किराएदार ध्यान दें! किराया देने वालों के लिए नए नियम लागू—अब देना होगा TDS ! एग्रीमेंट के नियम भी जानें..
भारत में बढ़ते किराया बाजार के बीच सरकार ने टैक्स नियमों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। खासकर उन किराएदारों के लिए जो हर महीने अधिक किराया देते हैं। नए नियमों के अनुसार अब एक निश्चित राशि से ऊपर किराया देने पर TDS (Tax Deducted at Source) काटना अनिवार्य हो गया है। इसके साथ ही किराया एग्रीमेंट की कानूनी आवश्यकता भी और सख्त कर दी गई है।
यह बदलाव आम किराएदारों, नौकरीपेशा लोगों, मकान मालिकों और एजेंसियों—सभी पर प्रभाव डालता है। आइए समझते हैं कि यह नियम क्या हैं, किस पर लागू होंगे और क्या सावधानियाँ जरूरी हैं।
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1. ज्यादा किराया देने वालों के लिए TDS के नए नियम
कौन-सा किराया TDS के दायरे में आता है?
आयकर कानून के तहत यदि कोई किराएदार हर महीने ₹50,000 या उससे अधिक किराया देता है, तो उसे अब TDS काटना अनिवार्य है।
यह नियम आयकर अधिनियम की धारा 194-IB के तहत आता है।
कितना TDS काटना होगा?
- मासिक किराए पर 2% TDS काटना होगा।
- TDS केवल साल में एक बार, यानी पूरे वित्त वर्ष के कुल किराए पर लागू होगा।
- किराया भुगतान मकान मालिक को देने से पहले TDS राशि काटकर जमा करनी होती है।
किन लोगों पर लागू?
- नौकरीपेशा लोग
- सेल्फ-एम्प्लॉयड लोग
- HUF
- स्टूडेंट्स जो हाई-एंड रेंटल प्रॉपर्टी लेते हैं
- कोई भी व्यक्ति जो प्रति माह ₹50,000 या उससे अधिक किराया देता है
नोट: यह नियम केवल व्यक्तियों पर लागू है, कंपनियों पर नहीं।
2. TDS जमा करने की प्रक्रिया
Step 1: मकान मालिक के पैन (PAN) की जानकारी लें
किराएदार को TDS काटते समय मकान मालिक का PAN अनिवार्य रूप से दर्ज करना होता है। यदि PAN नहीं दिया जाता तो TDS 20% तक लग सकता है।
Step 2: फॉर्म 26QC भरना
- वेबसाइट: TIN NSDL Portal
- विवरण दर्ज करें:
- किराया राशि
- दोनों पक्षों का PAN
- अवधि
Step 3: TDS जमा करना
किराएदार बैंक के जरिए ऑनलाइन TDS जमा करता है।
Step 4: फॉर्म 16C मकान मालिक को दें
यह TDS सर्टिफिकेट होता है।
3. किराया एग्रीमेंट के नए नियम
अब किराएदार और मकान मालिक दोनों के लिए किराया एग्रीमेंट करवाना महत्वपूर्ण हो गया है।
क्यों जरूरी है रेंट एग्रीमेंट?
- TDS भरने के लिए
- पुलिस वेरिफिकेशन के लिए
- एड्रेस प्रूफ के लिए
- सिक्योरिटी डिपॉजिट की शर्तों को स्पष्ट करने के लिए
- भविष्य में विवाद से बचने के लिए
एग्रीमेंट में क्या-क्या होना चाहिए?
- किराया राशि
- सिक्योरिटी डिपॉजिट
- नोटिस अवधि
- बिजली-पानी के बिल की जिम्मेदारी
- पालतू जानवर / पार्किंग नियम
- एग्रीमेंट की वैधता अवधि
- मकान मालिक और किराएदार के हस्ताक्षर
- गवाहों के सिग्नेचर
रजिस्टर्ड एग्रीमेंट क्यों?
सख्त नियमों के तहत कई राज्यों में अब रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट (Registered Rent Agreement) अनिवार्य है।
रजिस्टर्ड एग्रीमेंट ज्यादा वैध माना जाता है और कोर्ट में भी स्वीकार्यता रखता है।
4. मकान मालिक को क्या फायदा?
- किराए की आय का सटीक रिकॉर्ड
- TDS क्रेडिट सीधे आयकर रिटर्न में मिल जाता है
- किराएदार की पहचान व सत्यापन आसान
- विवाद की स्थिति में कानूनी सुरक्षा
5. किराएदार को क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
✔ किराया ₹50,000+ है तो TDS काटना अनिवार्य
✔ PAN–Aadhaar की जानकारी सही दर्ज करें
✔ हर साल फॉर्म 26QC भरें
✔ मकान मालिक को फॉर्म 16C देना न भूलें
✔ रेंट एग्रीमेंट अवश्य बनवाएं
✔ नकद किराया देने से बचें
✔ सुरक्षा को देखते हुए पुलिस वेरिफिकेशन कराएं
6. यदि TDS नहीं काटा तो क्या होगा?
- ब्याज और पेनल्टी लग सकती है
- IT विभाग नोटिस भेज सकता है
- मकान मालिक को नुकसान होगा क्योंकि TDS क्रेडिट नहीं मिलेगा
7. नियम तोड़ने पर भारी पेनल्टी
नए नियमों को फॉलो न करने पर पेनल्टी का भी प्रावधान है. रोजाना 200 रुपये लेट फीस लगना, TDS न काटने पर 1% ब्याज, TDS न जमा करने पर 1.5% ब्याज, 10,000 से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना के साथ-साथ गंभीर मामलों में 3 महीने से 7 साल तक जेल भी जाना पड़ सकता है.
8. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
अब रेंट एग्रीमेंट सिर्फ कागजों में नहीं रहेगा. साइन करने के 60 दिनों के भीतर इसका ऑनलाइन रजिस्टर होना जरूरी है. इससे बिना लिखित या मनमाना एग्रीमेंट अब खत्म होंगे. समय पर रजिस्टर न करने पर 5,000 रुपये तक जुर्माना लगेगा.
9. किराए में बढ़ोतरी पर कंट्रोल
अब मकान मालिक अचानक किराया नहीं बढ़ा सकेंगे. किराया बढ़ाने से 90 दिन पहले लिखित नोटिस देना होगा. किराएदार को अचानक घर खाली नहीं करवाया जा सकेगा बड़े शहरों में अक्सर किराएदारों को अचानक घर खाली करने को कहा जाता था. नए नियमों के तहत बिना रेंट ट्रिब्यूनल के आदेश से किसी को घर खाली नहीं कराया जा सकता.
10. मरम्मत और घर की इंस्पेक्शन के नियम
मकान मालिक को घर में मरम्मत या जांच के लिए आने से 24 घंटे पहले बताना होगा. साथ ही जरूरी मरम्मत 30 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए. अगर नहीं होती, तो किराएदार किराया कम कर सकता है या खुद मरम्मत कराकर पैसे समायोजित कर सकता है. इसके साथ ही विवादों को निपटाने के लिए भी नियम बनाए गए हैं. किराए, डिपॉजिट, गलत तरीके से घर खाली करवाने या नुकसान के मामलों को अब 60 दिनों में सुलझाया जाएगा.
निष्कर्ष
सरकार के इन नए नियमों का उद्देश्य किराया बाजार में पारदर्शिता लाना है। यदि आप भी प्रति माह ₹50,000 या उससे अधिक किराया देते हैं, तो आपको TDS से जुड़े नियमों का पालन करना आवश्यक है। साथ ही किराया एग्रीमेंट बनवाना दोनों पक्षों के हित में है। यह छोटे से प्रयास से भविष्य की कई जटिलताओं से बचा सकता हैं।
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Note:
Disclaimer/अस्वीकरण: नीतियों और नियमों में होने वाले बदलावों की नवीनतम और सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट देखें। क्योकि नियमों में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं, इसलिए किसी भी कार्रवाई से पहले आधिकारिक पुष्टि अवश्य करें। यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह आर्टिकल प्रकाशक किसी भी त्रुटि या चूक के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
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