क्या बोलूं?…
क्या बोलूं इन ख़ामोशियों से,
जो शब्दों से पहले बोल जाती हैं।
क्या कहूँ इन आँखों से,
जो हर राज़ चुपचाप खोल जाती हैं।
हवा भी आज ठहर-सी गई है,
दिल की बात सुनने को।
शायद कुछ एहसास बचे हैं अभी,
टूटने और जुड़ने को।
क्या बोलूं… बस इतना जान लूँ,
कि ख़ामोशी भी एक आवाज़ है।
जो महसूस कर ले इसे दिल से,
उसी के लिए ये अल्फ़ाज़ है।

यह भी पढ़े : The truth of life: जब सबकुछ हाथ से छूटता दिख रहा हो, समझ जाना या तो मृत्यु करीब है या फिर मंजिल… !
Note :-
Disclaimer: यह Poetry आर्टिकल व लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है। यह आर्टिकल प्रकाशक किसी भी त्रुटि या चूक के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
| मुझे उम्मीद है की आपको यह आर्टिकल व लेख “! “poetry – क्या बोलूं…!” जरुर पसंद आई होगी। हमारी हमेशा से यही कोशिश रहती है की रीडर को पूरी सही जानकारी प्रदान की जाये।
!!अगर आपको आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे आपने सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। इस आलेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद। avnnews.in में दोबारा विजिट करते रहें…..!!
