AVN News Desk Utter Pradesh Noida: रायबरेली संसदीय सीट से भाजपा ने अपना प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है. वही 2019 में सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर देने वाले दिनेश प्रताप सिंह पर भाजपा ने एक बार फिर भरोसा जताया है. और दिनेश प्रताप सिंह अभी एमएलसी भी हैं और यूपी में योगी सरकार में मंत्री भी हैं. 6 साल पहले तक दिनेश प्रताप गांधी परिवार के बहुत ही खास लोगों में शामिल होते थे. 2018 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली थी. और रायबरेली सीट पर कल शुक्रवार को नामांकन का आखिरी दिन है. और कांग्रेस पार्टी ने अभी तक यहां के लिए प्रत्याशी का ऐलान भी नहीं किया है. उम्मीद यह की जा रही है कि आज रात या कल सुबह तक कांग्रेस पार्टी भी अपने प्रत्याशी का ऐलान भी कर देगी. उम्मीद यह की जा रही है कि कांग्रेस यहां से गांधी परिवार के ही किसी सदस्य को चुनाव में उतार सकती है. भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतार तो दिया है पर क्या वो भाजपा की मंशा को पूरा कर सकेंगे. भाजपा ने जिस तरह अमेठी से राहुल गांधी को बाहर कर दिया उसी तरह गांधी परिवार को भी रायबरेली छीन लेना चाहती है. क्या दिनेश प्रताप सिंह भाजपा की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे?

भाजपा के अमेठी मॉड्यूल पर बिल्कुल ही फिट हैं दिनेश प्रताप सिंह

बीजेपी रायबरेली को जीतने के लिए अमेठी मॉड्यूल पर ही काम कर रही है. जिस तरह  2014 में स्मृति इरानी हारने के बाद भी लगातार अमेठी में लगी रही और फाइनली 2019 में राहुल गांधी से इस संसदीय सीट को छीन लिया. बिलकुल उसी तर्ज पर रायबरेली में दिनेश प्रताप सिंह काम कर रहे हैं. वही दिनेश प्रताप सिंह ने 2019 में सोनिया गांधी को जोरदार टक्कर दी थी. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिलने वाले वोट का परसेंटेज करीब 72.2 प्रतिशत रहा था. जो कि 2014 गिरकर 63.8 परसेंट हो गया था. वही 2019 में दिनेश प्रताप सिंह के प्रत्याशी बनने के बाद  सोनिया गांधी को मिलने वाले वोट का प्रतिशत गिर कर 55.8 प्रतिशत हो गया था. और 2014 में जहां भाजपा को करीब 21 .1 प्रतिशत वोट ही मिला था दिनेश प्रताप सिंह के आने के बाद 2019 में 38.7 परसेंट तक पहुंच गया था. उसके बाद से ही भाजपा ने एमएलसी बनाकर विधानसभा में भेज दिया और योगी सरकार में मंत्री में बन गए. अब यह सब इसी रणनीति के तहत किया गया है कि वो लगातार 5 साल जनता के बीच रहे है और उनकी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करें. वही जिस तरह अमेठी में 5 साल में जनता के साथ स्मृति इरानी ने समय गुजारा था.

रायबरेली
रायबरेली संसदीय सीट से भाजपा दिनेश प्रताप सिंह फाइल फोटो

लोकल स्तर पर बहुत मजबूत हैं दिनेश प्रताप

वही दिनेश प्रताप सिंह स्थानीय स्तर पर बहुत मजबूत हैं और रायबरेली के चप्पे चप्पे की समझ रखते हैं. यही कारण रहा है कि सोनिया गांधी के बहुत करीबी थे . और गांधी परिवार उनकी सलाह पर काम करता रहा है. वही दिनेश प्रताप सिंह पांच भाई हैं जिसमें से तीन राजनीति में सक्रिय हैं. उनके भाई राकेश सिंह भी 2017 में हरचंदपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के टिकट से विधायक चुने गए थे. वहीं एक और भाई अवधेश सिंह रायबरेली जिला पंचायत के अध्यक्ष भी हैं. वही दिनेश सिंह का आवास पंचवटी से ही पूरे जिले की राजनीति होती रही है. और गांधी परिवार के लिए रायबरेली में दिनेश प्रताप सिंह और अखिलेश सिंह जैसे लोग ही हाथ पैर होते रहे हैं. और कभी अखिलेश सिंह की भी रायबरेली में भी खूब तूती बोलती थी. उनके मरने के बाद अब उनकी बेटी अदिति सिंह भाजपा में आ गई हैं. अदिति सिंह विधायक हैं और भाजपा के साथ मजबूती से जुड़ी हुई हैं.

मनोज पांडेय पर इसलिए भारी पड़े दिनेश सिंह

समाजवादी पार्टी से भाजपा के खेमे में आ चुके ऊंचाहार के कद्दावर विधायक मनोज पांडेय का भी नाम रायबरेली सीट से कैंडिडेट के रूप में चल रहा था. पर बीजेपी आलाकमान ने उनके मुकाबले दिनेश प्रताप सिंह को ही चुना . वही सुल्तानपुर में पिछले 4 दशकों से पत्रकारिता कर रहे राज खन्ना कहते हैं कि मनोज पांडेय अभी भी टेक्निकली समाजवादी पार्टी में है.और भाजपा कैडर वाली पार्टी है. अचानक किसी दूसरी पार्टी से आए नेता को कार्यकर्ता तुरंत शायद एडजेस्ट नहीं कर पाते है . यही सोचकर मनोज पांडेय की जगह दिनेश प्रताप सिंह को ज्यादा महत्व दिया गया होगा. साथ ही दिनेश प्रताप सिंह पिछले 5 साल से क्षेत्र में लगातार लगे हुए हैं, यह भी उनके पक्ष में गया है.वही मनोज पांडेय मोदी लहर में भी लगातार विधायक चुने जाते रहे हैं. और उनकी मजबूत स्थिति का लाभ पार्टी को अब दिनेश प्रताप सिंह को जिताने में मिलेगा.

रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण में भी है फिट

रायबरेली लोकसभा चुनाव क्षेत्र से दिनेश प्रताप सिंह के आने के बाद जातियों का संतुलन भाजपा के फेवर में है. वही एक अनुमान के मुताबिक यहां ब्राह्मण 11 प्रतिशत , ठाकुर 9 प्रतिशत के करीब हैं. और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बीच लगातार बीजेपी से ठाकुरों के नाराज होने की खबरें आ रही थीं. वही पहले दो चरणों के चुनावों में यह स्पष्ट रूप से दिखा भी है. भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को टिकट देकर एक तीर से 2 शिकार कर दिए हैं. हालांकि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद से ही उत्तर प्रदेश के ठाकुरों का वोट भाजपा को ही जाता रहा है,पर इस बार पार्टी थोड़ी आशंकित थी. समाजवादी पार्टी के कद्दावर ब्राह्मण नेता मनोज पांडेय के भाजपा के पाले में आने से ब्राह्रण वोट के बिखरने की भी चिंता नहीं है. 6 फीसदी लोध और 4 फीसदी कुर्मी अब भाजपा के कोर वोटर्स हैं. और वही 23 फीसदी अन्य वोटों में कायस्थ-बनिया और कुछ अति पिछड़ी जातियां भी हैं जो भाजपा के वोट देती हैं. वही 34 फीसद के करीब एससी (SC) वोट बीएसपी (BSP)अपना हिस्सा तो लगाएगी ही.

देश दुनिया की खबरों की अपडेट के लिए AVN News पर बने रहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *