सदर बाजार के व्यापारियों का छलका दर्द,

सदर बाजार के व्यापारियों का छलका दर्द, करोड़ों का टैक्स देने के बाद भी अवैध पटरी वालों की भरमार

देश की राजधानी दिल्ली का सदर बाजार, जिसे उत्तर भारत का सबसे बड़ा थोक बाजार कहा जाता है, आजकल अपने व्यापारियों की पीड़ा और अव्यवस्थाओं को लेकर सुर्खियों में है। करोड़ों रुपये का कारोबार करने वाले और सरकार को भारी मात्रा में टैक्स देने वाले व्यापारी आज खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। वजह है – बाजार में अवैध पटरी वालों की बेतहाशा बढ़ती संख्या और प्रशासन की उदासीनता।

व्यापारियों की गुहार: “हम टैक्स देते हैं, फिर भी हमारी कोई सुनवाई नहीं”

सदर बाजार के कई व्यापारियों का कहना है कि वे हर साल करोड़ों रुपये का जीएसटी, इनकम टैक्स और स्थानीय कर अदा करते हैं, फिर भी उन्हें बुनियादी व्यापारिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। बाजार में जगह-जगह अवैध पटरी दुकानदारों ने कब्जा जमा रखा है, जिससे न सिर्फ ग्राहकों की आवाजाही प्रभावित हो रही है, बल्कि लंबे समय से स्थापित व्यवसायों का धंधा भी चौपट हो रहा है।

एक स्थानीय व्यापारी विपिन मल्होत्रा ने बताया कि सदर बाजार मे लगभग 35-40 साल से दुकान चला रहे हैं, वो हर नियम का पालन करते हैं। लेकिन अब हमारी दुकानों के सामने ही पटरी वाले सामान बेच रहे हैं। ग्राहक वहीं से खरीदारी कर चला जाता है, हमें कोई पूछता तक नहीं। जब प्रशासन से शिकायत करते हैं तो कोई कार्रवाई नहीं होती।”

 

सदर बाजार के व्यापारियों का छलका दर्द

अवैध पटरी दुकानदारों का बढ़ता बोलबाला

सदर बाजार में आने वाले हर गली-मोहल्ले में अब अस्थायी दुकानें दिखाई देती हैं। इन दुकानों में सस्ते दामों पर सामान बेचा जाता है, जो अक्सर टैक्स के दायरे से बाहर होता है। इससे न केवल सरकार के राजस्व को नुकसान होता है, बल्कि वैध दुकानदारों के व्यापार पर भी असर पड़ता है।

पटरी दुकानदारों के लिए न तो कोई लाइसेंस होता है, न ही वे कोई कर अदा करते हैं। बावजूद इसके, वे मुख्य सड़कों और गलियों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। इससे बाजार की मूल संरचना और यातायात व्यवस्था भी चरमरा गई है।

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शासन और प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

व्यापारियों का आरोप है कि उन्होंने कई बार एमसीडी, पुलिस और अन्य संबंधित विभागों से शिकायतें की हैं, लेकिन नतीजा शून्य रहा है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते अवैध दुकानों का मनोबल और बढ़ गया है।

सदर बाजार व्यापारी विपिन मल्होत्रा कहते हैं,

“हमने कई ज्ञापन दिए, धरना-प्रदर्शन किया, कोर्ट केस किया, मीडिया से गुहार लगाई, लेकिन प्रशासन की नींद नहीं खुल रही। एक तरफ सरकार ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की बात करती है, दूसरी तरफ हम मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं।”

 सदर बाजार के व्यापारियों का छलका दर्द

सदर बाजार में नकली प्रोडक्ट्स और नशे का सामान की भरमार 

सदर बाजार, जो कभी अपने सस्ते और विविध प्रकार के उत्पादों के लिए मशहूर था, अब धीरे-धीरे नकली और अवैध सामानों का अड्डा बनता जा रहा है। यहां आपको बड़ी-बड़ी ब्रांड्स के नाम पर नकली प्रोडक्ट्स खुलेआम बेचे जाते हैं – और सबसे चिंताजनक बात ये है कि नशे से जुड़े उत्पाद भी आसानी से मिल जाते हैं।

क्या है समाधान?

व्यापारियों ने कुछ ठोस कदमों की मांग की है:

  1. अवैध पटरी दुकानों को हटाने के लिए नियमित अभियान चलाया जाए। 
  2. सदर बाजार क्षेत्र को पुनः व्यवस्थित करने के लिए मास्टर प्लान लागू किया जाए। 
  3. व्यापारियों को सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित की जाए। 
  4. अवैध व्यापार पर सख्त कार्रवाई हो और टैक्स चोरी रोकी जाए। 
  5. स्थानीय प्रशासन को जवाबदेह बनाया जाए। 

निष्कर्ष:

सदर बाजार देश की राजधानी का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है। यहां के व्यापारियों की आवाज़ अनसुनी करना केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को ही नहीं, बल्कि सरकार के राजस्व तंत्र को भी नुकसान पहुंचा रहा है। यदि शासन और प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।

सरकार को चाहिए कि वह सदर बाजार जैसे ऐतिहासिक और व्यावसायिक केंद्रों की समस्याओं को गंभीरता से ले और एक पारदर्शी तथा न्यायपूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित करे, जिससे वैध व्यापारियों को उनका हक मिल सके और अव्यवस्था पर अंकुश लगाया जा सके।

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Note:

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By: KP
Edited  by: KP

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