परिचय : कावेरी नदी का जल विवाद एक प्रकार राज्य जल विवाद है जो भारतीय राज्यों कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच चल रहा है। यह विवाद दक्षिण भारत में कावेरी नदी के पानी के वितरण पर मानवीय और आर्थिक आधारित है, और इसका समाधान सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के माध्यम से प्राप्त किया जा रहा है। यह विवाद सदियों से चल रहा है और इसमें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक पहलुओं को सम्मिलित किया गया है।
विवाद का कारण : कावेरी नदी, भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक महत्वपूर्ण नदी है, जिसका उद्गम कर्नाटक राज्य के कुड़गु जिले में होता है। यह नदी स्वतंत्रता के बाद भारतीय राज्यों के बीच संघटित नहीं की गई बल्कि उसका जल किसी न किसी रूप में संघटित तरीके से प्राप्त होता रहा है। कावेरी की प्रमुखता यहाँ तक है कि यह साउथ इंडिया के कृषि, संवाद, और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण जल स्रोत है।
कावेरी जल विवाद की आधारभूत समस्या यह है कि कावेरी नदी का जल स्रोत कर्नाटक में होता है, लेकिन इसका पानी तमिलनाडु में जाकर गिरता है। दोनों राज्यों में जलसंसाधन की बढ़ती मांग के साथ, यह प्रश्न उठता है कि कैसे नदी के पानी को न्यायिक रूप से बाँटा जाए।
कावेरी जल विवाद की कहानी आजादी से पहले की है, जब तमिलनाडु का मद्रास प्रेसिडेंसी और कर्नाटक का मैसूर साम्राज्य होता था। 1892 में और 1924 में, इन दोनों क्षेत्रों के बीच समझौते हुए, जिसमें नदी के पानी का बंटवारा भी तय किया गया था। तमिलनाडु का दावा था कि उसे कावेरी के जल के उपयोग का अधिकार होना चाहिए, क्योंकि ज्यादातर जल का उपयोग उसके कृषि क्षेत्र में होता है। कर्नाटक ने इसके खिलाफ खड़ा होकर उसके विरोध में खरे उतरा, क्योंकि उसके क्षेत्रों में भी यह पानी महत्वपूर्ण था।
समाधान की कोशिश: स्वतंत्रता के बाद, इस विवाद का समाधान नहीं पाया गया और यह सिर्फ बढ़ता चला गया । तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कि कावेरी नदी से कम से कम 24,000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को हर दिन प्रदान किया जाए, जबकि कर्नाटक ने इसके खिलाफ खड़े होकर उसे विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद का समाधान ढूंढने के लिए संयुक्त परियोजना बनाने का निर्णय दिया, जिसमें नदी के पानी का वितरण और उपयोग कंट्रोल किए जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अनेक बार इस मामले में फैसला सुनाया, लेकिन विवाद का समाधान हमेशा के लिए नहीं हुआ। 1991 में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को एक वर्ष में तमिलनाडु को 192 टीएमसी पानी प्रदान करने का आदेश दिया था। उसके बाद भी, सुप्रीम कोर्ट ने कई बार अन्य आदेश दिए, लेकिन वे सभी परिणामस्वरूप नहीं रहे।
कावेरी नदी का जल विवाद एक चुनौतीपूर्ण समस्या है जो विभिन्न पहलुओं को शामिल करती है, जैसे कि जलसंसाधन, कृषि, पानी के वितरण का तरीका, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मायने, और राजनीतिक आधार। इसका समाधान सुप्रीम कोर्ट की सुनी गई फैसलों के माध्यम से होता चला जा रहा है ।