राजद नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव द्वारा ड्राफ्ट मतदाता सूची से नाम काटे जाने के आरोपों के बाद अब उनके पास वोटर कार्ड होने का मुद्दा गरमा गया है। तेजस्वी ने शनिवार को दावा किया है कि बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है। जिसका खंडन करते हुए चुनाव आयोग ने उनका लिस्ट में शामिल होने का सबूत दिया था।
दो ईपीआईसी नंबरों की जांच शुरू
इस घटना में नया मोड़ तब आया जब तेजस्वी यादव की ओर से बताया गया ईपीआईसी नंबर (RAB2916120) और चुनाव आयोग की ओर से जारी ईपीआईसी नंबर (RAB0456228) दोनों अलग-अलग थे। इसके बाद ये आशंका जताई गई है, कि तेजस्वी यादव के नाम के दो वोटर कार्ड हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
2020 में तेजस्वी यादव ने इस ईपीआईसी (EPIC) नंबर से भरा था नामांकन
केंद्रीय निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बताया है कि तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में नामांकन के लिए जो हलफनामा भरा था, उसमें उन्होंने ईपीआईसी (EPIC) नंबर RAB0456228 का इस्तेमाल किया था। यही ईपीआईसी नंबर 2015 की मतदाता सूची में भी मौजूद था और हाल ही में जारी की गई मसौदा सूची में भी उनका नाम इसी नंबर के साथ ही है।
सूत्रों ने कहा है कि आयोग को आशंका है कि तेजस्वी के पास दो ईपीआईसी नंबर हैं और इसकी जांच कराई जाएगी। सूत्रों ने कहा है कि यह पूरी तरह संभव है कि दूसरा ईपीआईसी (EPIC) (चुनाव फोटो पहचान पत्र) कभी भी आधिकारिक माध्यम से नहीं बनाया गया हो।
क्या यह जाली दस्तावेज है?
आयोग सूत्रों ने तेजस्वी प्रसाद के इस आरोप को खारिज कर दिया कि उनका ईपीआईसी नंबर बदल दिया गया था। उन्होंने कहा कि राजद नेता ने 2020 में हलफनामे पर अपना नामांकन पत्र भरने के लिए ईपीआईसी नंबर RAB0456228 के साथ मतदाता सूची का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि अन्य ईपीआईसी संख्या RAB2916120 अस्तित्वहीन पाई गई है। 10 वर्षों से अधिक के रिकार्ड की जांच की गई है, तथा यह समझने के लिए आगे जांच की जा रही है कि क्या यह जाली दस्तावेज है।
एक अधिकारी ने कहा, संभव है कि यह दूसरा कार्ड कभी आधिकारिक प्रक्रिया से बनाया ही नहीं गया हो। इसकी असलियत पता लगाने के लिए जांच की जा रही है कि यह नंबर कहीं फर्जी दस्तावेज तो नहीं है।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाया था। उन्होंने मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि मेरा नाम मतदाता सूची में नहीं है। मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा? तेजस्वी ने चुनाव के एप को दिखाते हुए कहा कि उनके ईपीआईसी नंबर को सर्च करने पर उनका नाम मतदाता सूची में नहीं आ रहा है। हालांकि, निर्वाचन आयोग ने तुरंत ही तेजस्वी के दावों को सिरे से खारिज कर दिया।
तेजस्वी यादव ने कहा कि लोकतंत्र में हर मतदाता की उपस्थिति और अधिकार की गारंटी सर्वोपरि है। यदि मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं और उसके पीछे का कारण छुपाया जा रहा है, तो यह गंभीर लोकतांत्रिक संकट है और जनता के मताधिकार पर सीधा हमला है। तेजस्वी यादव ने कहा कि राजद इस षड्यंत्र का सक्रिय विरोध करेगा और हर मंच पर जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करेगा। तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि चुनाव आयोग ने जिन 65 लाख मतदाताओं के नाम विलोपित किए है उससे संबंधित हमारे कुछ वाजिब एवं तार्किक सवाल है। क्या चुनाव आयोग इसका बिंदुवार जवाब देगा?
तेजस्वी के चुनाव आयोग से सवाल:
1. इन 65 लाख मतदाताओं को मृत, स्थानांतरित या अनुपस्थित घोषित करने का आधार क्या है? मृतक मतदाताओं के परिजनों से कौन सा दस्तावेज लिया जिसके आधार पर उनकी मौत की पुष्टि हुई?
2. जिन 36 लाख मतदाताओं को चुनाव आयोग स्थानांतरित बता रहे है, अस्थायी रूप से पलायित बता रहे है उसका क्या आधार क्या है? चुनाव आयोग स्पष्ट करें। अगर अस्थायी पलायन से 36 लाख गरीब मतदाताओं का नाम कटेगा तो फिर यह आंकड़ा भारत सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार बिहार से प्रति वर्ष बाहर जाने वाले तीन करोड़ पंजीकृत श्रमिकों से भी अधिक होना चाहिए।
3. क्या इनकी फिजिकल वेरिफिकेशन हुई थी?
4. क्या नियम के तहत बीएलओ भौतिक सत्यापन के लिए तीन बार मतदाताओं के घर गए थे?
5. क्या बीएलओ ने भौतिक सत्यापन के बाद मतदाताओं को एक्नॉलेजमेंट स्लिप या कोई रसीद प्राप्ति अथवा पावती दी थी?
6. सम्पूर्ण बिहार में कितने प्रतिशत मतदाताओं को एक्नॉलेजमेंट स्लिप दी गई? क्या इसकी दर एक प्रतिशत से भी कम नहीं है?
7. क्या मतदाताओं को उनका नाम काटने से पहले कोई नोटिस या सूचना दी गई थी?
8. क्या सूची से हटाए गए इन 65 लाख मतदाताओं को अपील का मौका मिला?
9. जब आप इतने लोगों के घर गए नहीं, पावती आपने दी नहीं, नाम काटने से पहले नोटिस आपने दिया नहीं तो इसका स्पष्ट मतलब है आप टारगेट काम कर रहे हैं और लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं?
10. ऐसे गणना प्रपत्रों की संख्या कितनी है जिनके साथ कोई दस्तावेज संलग्न नहीं था एवं ऐसे कितने प्रपत्र है जिनके साथ फोटो संलग्न नहीं था? यह आंकड़ा भी चुनाव आयोग सार्वजनिक करें।