न्यू दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र के लिए जो एजेंडा जारी किया है, उसमें चार बिल हैं. क्या सरकार यही चार बिल पारित कराएगी या चौंकाने वाली फितरत बरकरार रखते हुए फिर से सब को चौंकाएगी?

 

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 31 अगस्त 2023 को पांच दिन के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की जानकारी दी थी. और विपक्षी पार्टियों के नेता जब केंद्र सरकार को घेरने की रणनीति पर मंथन करने के लिए मुंबई में जुट रहे थे, संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के ऐलान ने पूरा ध्यान खींचा. सरकार संसद के विशेष सत्र में क्या करने वाली है, इसे लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया था. विपक्ष ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए. कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संसद के विशेष सत्र का एजेंडा क्या होगा? ये सार्वजनिक करने की मांग की और वे मुद्दे भी बताए जिन पर विपक्षी पार्टियां (Opposition Party ) चर्चा चाहती हैं.

करीब 15-16 दिन तक चले अगर-मगर और अटकलों के दौर के बाद संसद के विशेष सत्र के एजेंडे से पर्दा उठा दिया गया है. केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र का एजेंडा सार्वजनिक कर दिया है.बीजेपी सरकार संसद के इस विशेष सत्र में चार विधेयक पारित कराने वाली है. इन चार में से दो बिल ऐसे हैं जो हाल ही में संपन्न हुए मॉनसून सत्र के दौरान उच्च सदन यानी राज्यसभा (Rajya Sabha) की बाधा पार कर चुके हैं. ये राज्यसभा से पारित होने के बाद लोकसभा में अभि पेंडिंग हैं. वहीं, दो विधेयक ऐसे भी हैं जिन्हें सरकार ने राज्यसभा में पेश तो कर दिया था लेकिन ये मॉनसून सत्र के दौरान पारित नहीं हो सका था.अब सवाल ये उठ रहे हैं कि इन चार विधेयकों में आखिर ऐसा क्या है कि भारत सरकार को इन्हें पारित कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाना पड़ गया? आइए नजर डालते हैं उन विधेयकों पर जिन्हें पारित कराना मौजूदा केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए विशेष सत्र के एजेंडे में शामिल विधेयकों है.

इन चार विधेयकों में आखिर ऐसा क्या है ?

1- अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2023

अधिवक्ता संशोधन विधेयक (Advocates Amendment Bill) अगस्त महीने 2023 में मॉनसून सत्र के दौरान ही राज्यसभा से पारित हो गया था. लेकीन ये बिल लोकसभा में पेंडिंग है. ये बिल भी संसद के विशेष सत्र के एजेंडे में शामिल है. इस बिल को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में पेश किया था. इस विधेयक में केंद्र सरकार को कानून की पढ़ाई और प्रशासन में परिवर्तन के लिए कदम उठाने के अधिकार का प्रावधान है. इस बिल में आजादी के पहले के अधिनियमों और अप्रचलित कानून खत्म करने, लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट 1879 को निरस्त करने, अधिवक्ता अधिनियम 1961 में संशोधन का भी प्रावधान किया है.

2- प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023

प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 (द प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियडिकल्स बिल 2023) का उद्देश्य समाचार पत्र और पत्रिकाओं के पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान और सरल बनाना है. इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद से डिजिटल मीडिया भी निगरानी के दायरे में आ जाएगा. सरकार ने ये बिल भी मॉनसून सत्र के दौरान ही राज्यसभा में पेश किया था. हालाकि राज्यसभा से पारित होने के बाद ये बिल भी लोकसभा में अभी पेंडिंग हैं.

3- डाकघर विधेयक 2023

बीते मॉनसून सत्र के दौरान सरकार ने 10 अगस्त को राज्यसभा में डाकघर विधेयक 2023 पेश किया था. 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश ये विधेयक उच्च सदन से उस समय पारित नहीं हो पाया था. संसद से पारित होने के बाद ये विधेयक 1898 के पुराने अधिनियम की जगह लेगा ओर. इस विधेयक के जरिए पोस्ट ऑफिस के आकस्मिक (Casual) सेवाओं के विशेषाधिकार जैसे पत्र भेजने और प्राप्त करने, वितरित करने को खत्म करता है. हालांकि, डाकघर के पास ये विशेषाधिकार होगा कि वे अपना विशिष्ट डाक टिकट भी जारी कर सकते हैं. इस अधिनियम में डाकघर के वरिष्ठ अधिकारियों को आपात स्थिति में सुरक्षा के लिहाज से किसी भी शिपमेंट को खोलने और देखने, रोकने और नष्ट करने का अधिकार दिए जाने का भी प्रावधान होगा .

4- मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (terms of service) विधेयक 2023

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सरकार ने मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा शर्त) विधेयक 2023 पेश किया था. इस विधेयक में प्रावधान यह है कि प्रधानमंत्री नियुक्ति के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष होंगे. और लोकसभा में विपक्ष के नेता या फिर सबसे बड़े दल के नेता भी इस समिति में शामिल होंगे. प्रधानमंत्री को ये अधिकार होगा कि वे कैबिनेट स्तर के एक केंद्रीय मंत्री को समिति का सदस्य नामित कर सकेंगे या कर सकते है.

क्या कहते हैं संसदीय मामलों जानकार

संसदीय मामलों के जानकार का कहना है कि सरकार की ओर से विशेष सत्र का जो एजेंडा बताया है, उसमें शामिल चारो विधेयकों में से एक भी ऐसा नहीं है जिसे तत्काल (Immediately) पारित कराया जाना जरूरी हो. तब ये विधेयक शीतकालीन सत्र में भी पारित कराए जा सकते थे. लेकिन सरकार की मंशा केवल इतनी ही है कि पुराने भवन की जगह सदन की कार्यवाही को नए भवन में चले और इसीलिए गणेश चतुर्थी का मुहूर्त देखकर संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है.
आप को याद होगा कि मई महीने में पीएम मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया था. संसद के मॉनसून सत्र की कार्यवाही नए भवन में ही चलेगी, तब ऐसे कयास लगाए जा रहे थे की ओर खबरों में चर्चा जोर सौर थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. मॉनसून सत्र के दौरान पुराने भवन में ही सभी कार्यवाही चली. नवंबर-दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू होने का अनुमान हैं. ऐसे में संसद का विशेष सत्र बुलाने के पीछे क्या सरकार की मंशा केवल पुराने भवन से निकल नए भवन में ‘गृह प्रवेश’ कराना भर ही है?

संसदीय मामलों के जानकार ने कहा है कि मई में उद्घाटन के बाद नए संसद भवन में कार्यवाही के लिए शीतकालीन सत्र तक इंतजार लंबा हो जाता. नए भवन में अभी कार्य चल ही रहा है, निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है लेकिन मोदी सरकार नहीं चाहती कि नए भवन में कार्यवाही शुरू होने का इंतजार इतना लंबा हो चले.G-20 के सफल आयोजन को लेकर हो सकता है कि संसद से प्रस्ताव पारित हो.

क्या सरप्राइज करेगी मौजूदा मोदी सरकार?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अक्ससर रप्राइज करने के लिए भी जानी जाती है. 2019 लोक सभा चुनाव के तुरंत बाद मॉनसून सत्र में बिना किसी हो-हल्ला, शोर-शराबे के सरकार ने जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक पेश कर सबको चौंका दिया था. अब देश लोक सभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है. मॉनसून सत्र अभी पिछले ही महीने अगस्त में समाप्त हुआ है. शीतकालीन सत्र में भी बहुत अधिक समय की दूर नहीं है. ऐसे में क्या नरेंद्र मोदी सरकार फिर कोई ऐसा बिल लाकर चौंकाने की तैयारी में तो नहीं है जिसकी ओर किसी का ध्यान ही न गया हो?
संसद के विशेष सत्र का ऐलान होने के बाद से ही ये चर्चा गरमा रही है. चर्चा में महिला आरक्षण विधेयक से लेकर समान नागरिक संहिता और वन नेशन वन इलेक्शन जैसे बिल भी शामिल हो सकते हो . ये भी बातें हो कि विपक्ष की जातिगत जनगणना के दांव की काट के लिए सरकार रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट लागू करने की दिशा में कोई कदम भी बढ़ा सकती है. अब देखना होगा कि 18 सितंबर से शुरू होकर 22 सितंबर तक चलने वाले संसद के इस विशेष सत्र में मोदी सरकार यही चार विधेयक पास कराती है जो एजेंडे में बताए गए हैं या सब को फिर से चौंकाती है?

 

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