AVN News Desk New Delhi: राजस्थान में नौ दिन से जारी सियासी अटकलों पर आखिरकार मंगलवार को विराम लग गया। बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के नाम का एलान कर दिया। भजन लाल शर्मा राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे। इसके साथ ही दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा के रूप में दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए जाएंगे। नई सरकार का शपथ ग्रहण 15 दिसंबर को होगा। अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी राजस्थान विधानसभा के अगले अध्यक्ष होंगे। बीजेपी ने इन नामों के साथ पूरे राजस्थान में जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है। ऐसे ही फैसले पहले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर किए गए।
राजस्थान में कुछ इस प्रकार साधे गए जातीय समीकरण
भजन लाल शर्मा: राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के रूप में भजन लाल शर्मा के नाम की घोषणा की गई है। 56 साल के भजन लाल जयपुर जिले की सांगानेर सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने हैं। भरतपुर के रहने वाले भजन लाल शर्मा ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। राज्य की कुल आबादी में ब्राह्मण वर्ग की हिस्सेदारी करीब आठ फीसदी है।
दीया कुमारी: जिन दो विधायकों को उपमुख्यमंत्री चुना गया है उनमें पहला नाम दीया कुमारी का है। 52 साल की दीया जयपुर जिले की विद्याधर नगर सीट से चुनाव जीती हैं। जयपुर राजघराने से आने वाली दीया दूसरी बार विधायक बनी हैं। इससे पहले वह 2013 में सवाई माधोपुर से विधायक रह चुकी हैं। 2018 में टिकट नहीं मिला, लेकिन 2019 में लोकसभा में उन्हें मौका मिला। वह राजसमंद लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचीं। जयपुर में जन्मीं दीया राजपूत समाज से ताल्लुक रखती हैं। प्रदेश में राजपूतों की आबादी करीब नौ फीसदी है।
प्रेम चंद बैरवा: दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में प्रेम चंद बैरवा का नाम सामने आया है। 54 साल के बैरवा दूदू सीट से चुनाव जीतकर दूसरी बार विधायक बने हैं। दूदू (पहले जयपुर जिला में शामिल था) के रहने वाले बैरवा दलित समुदाय से आते हैं। राज्य में दलित की आबादी 18 फीसदी है।
वासुदेव देवनानी: विधानसभा स्पीकर के लिए वासुदेव देवनानी का नाम तय किया गया है। वासुदेव देवनानी अजमेर उत्तर सीट से विधायक चुने गए हैं। पांच बार के विधायक वासुदेव वैसे अजमेर के रहने वाले हैं। वासुदेव देवनानी का संबंध सिंधी समाज से है। अजमेर शहर सिंधी बहुल है और वासुदेव देवनानी राज्य के एकमात्र सिंधी विधायक हैं। राजस्थान का विशाल क्षेत्र में सिंधी आबादी बिखरी हुई है। अनुमान के अनुसार पूरे राजस्थान में नौ लाख सिंधी आबादी रहती है। राजस्थान की कुल सिंधी आबादी का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अजमेर, जयपुर, भीलवाड़ा, जोधपुर, कोटा और उदयपुर आदि शहरों में रहता है।
मध्य प्रदेश में ऐसे साधे गए जातीय समीकरण
इससे पहले मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग से आने वाले मोहन यादव को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाया गया। राज्य की करीब 50.25 फीसदी आबादी इसी वर्ग से आती है। यहां भी दो उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। इनमें जगदीश देवड़ा दलित वर्ग से आते हैं। राज्य में इस वर्ग की कुल आबादी 15.62% है। वहीं, दूसरे उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ब्राह्मण वर्ग से आते हैं। राज्य की पांच से छह फीसदी आबादी ब्राह्मण वर्ग की है। जबकि, राजपूत समाज से आने वाले नरेंद्र सिंह तोमर राज्य के नए विधानसभा अध्यक्ष हैं। इस वर्ग की राज्य में आबादी करीब सात से आठ फीसदी है।
छत्तीसगढ़ में भी सामाजिक संतुलन का रखा खास ध्यान
राजस्थान और मध्य प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री के साथ दो उप-मुख्यमंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष के नाम का एलान किया गया है। यहां भी समाजिक संतुलन को ध्यान में रखा गया। यहां आदिवासी समुदाय से आने वाले विष्णु देव साय को राज्य का अगला मुख्यमंत्री चुना गया। आदिवासी आबादी की बात करें तो छत्तीसगढ़ में इनकी आबादी 30.60 फीसदी है। वहीं, उप-मुख्यमंत्री अरुण साव पिछड़े वर्ग से आते हैं। जिनकी राज्य में कुल आबादी में हिस्सेदारी 52 फीसदी है। दूसरे उप-मुख्यमंत्री विजय शर्मा ब्रह्मण समाज और विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए रमन सिंह राजपूत समाज से आते हैं। दोनों जातियों की राज्य में करीब दो से तीन फीसदी आबादी है।
सोशल इंजीनियरिंग का खेल
तीन राज्यों में तीन तबके के नए मुख्यमंत्री चुनकर बीजेपी ने कमाल की सोशल इंजीनियरिंग दिखाई है. छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश में ओबीसी तो राजस्थान में ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाकर लोकसभा चुनाव के नजरिये से तीनों प्रमुख के तबकों का साधा गया है. वहीं, अन्य जातियों के डिप्टी सीएम बनाकर दलित (Dalit), ओबीसी (OBC), महिला वर्ग को साफ मैसेज दिया गया है कि पार्टी सभी तबकों को साथ लेकर चलने में विश्वास करती है. राजस्थान में महिला डिप्टी सीएम बनाकर पार्टी ने मोदी के चार वर्गों महिला, गरीब, युवा, किसान को भी साधने का प्रयास शुरू कर दिया है.