जमुई से दूसरी बार विधायक बनीं श्रेयसी सिंह पर जनता का भरोसा लगातार बना हुआ है। लोगों ने उम्मीद के साथ उन्हें दूसरी बार अवसर दिया है और बिहार सरकार में मंत्री भी बनी है। लोगों को लगता है कि उनके नेतृत्व में जमुई और भी विकसित होगा। लेकिन जिले के सबसे महत्वपूर्ण दफ्तर — जमुई जिला रजिस्ट्री ऑफिस — की स्थिति आज भी बेहद खराब है।

यह वही जगह है जहाँ रोजाना किसान, मजदूर, महिलाएं, बुजुर्ग और दूर-दराज़ से आने वाले लोग अपनी जमीन की रसीद कटवाने, खरीद-बिक्री का काम कराने और जरूरी सरकारी प्रक्रिया पूरी कराने आते हैं। लेकिन अफसोस, इस दफ्तर की हालत देखकर लगता ही नहीं कि यह किसी जिले का सरकारी कार्यालय है।

न महिलाओं के लिए शौचालय, न पुरुषों के लिए — शर्मनाक स्थिति

आज के समय में जब सरकार “स्वच्छ भारत” और “सुविधाजनक कार्यालय” की बात करती है, जमुई रजिस्ट्री ऑफिस में शौचालय तक की सुविधा नहीं है।
महिलाएं कई बार मजबूरी में घंटों तक काम रोककर बैठी रहती हैं, क्योंकि वहां जाने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है।
पुरुष भी परेशानी से गुजरते हैं, लेकिन महिलाओं की स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय है।

जमुई
जमुई की जनता

धूप-बारिश से बचने की कोई व्यवस्था नहीं

कई लोग सुबह 9 बजे से लाइन में लग जाते हैं। अगर धूप तेज हो तो जलते टिन के नीचे इंतजार करना पड़ता है, और यदि बारिश हो जाए तो लोग भीगते रह जाते हैं।
किसान अपने दस्तावेज बचाते-बचाते परेशान हो जाते हैं, मजदूर बारिश में खड़े-खड़े कांपते हैं, लेकिन ऑफिस में एक छत तक का इंतजाम नहीं है जहाँ लोग कुछ देर खड़े हो सकें।

कैंटीन या पीने के पानी तक की सुविधा नहीं

रोज सैकड़ों लोग आते हैं, लेकिन वहां न कैंटीन है, न चाय-पानी की कोई व्यवस्था।
कई महिलाएं सुबह से काम निपटाने आती हैं और दोपहर तक बिना कुछ खाए-बिना पानी के परेशान बैठी रहती हैं। बुजुर्गों को तो कई बार कमजोरी आ जाती है।

जमुई के लोग टैक्स भी देते हैं, वोट भी — फिर सुविधा क्यों नहीं? यह सबसे बड़ा सवाल है।

जमुई के लोग अपनी गाड़ी कमाई से लाखों रुपए टैक्स देते हैं, रजिस्ट्री ऑफिस में हर दिन सरकार को कितना राजस्व मिलता है—यह किसी से छुपा नहीं है।
लेकिन उसी दफ्तर में जनता को बुनियादी सुविधा तक न मिले, तो यह व्यवस्था पर सवाल उठना लाज़मी है।

लोग कहते हैं —

“सरकारी दफ्तर में जाना मतलब परेशान होना। फिर हम टैक्स क्यों देते हैं?”

आशा है जमुई की जनता ने जिस उम्मीद से उनको चुना है वह उन उम्मीदों पर खरा उतरेगी. और स्वर्गीय दादा दिग्विजय सिंह यानी अपने पिता का सपना पूरा करेंगी.

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