धीरे–धीरे

धीरे–धीरे

मर रहे हैं शौक हमारे धीरे–धीरे,

बढ़ रही है उम्र भी वैसे ही धीरे–धीरे!

ख़ुद को छोड़ दिया है हमने कहीं राहों में,

अब ज़िन्दगी बस चल रही है धीरे–धीरे!

 

नादान थे, हक़ीक़त का इल्म न था,

दुनिया समझ आ रही है अब धीरे–धीरे!

जो काफ़िला कभी साथ चलता था हमारा,

अपने भी नज़र आने लगे हैं पराए धीरे–धीरे!

 

सपने बड़े हैं, मंज़िलें भी दूर बहुत,

फिर भी कदम बढ़ रहे हैं धीरे–धीरे!

हौंसले कम नहीं हुए, बस थकान है थोड़ी,

और सफ़र कट रहा है यूँ ही धीरे–धीरे!

बस… धीरे–धीरे!..

धीरे–धीरे

यह भी पढ़े : The truth of life: जब सबकुछ हाथ से छूटता दिख रहा हो, समझ जाना या तो मृत्यु करीब है या फिर मंजिल… !

Note :-

Disclaimer: यह आर्टिकल व लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है। यह आर्टिकल प्रकाशक किसी भी त्रुटि या चूक के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

| मुझे उम्मीद है की आपको यह आर्टिकल व लेख “! “धीरे–धीरे मर रहे हैं शौक हमारे धीरे–धीरे! जरुर पसंद आई होगी। हमारी हमेशा से यही कोशिश रहती है की रीडर को पूरी सही जानकारी प्रदान की जाये।

!!अगर आपको आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे आपने सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। इस आलेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद। avnnews.in में दोबारा विजिट करते रहें…..!!

By: KP
Edited  by: KP

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *