Jagannath Rath Yatra facts : जगन्नाथ रथ यात्रा के बाद इन रथों का क्या होता है?
Jagannath Rath Yatra facts : जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल ओडिशा के पुरी में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा तीन विशाल रथों में विराजमान होकर गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं। यह यात्रा लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भाईचारे, समानता और भक्ति की अद्वितीय मिसाल भी है। दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं और ‘रथ खींचने’ का सौभाग्य प्राप्त करते हैं, जिसे अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।
लेकिन एक सवाल अक्सर हमारे मन में आता है कि — रथ यात्रा के बाद इन विशाल रथों का क्या होता है?
रथ यात्रा के समाप्त होने पर, जब भगवान अपने मुख्य मंदिर (श्री जगन्नाथ मंदिर) में लौट जाते हैं, तब इन रथों को वहीं छोड़ दिया जाता है। कुछ समय बाद इन रथों को विसर्जित (dismantle) कर दिया जाता है।
हर साल नए रथ बनाए जाते हैं, क्योंकि रथों को केवल एक बार ही उपयोग में लाया जाता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि भगवान हर साल नवीन वाहन यानि कि नए रथ का उपयोग करते हैं।
पुराने रथों की लकड़ियों को पवित्र माना जाता है और इन्हें श्रद्धालु मांगकर ले जाते हैं। कई बार इन लकड़ियों का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों या घर के मंदिर में भी किया जाता है।
इस तरह, रथ यात्रा न केवल एक भव्य आयोजन होती है, बल्कि इसके हर पहलू में गहरी आस्था और परंपरा छुपी होती है।
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व :
हर साल आषाढ़ महीने में निकलने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और समानता का महान प्रतीक है।
धार्मिक महत्व:
यह यात्रा भगवान श्रीकृष्ण (जगन्नाथ), बलभद्र और सुभद्रा जी के गुंडिचा मंदिर जाने की परंपरा से जुड़ी है। इसे भगवान के भक्तों के बीच आने का एक दिव्य अवसर माना जाता है।
भक्ति और सेवा का प्रतीक:
लाखों लोग इस यात्रा में भाग लेते हैं और रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि रथ की रस्सी खींचने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
समानता और एकता का संदेश:
इस दिन हर जाति, वर्ग और धर्म के लोग एक साथ रथ खींचते हैं। भगवान जगन्नाथ सभी के ईश्वर हैं – अमीर-गरीब, छोटे-बड़े सभी उनके भक्त हैं।
सांस्कृतिक विरासत:
पुरी की यह यात्रा नृत्य, संगीत, परंपरा और रंग-बिरंगे उत्सवों का संगम है। यह भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती है।
जय जगन्नाथ!
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Note:
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