पटना के दारोगा प्रसाद राय पथ स्थित अम्बेडकर शोध एवं सेवा संस्थान में इस बार मानवाधिकार दिवस 2025 कुछ खास होने वाला है। समाज के कमजोर और वंचित तबके की आवाज़ को बुलंद करने के उद्देश्य से वंचित वर्ग मोर्चा, पटना ने एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिसमें मुख्य अतिथि होंगे—श्री उदय नारायण चौधरी, पूर्व अध्यक्ष, बिहार विधान सभा।
कार्यक्रम 10 दिसम्बर 2025 को दोपहर 12 बजे से शुरू होगा, और यह सिर्फ एक समारोह नहीं बल्कि संवैधानिक अधिकारों, सामाजिक न्याय और मानव गरिमा की रक्षा के प्रति एक सामूहिक संकल्प जैसा होगा।

पटना में क्यों खास है यह आयोजन?
मानवाधिकार दिवस हर साल हमें यह याद दिलाता है कि इंसान होने के नाते हर व्यक्ति को सम्मान, सुरक्षा और बराबरी का हक है। लेकिन सच यही है कि आज भी समाज में कई लोग अपने अधिकारों से वंचित हैं—कभी आर्थिक बदहाली के कारण, कभी जातिगत भेदभाव से और कभी प्रशासनिक लापरवाही से।
ऐसे में वंचित वर्ग मोर्चा द्वारा किया जा रहा यह आयोजन उन आवाज़ों को मंच देने की कोशिश है जिन्हें अक्सर समाज अनसुना कर देता है।
मुख्य अतिथि का संबोधन—उम्मीदों का नया रास्ता
श्री उदय नारायण चौधरी, जो सदैव सामाजिक न्याय और समान अधिकारों के मुद्दों को जोर-शोर से उठाते रहे हैं, कार्यक्रम में मानवाधिकारों की मौजूदा स्थिति, चुनौतियों और समाधान पर अपनी बात रखेंगे। उनकी उपस्थिति इस कार्यक्रम को न सिर्फ मजबूती देगी बल्कि युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी प्रेरित करेगी।
आयोजन स्थल और समय
स्थान: अम्बेडकर शोध एवं सेवा संस्थान, दारोगा प्र. राय पथ, पटना
दिनांक: 10 दिसम्बर 2025
समय: दोपहर 12:00 बजे से
आयोजक—वंचित वर्ग मोर्चा, पटना
यह संगठन वर्षों से सामाजिक समानता, शिक्षा, अधिकारों और कमजोर तबकों की आवाज़ को मजबूत करने के काम में जुटा है। उनका कहना है कि जब तक आखिरी व्यक्ति को न्याय नहीं मिलता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
संपर्क: 6207002866
क्यों ज़रूरी है ऐसे कार्यक्रम?
क्योंकि हर इंसान का हक है कि उसे बिना भेदभाव सम्मान मिले।
क्योंकि कई बार अधिकारों की जानकारी न होने से लोग अपने ही हक से वंचित रह जाते हैं।
क्योंकि समाज तभी आगे बढ़ता है जब सबसे कमजोर लोग भी सुरक्षित और सशक्त महसूस करें।
मानवाधिकार दिवस 2025 का यह आयोजन समाज में नई चेतना, संवाद और सकारात्मक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। पटना के लोगों के लिए यह अवसर है कि वे जुड़ें, समझें और मानवाधिकारों की लड़ाई में अपनी भूमिका तय करें।
“अधिकार तभी जीवित रहते हैं, जब समाज जागरूक रहता है।”
