बिहार की राजनीति में सिकंदरा विधानसभा का अपना एक खास स्थान रहा है, और अगर यहां से बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी मैदान में उतरते हैं, तो मुकाबला सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि सियासी साख और सामाजिक संदेश का भी होगा।
बिहार में राजनीति के अनुभवी चेहरे
उदय नारायण चौधरी कोई साधारण नेता नहीं हैं। वो राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के वरिष्ठ नेता हैं और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। वे दलित समाज की मजबूत आवाज़ माने जाते हैं और उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा पिछड़ों, दलितों और वंचितों की बात को न सिर्फ उठाया है, बल्कि उसे निर्णायक मुकाम तक भी पहुँचाया है।
सिकंदरा की राजनीतिक तस्वीर
सिकंदरा विधानसभा, जमुई जिले में पड़ता है, जहां दलित, महादलित, अति पिछड़ा और मुस्लिम समाज की संख्या निर्णायक भूमिका में है। सामाजिक समीकरणों की दृष्टि से देखें, तो यह क्षेत्र उदय नारायण चौधरी जैसे नेता के लिए उपयुक्त माना जा सकता है, जिनकी पकड़ इन तबकों में गहरी रही है।
भावनात्मक जुड़ाव और जमीन से रिश्ता
चौधरी जी सिर्फ मंचों के नेता नहीं, बल्कि जनता से सीधे जुड़ाव वाले नेता हैं। वे ज़मीन से उठे हैं और आज भी आम लोगों के बीच उनकी पहुंच और प्रतिष्ठा बरकरार है। अगर वे चुनाव लड़ते हैं तो यह सिर्फ एक नेता का चुनाव नहीं होगा, बल्कि समानता और सम्मान की राजनीति का भी इम्तिहान होगा।
क्या कहता है राजनीतिक गणित?
सिकंदरा में 2015 और 2020 में जदयू ने जीत हासिल की थी।
लेकिन एनडीए और महागठबंधन की समीकरणों में हुए बदलावों ने इस सीट को ओपन बना दिया है।
अगर उदय नारायण चौधरी जैसे कद्दावर नेता मैदान में उतरते हैं, तो राजद को पिछड़ा-दलित-मुस्लिम समीकरण का एक मजबूत उम्मीदवार मिल सकता है।
चुनौतियाँ भी कम नहीं…
जदयू या भाजपा अगर यहां से मजबूत चेहरा लाती है, तो मुकाबला कांटे का होगा।
स्थानीय मुद्दों जैसे बेरोजगारी, सड़क-स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर लोगों की नाराजगी भी नेताओं को जवाबदेह बनाएगी।
जनता क्या चाहती है?
सिकंदरा की जनता अब सिर्फ नारों या जातीय समीकरणों से नहीं बहकने वाली। अब जनता चाहती है ऐसा प्रतिनिधि जो उनकी बात को विधानसभा तक मजबूती से पहुँचा सके, जो सिर्फ चुनावों में नहीं, हर वक्त उनके साथ खड़ा रहे। ऐसे में उदय नारायण चौधरी जैसे नेता के चुनाव लड़ने की संभावना जनता में नई उम्मीद की किरण जगा सकती है।
उदय नारायण चौधरी के सिकंदरा में चुनाव लड़ने से राजद को मजबूती देगी
अगर उदय नारायण चौधरी सिकंदरा विधानसभा से चुनाव लड़ते हैं, तो ये केवल एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में सामाजिक न्याय की पुनर्परिभाषा की लड़ाई होगी। उनकी उम्मीदवारी न सिर्फ राजद को मजबूती देगी, बल्कि क्षेत्र की जनता को भी एक ऐसा चेहरा दे सकती है, जो उनकी आवाज़ को सत्ता के गलियारों तक ले जाने में सक्षम हो।
