एवीएन न्यूज डेस्क कोलकाता: पश्चिम बंगाल के सिंगूर जमीन विवाद में टाटा को बड़ी कामयावी मिली है। टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा मोटर्स लिमिटेड को इस विवाद में 766 करोड़ रुपये मिलेंगे। पश्चिम बंगाल सरकार को ये राशि टाटा ग्रुप को चुकानी होगी।
सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पंचाट न्यायाधिकरण ने मामले का निपटारा करते हुए आज टाटा मोटर्स के पक्ष में फैसला सुनाया है। इसमें कहा गया है कि टाटा मोटर्स अब प्रतिवादी पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (WBIDC) से 11 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज के साथ 765.78 करोड़ रुपये की राशि वसूलने की हकदार होगी।
नैनो कार फैक्ट्री लगाने की मिली थी मंजूरी
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार ने टाटा को सिंगूर में ‘लखटकिया’ यानी नैनो कार फैक्ट्री लगाने की अनुमति दी थी। तब ममता बनर्जी विपक्ष में थीं। ममता बनर्जी ने वाममोर्चा सरकार पर सिंगूर में टाटा के लिए जबरन जमीन अधिग्रहण (Acquisition) का आरोप लगाते हुए आंदोलन का नेतृत्व किया था।
गुजरात में शिफ्ट हुआ था नैनो प्लांट
साल 2008 में एक भयानक आंदोलन के कारण टाटा को अपना कारखाना गुजरात के सानंद में स्थानांतरित (Transferred) करना पड़ा था। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने इस प्लांट का उद्घाटन किया था। 2010 में टाटा ने सानंद में एक और प्लांट खोला था।
तब सुप्रीम कोर्ट गई गई थी टाटा ग्रुप
टाटा ग्रुप उस वक्त सिंगूर में एक हजार करोड़ रुपये लगा चुका था। टाटा मोटर्स ने साल 2011 में ममता सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके जरिए कंपनी से अधिगृहित जमीन छीन ली गई थी।
प्लांट के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के विरोध के बीच, टाटा ने अक्तूबर 2008 में नैनो के विनिर्माण आधार को सिंगुर से सानंद में स्थानांतरित कर दिया।टाटा मोटर्स ने आखिरकार 2020 में नैनो की बिक्री बंद कर दी थी।