Navratri special aarti in hindi

Navratri special aarti in hindi: नवरात्रि विशेष आरती : माँ के नौ दिन नौ रूपों की आरती..

नवरात्रि विशेष आरती – जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों (नवदुर्गा) की आराधना की जाती है। यह आरती हर दिन अलग-अलग रूपों की महिमा के साथ गाई जाती है, परंतु एक साथ सभी नौ रूपों की स्तुति व आरती करने के लिए यह आरती बहुत उपयुक्त है। इसमें शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक सभी रूपों की महिमा, स्वरूप, वाहन, और प्रभाव का उल्लेख है।

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Navratri special aarti in hindi

श्री दुर्गा चालीसा 

नमो नमो दुर्गे सुख करनी माता।

नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी माता॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।

तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।

दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।

पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।

तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।

परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।

श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।

दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।

महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।

लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै।

जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।

जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।

तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।

रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।

जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।

सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ संतन पर जब जब।

भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।

तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।

तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।

जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।

शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।

जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।

रिपू मुरख मौही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।

ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला। 

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥ 

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।

सब सुख भोग परमपद पावै॥

 देवीदास शरण निज जानी।

करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

।। दोहा ।।

शरणागत की रक्षा कर, भक्त रहे निशंक ॥ मैं आया तेरी शरण में, मातु लीजिए अंक ॥ 

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

माँ  दुर्गा जी की आरती

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥ 

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।

सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।

श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।

कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥

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माँ दुर्गा के नौ रूपों की आरती – (दैनिक अनुसार)

Navratri special aarti in hindi

1. नवरात्रि का पहला दिन की आरती माँ शैलपुत्री जी के नाम..

!! आरती देवी शैलपुत्री जी की !!

शैलपुत्री माँ बैल असवार। करें देवता जय जय कार॥

शिव-शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने न जानी॥

पार्वती तू उमा कहलावें। जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥

रिद्धि सिद्धि परवान करें तू। दया करें धनवान करें तू॥

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी॥

उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥

घी का सुन्दर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के॥

श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें। प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥

जय गिरराज किशोरी अम्बे। शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥

मनोकामना पूर्ण कर दो।चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो

 

2. नवरात्रि का दूसरा दिन की आरती माँ ब्रह्मचारिणी के नाम 

Navratri special aarti in hindi

!! आरती माँ ब्रह्मचारिणी जी की !!

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। 

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता। 

ब्रह्मा जी के मन भाती हो। 

ज्ञान सभी को सिखलाती हो। 

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। 

जिसको जपे सकल संसारा। 

जय गायत्री वेद की माता। 

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता। 

कमी कोई रहने न पाए। 

कोई भी दुख सहने न पाए। 

उसकी विरति रहे ठिकाने। 

जो ​तेरी महिमा को जाने। 

रुद्राक्ष की माला ले कर। 

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर। 

आलस छोड़ करे गुणगाना। 

मां तुम उसको सुख पहुंचाना। 

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। 

पूर्ण करो सब मेरे काम। 

भक्त तेरे चरणों का पुजारी। 

रखना लाज मेरी महतारी।

3. नवरात्रि का तीसरे दिन की आरती माँ चंद्रघंटा के नाम

Navratri special aarti in hindi

 

!! आरती माँ चंद्रघंटा जी की !!

जय माँ चंद्रघंटा सुख धाम

पूर्ण कीजो मेरे काम 

चंद्र समान तू शीतल दाती

चंद्र तेज किरणों में समाती

क्रोध को शांत बनाने वाली

मीठे बोल सिखाने वाली

मन की मालक मन भाती हो

चंद्र घंटा तुम वरदाती हो

सुंदर भाव को लाने वाली 

हर संकट मे बचाने वाली 

हर बुधवार जो तुझे ध्याये

श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय 

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं 

सन्मुख घी की ज्योत जलाएं 

शीश झुका कहे मन की बाता 

पूर्ण आस करो जगदाता 

कांची पुर स्थान तुम्हारा 

करनाटिका में मान तुम्हारा 

नाम तेरा रटू महारानी 

‘भक्त’ की रक्षा करो भवानी

 

4. नवरात्रि का चौथे दिन की आरती माँ कूष्मांडा के नाम 

Navratri special aarti in hindi

!! आरती माँ  कूष्मांडा जी की !!

माँ  कूष्मांडा को ध्याते

जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है उनका 

आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।

इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप॥

कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।

पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।

उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥

सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए।

शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥

नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां 

नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥

जय मां कूष्मांडा मैया।

 जय मां कूष्मांडा मैया॥

5. नवरात्रि का पांचवे दिन की आरती माँ स्कंद माता के नाम

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!! आरती माँ स्कंद माता जी की !!

 जय तेरी हो स्कंद माता 

पांचवां नाम तुम्हारा आता 

सब के मन की जानन हारी 

जग जननी सब की महतारी 

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं 

हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं   

कई नामों से तुझे पुकारा 

मुझे एक है तेरा सहारा 

कहीं पहाड़ों पर है डेरा 

कई शहरो मैं तेरा बसेरा 

हर मंदिर में तेरे नजारे 

गुण गाए तेरे भगत प्यारे 

भक्ति अपनी मुझे दिला दो 

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो 

इंद्र आदि देवता मिल सारे 

करे पुकार तुम्हारे द्वारे 

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए 

तुम ही खंडा हाथ उठाए 

दास को सदा बचाने आई 

‘चमन’ की आस पुराने आई…

6. नवरात्रि का छठे दिन की आरती माँ कात्यायनी के नाम आरती 

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!! आरती माँ कात्यायनी जी की !!

जय जय अंबे जय कात्यायनी ।

जय जगमाता जग की महारानी ।।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा ।।

कई नाम हैं कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की ।।

झूठे मोह से छुड़ानेवाली।

अपना नाम जपानेवाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी ।।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

7. नवरात्रि का सातवे दिन की आरती माँ कालरात्रि के नाम

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!! आरती माँ कालरात्रि जी की !!

कालरात्रि जय जय महाकाली

काल के मुंह से बचाने वाली 

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा 

महा चंडी तेरा अवतारा 

पृथ्वी और आकाश पर सारा 

महाकाली है तेरा पसारा 

खंडा खप्पर रखने वाली 

दुष्टों का लहू चखने वाली 

कलकत्ता स्थान तुम्हारा 

सब जगह देखूं तेरा नजारा 

सभी देवता सब नर नारी 

गावे स्तुति सभी तुम्हारी 

रक्तदंता और अन्नपूर्णा 

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना 

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी 

ना कोई गम ना संकट भारी 

उस पर कभी कष्ट ना आवे 

महाकाली मां जिसे बचावे 

तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह 

कालरात्रि मां तेरी जय

8. नवरात्रि का आठवें दिन की आरती माँ महागौरी के नाम 

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!! आरती माँ महागौरी जी की !!

जय महागौरी जगत की माया।

 जया उमा भवानी जय महामाया।।

 हरिद्वार कनखल के पासा।

 महागौरी तेरा वहां निवासा।।

 चंद्रकली और ममता अंबे।

 जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।

 भीमा देवी विमला माता।

 कौशिकी देवी जग विख्याता।।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।

 महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।

 सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।

उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

 बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।

 तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।

 तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।

 शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।

 शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

 माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।

 भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।

 महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

 

9. नवरात्रि का नौवें दिन की आरती माँ सिद्धिदात्री के नाम

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!! आरती माँ सिद्धिदात्री जी की !!

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता

तू भक्तों की रक्षक  तू दासों की माता, 

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि

कठिन  काम  सिद्ध  कराती  हो  तुम

हाथ  सेवक  के  सर  धरती  हो  तुम,

तेरी  पूजा  में  न  कोई  विधि  है

तू  जगदंबे  दाती  तू  सर्वसिद्धि  है

रविवार  को  तेरा  सुमरिन  करे  जो

तेरी  मूर्ति  को  ही  मन  में  धरे  जो, 

तू  सब  काज  उसके  कराती  हो  पूरे

कभी  काम  उस  के  रहे  न  अधूरे

तुम्हारी  दया  और  तुम्हारी  यह  माया

रखे  जिसके  सर  पैर  मैया  अपनी  छाया,

सर्व  सिद्धि  दाती  वो  है  भाग्यशाली

जो  है  तेरे  दर  का  ही  अम्बे  सवाली

हिमाचल  है  पर्वत  जहां  वास  तेरा

महानंदा मंदिर में है वास  तेरा,

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता

वंदना है सवाली तू जिसकी दाता…  

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Note: 

Disclaimer: नवरात्रि विशेष आरती सोर्स पर आधारित है, प्रकाशक किसी भी त्रुटि या चूक के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

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By: KP
Edited  by: KP

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