Raksha Bandhan Festival : रक्षाबंधन सावन महीने का आखिरी दिन होता है, जिसे श्रावणी या सलूनो भी कहते हैं। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को खास बनाने के लिए मनाया जाता है। हालाकि इस साल 2024 में यह 19 अगस्त को मनाया जा रहा है जिसमे इस दिन भद्रा का असर रहेगा, जो दोपहर 1:25 बजे तक जारी रहेगा। इस अवधि के दौरान राखी बांधना वर्जित माना जाता है।
आम तौर पर, इस दिन बहनें अपने भाईयों को राखी बांधती हैं। लेकिन हमारे देश में इस परंपरा का पालन ब्राह्मणों, गुरुओं और प्रतिष्ठित व्यक्तियों के लिए भी किया जाता है।
Raksha Bandhan Festival
- कुछ स्थानों पर वृक्षों और भगवानों को भी राखी बांधने की परंपरा है, जो कि एक विशेष श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है।
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में इस दिन भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए पुरुष आपस में भगवा रंग की राखी बांधते हैं।
- हिन्दू धर्म के धार्मिक अनुष्ठानों में जब रक्षासूत्र बांधा जाता है, तब पण्डित या आचार्य संस्कृत में एक विशेष श्लोक का उच्चारण करते हैं। यह श्लोक राजा बलि से जुड़ा हुआ है और इसमें कहा जाता है कि जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूँ। इस श्लोक के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि व्यक्ति अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।
- भारत के कई राज्यों में रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाईयों के कान के ऊपर भोजली या भुजरियां लगाने की परंपरा निभाती हैं। यह परंपरा भाईयों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए की जाती है।
- नेपाल के पहाड़ी इलाकों में ब्राह्मण और क्षेत्रीय समुदाय में रक्षा बन्धन पर गुरू के हाथ में राखी बांधी जाती है। यह परंपरा गुरू के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने का एक तरीका है।
- राखी प्यार और वचन का त्योहार है, और इसका उपयोग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जन जागरण के लिए किया गया था। इस पहल का नेतृत्व गुरूदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने किया था, जिन्होंने राखी के माध्यम से एकता और एकजुटता की भावना फैलाने की कोशिश की।
- अमरनाथ यात्रा भी रक्षाबंधन के दिन समाप्त होती है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि हिमानी शिवलिंग इसी दिन आकार ग्रहण करता है, जिससे यह धार्मिक महत्व और श्रद्धा का केंद्र बन जाता है।
- महाराष्ट्र में रक्षाबंधन को नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन मराठी लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं, जो इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- राजस्थान में इस दिन रामराखी और चूड़ाराखी या लूंबा बांधने की परंपरा है। ये परंपराएं क्षेत्रीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा हैं, जो इस विशेष दिन को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।
- रामराखी केवल भगवान राम को बांधी जाती है, जो एक धार्मिक और पूजनीय परंपरा है। यह राखी भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होती है।
- चूड़ा राखी का उपयोग भाभियों द्वारा नंदों को बांधने के लिए किया जाता है। यह परंपरा परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और स्नेह को बढ़ाने का एक तरीका है।
- तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और उड़ीसा में दक्षिण भारतीय ब्राह्मण इस पर्व को अवनि अवित्तम के नाम से जानते हैं। यह पर्व विशेष रूप से धार्मिक महत्व रखता है और इन क्षेत्रों में इसे विशेष श्रद्धा और विधियों के साथ मनाया जाता है।