष रूप से पंजाब में, इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। यह वसंत पंचमी का एक आनंदमयी हिस्सा है।

होलिका की तैयारी: वसंत पंचमी के दिन होलिका की मूर्ति बनाने के लिए लकड़ी एकत्रित की जाती है, जिसे 40 दिनों बाद होली के दिन जलाया जाता है।

मीठे पकवान: वसंत पंचमी में भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग मीठे पकवान बनते हैं:

बंगाल: माँ सरस्वती को बूंदी के लड्डू और मीठे चावल अर्पित किए जाते हैं।

वसंत पंचमी

बिहार: यहाँ माल पुआ, खीर और बूंदी माँ सरस्वती को अर्पित की जाती है।

उत्तर प्रदेश: यहाँ केसरिया चावल भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं।

पंजाब: यहाँ मीठे चावल, मक्के की रोटी और सरसों का साग खाया जाता है।

वसंत पंचमी न केवल माँ सरस्वती की पूजा का दिन है, बल्कि यह ज्ञान, समृद्धि और नवजीवन की शुरुआत का भी प्रतीक है।

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