छोटे-से गाँव जमुई जिले के झाझा स्थित रजला गांव की गलियों में क्रिकेट का जुनून के लिए दौड़ता एक लड़का… नाम है प्रियांशु यादव। माँ नीलम देवी और पिता राजेंद्र गोप की आँखों का तारा, जिसने बैट और बॉल से अपनी दुनिया बसा ली थी। खेत-खलिहान के बीच, मिट्टी की महक और माँ की दुलार के बीच बड़ा हुआ ये लड़का आज अपनी मेहनत और हौसले के दम पर भुवनेश्वर की पिच पर जलवा बिखेरने को तैयार है।

बचपन से ही क्रिकेट का भूत सवार था। जमुई जिले के गाँव की पथरीली सड़कों पर गेंद को थामे, लकड़ी के बैट से छक्के-चौके लगाते हुए कभी-कभी वो सपनों में खुद को बड़े स्टेडियम में खेलते देखता था। लेकिन एक छोटे गाँव से निकलकर बड़े मंच तक पहुंचना इतना आसान कहाँ होता है? आप अगर मध्यम वर्ग परिवार से होने से संसाधनों की कमी थी, लेकिन सपनों की कोई सीमा नहीं होती।

पिता के पसीने की कीमत

राजेंद्र गोप एक साधारण किसान हैं। मेहनत-मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार को संभालते हैं। जब बेटे ने क्रिकेट में करियर बनाने की इच्छा जताई, तो यह सफर आसान नहीं था। लेकिन एक पिता का दिल जानता है कि बच्चे की आँखों के सपनों को पूरा करने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है। चाहे कमाई सीमित थी, लेकिन बेटे के सपनों की उड़ान को रोकने की हिम्मत उन्होंने कभी नहीं की। माँ नीलम देवी का भी यही सपना था कि बेटा अपनी पहचान बनाए।

संघर्ष के बाद मिली मंज़िल

जमुई जिले के झाझा स्थित देव सुंदरी मेमोरियल महाविद्यालय के स्नातक छात्र प्रियांशु का चयन मुंगेर विश्वविद्यालय की क्रिकेट टीम में किया गया है । मुंगेर यूनिवर्सिटी टीम में सेलेक्शन होना कोई मामूली बात नहीं थी। जमुई के इस लाल ने दिन-रात मेहनत की। कड़ी धूप में पसीना बहाया, चोट खाई, कई बार हार देखी, ओर आस पड़ोस के ताने सुने लेकिन हार नहीं मानी। हर मुश्किल को पार करते हुए आज वो उस मुकाम पर खड़ा है, जहाँ से एक नया सफर शुरू होने वाला है – भुवनेश्वर की पिच पर अपने हुनर का जौहर दिखाने का सफर।

जब गाँव में यह खबर फैली कि प्रियांशु अब यूनिवर्सिटी टीम से खेलेगा, तो पूरे गाँव में उत्साह का माहौल था। माँ की आँखों में खुशी के आँसू थे, पिता की छाती गर्व से चौड़ी हो गई थी। गाँव के बच्चे, जो अब तक गलियों में उसके साथ क्रिकेट खेलते थे, उसे देखकर अब खुद के सपने बुनने लगे।

जमुई जिले से प्रियांशु ने अपनी सफलता से किया हैरान

गौरतलब यह है कि जमुई जिले का रजला गांव एक नक्सल प्रभावित माना जाता है. वही जमुई जिले में झाझा प्रखंड क्षेत्र में पड़ने वाला यह गांव लगातार मुख्य सुविधाओं से कोसों दूर रहा है. वही इस गांव से निकलने के बावजूद भी प्रियांशु ने अपनी सफलता से हर किसी को हैरान कर दिया है. प्रियांशु के माता-पिता ने बताया है कि वह बचपन से ही खेल के प्रति काफी सजग रहा है. प्रियांशु पढ़ने- लिखने में भी बहुत अच्छा है. इसके साथ ही उसने खेल में भी अपने आप को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात एक करके कठिन मेहनत की है. उसके माता-पिता ने कहा है कि हमारी चाहत है कि वह खेल के क्षेत्र में भी काफी अच्छा करें तथा यूनिवर्सिटी के बाद अब वह अलग-अलग टूर्नामेंट में भी खेले ओर एक दिन देश के लिए खेले . वही बताते चलें कि प्रियांशु इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए रवाना हो चुका है.

जिसमें प्रमुख है रणधीर वर्मा ट्रॉफी इंटर डिस्ट्रिक्ट टूर्नामेंट में U-14,U-17 & U-19 और जोनल मैच में शानदार प्रदर्शन बल्लेबाज़ी करते हुए 65 रन बनाए और यूनिवर्सिटी के मैच में 12 रन नॉटआउट रहते हुए मैच जिताया और विकेट के पीछे बेहतरीन विकेटकीपिंग करते हुए चीते की रफ़्तार से 2 स्टंपिंग ओर एक शानदार कैच पकड़ा.

जमुई

 

यह संदेश सभी मध्यम वर्ग के लिए प्रेरणा

प्रियांशु यादव की कहानी सिर्फ एक लड़के की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन सभी छोटे शहरों और गाँवों के सपने देखने वाले बच्चों की कहानी है जो बड़े मुकाम तक पहुंचना चाहते हैं। यह कहानी बताती है कि मेहनत, लगन और परिवार का साथ हो तो किसी भी सपने को हकीकत में बदला जा सकता है।

भुवनेश्वर की पिच अब तैयार है, और जमुई का यह बेटा दुनिया को दिखाने को तैयार है कि सपने सच होते हैं!

देश दुनिया की खबरों की अपडेट के लिए AVN News पर बने रहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *