Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट आज एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करेगा, जिसमें चुनाव आयोग के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें मतदान केंद्र पर अधिकतम मतदाताओं की संख्या 1,200 से बढ़ाकर 1,500 करने का फैसला लिया गया था। यह याचिका इंदू प्रकाश सिंह की और से दायर की गई है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच पीआईएल पर सुनवाई करेगी।

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चीफ जस्टिस संजीव खन्ना

इंदू प्रकाश ने अगस्त 2024 में चुनाव आयोग की और से जारी दो आदेशों को चुनौती दी है, जिनमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या को बढ़ाया गया है। याचिकाकर्ता का दावा है कि मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का फैसला मनमाना है और यह किसी आंकड़े पर आधारित नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्तूबर को चुनाव आयोग नोटिस जारी करने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्तूबर को चुनाव आयोग को कोई नोटिस जारी करने से इनकार किया था। लेकिन याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वह चुनाव आयोग के वकील को यह याचिका की प्रति भेजे, ताकि इस मुद्दे पर चुनाव आयोग का रुख सामने आ सके।

याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा था कि (मतदान केंद्रों पर) 1,200 से 1500 मतदाताओं की संख्या बढ़ाने से गरीब तबके के लोग चुनाव प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं, क्योंकि इससे मतदान में अधिक समय लगेगा। उन्होंने यह भी कहा कि मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें और लंबा इंतजार मतदाताओं को मतदान करने से हतोत्साहित कर सकते हैं।

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याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक सिंघवी

हालांकि, बेंच ने जब कहा था कि चुनाव आयोग का मकसद अधिक से अधिक लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करना है और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के उपयोग से मतदान प्रक्रिया पहले के मुकाबले कम समय में भी हो जाती है। बेंच ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग मतदान प्रक्रिया के समय को कम करने के लिए मतदान केंद्रों पर ईवीएम (EVM ) की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा था कि इस फैसले का असर महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों में (अब संपन्न हो चुके चुनाव) और अगले साल होने वाले बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनावों पर भी पड़ेगा। इंदू प्रकाश ने बताया है कि चुनाव सामान्य रूप से 11 घंटे का होता है और एक वोट डालने में 60 से 90 सेकंड का समय लगता है, जिससे एक मतदान केंद्र पर ईवीएम (EVM) के जरिए 490 से 660 लोग एक दिन में मतदान कर सकते हैं।

उन्होंने कहा है कि कुछ मतदान केंद्रों पर मतदान 80-90 फीसदी तक होता है, जिससे लंबी कतारें और इंतजार करने का समय बढ़ सकता है। याचिका में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में करीब 20 फीसदी मतदाता या तो मतदान के समय के बाद कतार में खड़े रहेंगे या लंबे इंतजार के कारण मतदान का अपना अधिकार छोड़ देंगे, जो एक प्रगतिशील लोकतंत्र के लिए स्वीकार्य बिलकुल नहीं है।

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