बिहार का सोनपुर मेला

बिहार का सोनपुर मेला – एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला

भारत विविधताओं का देश है, जहाँ हर राज्य की अपनी संस्कृति, परंपरा और ऐतिहासिक धरोहरें हैं। इन्हीं में से एक प्रसिद्ध आयोजन है सोनपुर मेला, जिसे हरिहर क्षेत्र मेला या छेदी मेला के नाम से भी जाना जाता है। यह मेला बिहार के सारण जिले के सोनपुर नामक स्थान पर, गंगा और गंडक नदियों के संगम पर आयोजित किया जाता है। यह दिन भगवान हरिहरनाथ की पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इसे हरिहरनाथ मेला के रूप में भी जाना जाता हैयह मेला न केवल भारत में बल्कि एशिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक माना जाता है।

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ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

सोनपुर मेले का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ भगवान विष्णु ने हाथी (गज) और मगरमच्छ (ग्राह) के बीच युद्ध में गज की रक्षा की थी। इस घटना के बाद से यह स्थान “हरिहर क्षेत्र” कहलाया, क्योंकि यहाँ हरि (विष्णु) और हर (शिव) दोनों की उपासना की जाती है।

इस धार्मिक पृष्ठभूमि के कारण कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर-नवंबर) के दिन यहाँ लाखों श्रद्धालु स्नान और पूजा करने आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन से ही सोनपुर मेले की शुरुआत होती है।

बिहार का सोनपुर मेला

पशु मेला – परंपरा और व्यापार का संगम

सोनपुर मेला मुख्य रूप से अपने पशु बाजार के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ परंपरागत रूप से हाथी, घोड़े, गाय, भैंस, ऊँट, और अन्य जानवरों की खरीद-बिक्री की जाती थी।
हालांकि अब हाथियों की बिक्री पर प्रतिबंध लग चुका है, फिर भी घोड़े और अन्य पशुओं का व्यापार यहाँ आज भी होता है।

पहले के समय में राजा-महाराजाओं से लेकर किसान तक इस मेले में पशु खरीदने-बेचने आते थे। आज भी देश के कई हिस्सों से व्यापारी और पशुपालक यहाँ पहुँचते हैं।

बिहार का सोनपुर मेला

मनोरंजन और संस्कृति का संगम

सोनपुर मेला केवल व्यापारिक मेला नहीं है, बल्कि यह बिहार की संस्कृति और लोक परंपरा का दर्पण भी है। यहाँ विभिन्न प्रकार के नाटक, नौटंकी, सर्कस, जादू के शो, झूले, मेले के झूले, और खाने-पीने के स्टॉल लोगों को आकर्षित करते हैं।

लोक कलाकारों के प्रदर्शन, लोकगीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियाँ इस मेले को जीवंत बना देते हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए यहाँ कुछ न कुछ मनोरंजन का साधन मिलता है।

बिहार का सोनपुर मेला

व्यापार और पर्यटन

सोनपुर मेला बिहार सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है और यह बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन चुका है।
यहाँ न केवल पशुओं का व्यापार होता है बल्कि हस्तशिल्प, मिट्टी के बर्तन, घरेलू सामान, कपड़े और खिलौनों की भी भरमार होती है।

देश-विदेश से पर्यटक इस मेले में भाग लेने आते हैं, जिससे बिहार की अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है।

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मेला आयोजन का समय

सोनपुर मेला हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर–नवंबर) के दिन शुरू होता है और लगभग एक महीने तक चलता है। मेला स्थल पर बिहार पर्यटन विभाग द्वारा अस्थायी पंडाल, भोजनालय, होटल और सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है।

मेला  कैसे पहुँचें

  • रेलमार्ग से: सोनपुर रेलवे स्टेशन पटना से मात्र 25 किमी की दूरी पर है। 
  • सड़क मार्ग से: पटना से हाजीपुर होते हुए सोनपुर आसानी से पहुँचा जा सकता है। 
  • वायुमार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा पटना है। 

निष्कर्ष:

सोनपुर मेला बिहार की गौरवशाली परंपरा, आस्था और लोकसंस्कृति का अद्भुत उदाहरण है। यह मेला केवल व्यापार का नहीं, बल्कि लोकजीवन, आस्था और आनंद का भी उत्सव है। समय के साथ इसमें आधुनिकता का समावेश हुआ है, लेकिन इसकी जड़ें अब भी परंपरा और श्रद्धा में मजबूती से जुड़ी हैं।

सोनपुर मेला बिहार ही नहीं, पूरे भारत की संस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

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Note:

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By: KP
Edited  by: KP

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