Indian Market Crashed: भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट बदस्तूर जारी है। कल शुक्रवार को BSE का सेंसेक्स 1,400 अंक या 1.9% से अधिक की गिरावट आई है, और 4 फरवरी से लगातार बदस्तूर गिरावट का दौर जारी है। तब से लेकर अब तक में सेंसेक्स 78,500 से लुढ़ककर 73,000 पर आ गया है, कुल मिलाकर सेसेंक्स में 6.7% की गिरावट आई है।

मार्केट में जारी इस गिरावट को लेकर ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के सह-सीआईओ, इक्विटी, अनीश तवाकले ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में उच्च मूल्यांकन और मंदी का बड़ा कारण यह है कि विदेश निवेशक अपने पोर्टफोलियों में से भारतीय बाजार का पैसा निकाल रहे हैं।

भारतीय बाजार ट्रंप की वजह से नहीं गिरा

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह गिरावट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा ट्रैरिफ रेट की धमकियों की वजह से बिल्कुल नहीं आई है। वही इतना ही नहीं, तवाकले ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल तत्व बरकरार हैं और अगर मौद्रिक और राजकोषीय सपोर्ट जारी रहता है, और कमजोर डिमांड को बढ़ावा दिया जाता है तो अर्थव्यवस्था को गति मिल जाएगी, जिससे लिक्विडिटी एक बार फिर बढ़ेगी।

घरेलू पहलुओं के चलते भी गिरता मार्केट

अनीश तवाकले ने अमेरिकी ट्रैरिफ को लेकर कहा कि उन्हें नहीं लगता कि टैरिफ सबसे महत्वपूर्ण कारक है। सबसे महत्वपूर्ण कारक घरेलू हैं। बाजार केवल बाहरी दुनिया पर रिएक्ट नहीं करते बल्कि वास्तविकता यह है कि पिछले छह महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था थोड़ी धीमी हो गई है।

सिर्फ इतना ही नहीं, इसके अलावा शेयर का मूल्यांकन उच्च स्तर पर ही रहा है, और हम कह रहे हैं कि बाजार का मिड- और स्मॉल-कैप पक्ष महंगा था, और इसमें सुधार होना चाहिए। अगर चीन के मार्केट को देखें तो उस पर लगाए गए और हटाए गए टैरिफ और कई अन्य बाहरी कारकों के बावजूद यह 35-40 वर्षों तक 10% की दर से बढ़ा है, क्योंकि उन्होंने अर्थव्यवस्था के अपने घरेलू पक्ष को सही किया है।

विदेशी क्यों नही निकाल रहे अपना पैसा?

वहीं एक बड़ा सवाल यह भी है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लगातार क्यों पैसा निकाल रहे हैं? इसको लेकर उन्होंने कहा कि यदि यह चालू खाता है, जो अर्थव्यवस्था की वास्तविकता को दर्शाता है, तो कैपिटल फ्लो निवेशकों के मूड में उतार-चढ़ाव और कथित जोखिमों और कथित कारणों को दर्शाता है, जो शायद उतना प्रासंगिक न हो। हम कुछ समय से कह रहे हैं कि बाजार का स्मॉल- और मिड-कैप सेगमेंट महंगा था, और इसमें सुधार होना चाहिए।

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जीडीपी में आई है थोड़ी मंदी

अनीश तवाकले ने कहा है कि अगर आप बाजार में हुई कुछ बिकवाली को देखें तो पाएंगे कि यह सिर्फ एफआईआई की वजह से नहीं है। एमएनसी प्रमोटर्स ने भी बाहर निकलने का फैसला किया है, क्योंकि चूंकि वैल्यूएशन अनुकूल था, इसलिए उन्हें लगा कि वे अपने द्वारा बनाए गए मूल्य का कुछ हिस्सा भुना सकते हैं। यह भारतीय बाजार के वैल्यूएशन स्तरों की वजह से भी है जिसने पैसे निकालने के कुछ फैसलों को प्रासंगिक बनाया। साथ ही, पिछले छह महीनों में अर्थव्यवस्था में मंदी आई है।

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कोई बुनियादी अस्थिरता नहीं है। चालू खाता घाटा ठीक है, मुद्रास्फीति की दर ठीक है, कॉर्पोरेट और बैंक बैलेंस शीट स्वस्थ हैं, इसलिए अर्थव्यवस्था में कोई बुनियादी समस्या नहीं है।

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डिमांड कमजोर होने से है थोड़ी परेशानी

वही अनीश तवाकले ने कहा है कि एकमात्र बात यह है कि अभी डिमांड कमजोर है लेकिन यह आसानी से हल होने वाली समस्या है। उस मांग को संबोधित करने के लिए मौद्रिक और राजकोषीय नीति उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है। हमें केंद्रीय बजट में कुछ राजकोषीय सहायता मिली है, और मुझे उम्मीद है कि हमें मौद्रिक पक्ष से और अधिक सहायता मिलती रहेगी।

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कोई अस्थिरता का मुद्दा नहीं है, यह देखते हुए कि यह केवल मांग का मुद्दा है, और आरबीआई मांग का समर्थन करता है, मुझे विश्वास है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से गति पकड़ लेगी। एक बार जब यह गति पकड़ लेगी, तो पूंजी प्रवाह भी वापस आ जाएगा। इसमें एक या दो तिमाही लग सकती है। शेयर मार्केट में की ताजा स्थिति की बात करें तो आज भी मार्केट गिरा है, जिससे हड़कंप मच गया है।

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