बोधगया

Bodh Gaya : बोधगया, बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किलोमीटर दूर, एक छोटा सा पर्वतीय शहर है। यहां की सुंदरता को देखकर कोई भी आश्चर्यचकित हो जाता है। फल्गु नदी के किनारे बसा हुआ, यहां का वातावरण शांतिपूर्ण है और ध्यान के लिए उत्कृष्ट है। यहां के बौद्ध भिक्षुओं के आदर्शों ने इसे दुनिया के पवित्रतम शहरों में शामिल किया है।

यहां भगवान बुद्ध ने अपने ज्ञान का प्राप्ति की था, इसलिए यहां का महाबोधि मंदिर अत्यंत महत्वपूर्ण है। यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर माना है, जिससे यहां की महिमा को और भी बढ़ाया गया है। यहां के बौद्ध धर्म के अनुयायी होने के साथ-साथ, अन्य धर्मों के लोग भी ध्यान और संतुष्टि को खोजने के लिए बोधगया आते हैं।

बोधगया इतिहास

बोधगया, भारत का एक प्राचीन और प्रसिद्ध शहर है, जिसे इसके महान इतिहास और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। लगभग 500 ईसा पूर्व, यहां भगवान गौतम बुद्ध ने फल्गु नदी के किनारे एक वृक्ष के नीचे ध्यान और तपस्या की थी। उनकी तपस्या के बाद, उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई, और वे बुद्ध के रूप में माने गए। इसके बाद, बुद्ध के अनुयायी इस स्थान पर समाज और धर्म के अन्य क्षेत्रों से आए। इसी स्थान पर उनकी ज्ञान प्राप्ति के दिन को “पूर्णिमा” के रूप में मनाया जाता है, और बोधगया के रूप में जाना जाने लगा।

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महाबोधि मंदिर में माना जाता है की बुद्ध की मूर्ति उसी अवस्था में है जिस अवस्था में बैठकर उन्होंने तपस्या की थी और नालंदा और विक्रमशिला के मंदिरों में इसी प्रकार की मूर्ति का स्थापना हुई थी। यहाँ के शहर में अशोक महान ने कई स्मारक बनवाए थे।

बोधगया में घूमने वाली जगह

महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) के अलावा यहां कई रमणीय स्थल हैं जो देखने लायक है जैसे…

बोधि वृक्ष (Bodhi Tree) 

बोधगया

बोधगया में स्थित बोधि वृक्ष एक ऐसा पीपल का पेड़ है जिसे पिपलस बेंजामिना के नाम से भी जाना जाता है। यह लगभग 30 मीटर ऊंचा है। इस वृक्ष के नीचे ही भगवान बुद्ध ने अपने  ज्ञान की प्राप्ति की थी। यह वृक्ष मानवता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे माना जाता है कि यह मूल बोधि वृक्ष का अंश है। इस वृक्ष की विशेषता यह है कि राजा अशोक की बेटी ने इसे श्रीलंका ले जाकर अत्यंत संरक्षण के लिए रखा था, जिससे यह वृक्ष आज भी हमारे सामने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple)

बोधगया

महाबोधि मंदिर बोधगया का एक प्रमुख आकर्षण है, जो सम्राट अशोक द्वारा निर्मित किया गया था। यह मंदिर 7वीं शताब्दी ईसवी में बनाया गया था और इसका निर्माण मूल बोधि वृक्ष के चारों ओर किया गया था। इस मंदिर का दर्शन करना मन, शरीर और आत्मा के लिए एक शांतिपूर्ण और प्रेरणादायक अनुभव है।

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थाई मठ (Thai Monastery)

बोधगया

थाई मठ एक अनूठा संग्रहालय है, जो सोने की टाइलों से बना हुआ है और उसकी छत ढकी घुमावदार और ढलान वाली है। इसकी आलीशान बनावट और शानदार आकृति को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यहां की सुंदरता और रचनात्मकता देखकर हर कोई हैरान हो जाता है और अचंभित होता है।

बुद्ध की ऊंची प्रतिमा (Great Buddha Statue)

बोधगया

भगवान बुद्ध की 80 फीट की ऊँचाई पर खड़ी प्रतिमा, भगवान बुद्ध और बोधगया से जुड़े धार्मिक और आध्यात्मिक स्मारकों में से एक है। यह देश की सबसे ऊंची बुद्ध मूर्तियों में से एक है, जिसका निर्माण 1989 में दलाई लामा की ओर से की गई थी। इस प्रतिमा की सौंदर्यता और महत्व को देखकर लोग हर दिन इसे देखने के लिए आते हैं, और इसकी इतनी बड़ी विशाल मूर्ति का दृश्य भी लोगों को मोह लेता है।

इसके अलावा क्या है कुछ खास

बोधगया में बुद्ध के महान जन्मस्थल के अलावा भी कई प्रमुख स्थल हैं जो काफी दर्शनीय हैं। इनमें बराबर गुफा, नागार्जुन गुफा, प्रेतशिला पहाड़ी, विष्णुपद मंदिर, टर्गर मठ, फोवा सेंटर, गेंदन फ्लैग्लिंग मठ, रूट इंस्टीट्यूट, बोधगया मल्टीमीडिया संग्रहालय, ताइवानी मंदिर, और कर्मा मंदिर शामिल हैं। ये स्थल अपनी खूबसूरती, ऐतिहासिक महत्व, और धार्मिक प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध हैं, और यहां के आगंतुक इन्हें देखने के लिए बहुत उत्सुक होते हैं।

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