AVN News Desk New Delhi: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी सरकार में अभी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. राज्यसभा चुनाव से ये अब साफ हो चुका है. राज्यसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस पार्टी के 6 विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है, उससे उनकी ‘नाराजगी’ अब साफ नजर आ रही है.

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पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा

ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास सरकार बचाने की चुनौती भी सामने है. हालांकि, सुक्खू ने सभी बागी विधायकों की वापसी की उम्मीद जताई है. इस पूरे सियासी ड्रामे के बीच कांग्रेस पार्टी आलाकमान भी अब एक्टिव हो गया है. कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘असंतुष्ट’ विधायकों को मनाने का जिम्मा पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और कर्नाटक डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को सौंपा है. बताया जा रहा है कि बागी विधायक मुख्यमंत्री सुक्खू के काम करने के तरीके से बेहद नाराज हैं और उनकी जगह किसी और के हाथों में राज्य की कमान चाहते हैं.

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कर्नाटक डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार

भाजपा के संपर्क में हैं बागी विधायक

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि हरियाणा के पूर्व सीएम हुड्डा और कर्नाटक के डिप्टी सीएम शिवकुमार बुधवार को शिमला पहुंच जाएंगे. कांग्रेस पार्टी के 6 बागी विधायक भी मंगलवार को वोट डालने के लिए शिमला से हरियाणा पहुंच चुके हैं. बताया जा रहा है कि हिमाचल में कांग्रेस पार्टी की सरकार पर संकट के बीच ये बागी विधायक भारतीय जनता पार्टी नेताओं के संपर्क में बने हुए हैं.
कांग्रेस आलाकमान ने ये फैसला ऐसे वक्त पर लिया है, जब भाजपा भी एक्टिव मोड में आ गई है. बीजेपी के सभी विधायक बुधवार सुबह राज्यपाल से मिलेंगे. बताया जा रहा है कि भाजपा राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. साथ ही फ्लोर टेस्ट की भी मांग कर सकती है, क्योंकि बीजेपी पार्टी का मानना है कि कांग्रेस सरकार बहुमत खो चुकी है.

हिमाचल प्रदेश में क्या लाया जाएगा अविश्वास प्रस्ताव?

राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद अब नया सियासी संकट भी उभरता नजर आ रहा है. 68 सीटों वाली विधानसभा में सरकार बनाने और बचाने के लिए 35 विधायकों का समर्थन बेहद जरूरी है.

लेकिन राज्यसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस पार्टी सरकार पर अब खतरा मंडराने लगा है. कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की बात भी सामने आ रही है. हालांकि, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उम्मीद जताई है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो सभी विधायक उनके साथ खड़े रहेंगे.

लेकिन यहां भी एक पेच फशा हुआ है. अगर अविश्वास प्रस्ताव लाया भी जाता है और फ्लोर टेस्ट होता भी है तो राज्यसभा चुनाव की तरह ही यहां भी क्रॉस वोटिंग हो सकती है. जिन 6 विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में वोट किया है. अगर उन्होंने फ्लोर टेस्ट में क्रॉस वोटिंग की तो कांग्रेस पार्टी सरकार का गिरना लगभग तय है.

लेकिन अगर कांग्रेस पार्टी के ये 6 विधायक भाजपा में शामिल  होते हैं तो ऐसे में कांग्रेस सरकार बच सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ये विधायक बिना इस्तीफा दिए भाजपा में शामिल नहीं हो सकते. अगर ऐसा होता है तो सदन में विधायकों की संख्या घटकर 62 हो जाएगी. ऐसी स्थिति में फिर बहुमत का आंकड़ा 32 हो जाएगा. जबकि कांग्रेस पार्टी के पास अभी भी 34 विधायक हैं.

राज्यसभा चुनाव में कैसे हुआ था खेला?

हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एक ही सीट पर चुनाव था. इसे जीतने के लिए केवल 35 विधायकों के वोट की जरूरत थी. कांग्रेस पार्टी के पास 40 विधायक हैं, इसलिए पार्टी के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की जीत लगभग तय मानी जा रही थी. भारतीय जनता पार्टी के यहां 25 विधायक हैं. उसके पास बहुमत से 10 वोट कम थे, फिर भी भारतीय जनता पार्टी ने हर्ष महाजन को उम्मीदवार बना दिया था.

जब चुनाव हुए तो कांग्रेस पार्टी के 6 विधायकों ने तो क्रॉस वोटिंग की. लेकीन तीन निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में वोट कर दिया. इससे भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार को 34-34 वोट मिले. आखिरकार पर्ची के जरिए फैसला किया गया था, जिसमें भाजपा के हर्ष महाजन की जीत हुई.
नतीजों के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने हार मानते हुए कहा है कि मैं उन 9 विधायकों का भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जो कल तक हमारे साथ बैठे थे, उनमें से तीन आज सुबह हमारे नाश्ते पर भी साथ आए थे. मुझे उनसे बहुत सीख मिली है.

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कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी

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