आजकल सोशल मीडिया पर हर दिन कोई न कोई ऐसी ख़बर सामने आ रही है जो रिश्तों की गरिमा को ठेस पहुँचाती है। कहीं चाची से भतीजे की शादी हो रही है, तो कहीं भाई-बहन जैसे पवित्र रिश्तों की सीमाएं पार की जा रही हैं। ये घटनाएं केवल व्यक्तिगत नहीं हैं, बल्कि समाज के उस ताने-बाने पर चोट हैं जहाँ रिश्ते ही हमारी पहचान और संस्कृति का आधार माने जाते हैं।

1. सामाजिक ताना-बाना और बदलती सोच

भारत जैसे देश में जहाँ चाचा-चाची, मामा-मामी, भाई-बहन जैसे रिश्ते सिर्फ खून के नहीं, भावना के भी होते हैं, वहाँ इन रिश्तों में आ रही गिरावट चिंताजनक है।
कभी इन रिश्तों को आदर और मर्यादा का प्रतीक माना जाता था, लेकिन आज “प्यार के नाम पर सब जायज है” की मानसिकता ने इन रिश्तों की पवित्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

2. सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव

सोशल मीडिया आज एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है जहाँ कोई भी अपनी निजी जिंदगी को सार्वजनिक कर रहा है। reels, tiktok और Instagram की दुनिया में रिश्तों का प्रदर्शन अब सामान्य हो गया है।
कई मामलों में देखा गया है कि लड़के-लड़कियां अपने करीबी रिश्तेदारों के साथ ही रिश्ते बना लेते हैं और फिर “हम दोनों बालिग हैं” कहकर समाज को ठेंगा दिखा देते हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार,

“पिछले 2 वर्षों में ऐसे 312 से अधिक मामले सामने आए हैं, जहाँ करीबी पारिवारिक रिश्तों में विवाह या शारीरिक संबंध की शिकायतें दर्ज की गईं है। इनका एक बड़ा हिस्सा सोशल मीडिया के जरिये शुरू हुए संबंधों का परिणाम था।”

3. प्यार या विकृति?

जहाँ एक तरफ समाज में प्यार को सम्मान मिलना चाहिए, वहीं दूसरी ओर कुछ रिश्तों में प्यार के नाम पर मर्यादाएं तोड़ी जा रही हैं।
चाची से शादी करना, मामी को प्रेमिका बना लेना या बहन जैसे रिश्ते को रोमांस में बदल देना – क्या ये वास्तव में प्रेम है, या फिर मानसिक और नैतिक पतन की शुरुआत?

मनोवैज्ञानिकों की राय:

“सोशल मीडिया ने एक ऐसा भ्रम पैदा कर दिया है जहाँ युवा तात्कालिक आकर्षण को ही प्रेम मान बैठते हैं। परिवार की भावनाओं और रिश्तों की मर्यादा उन्हें दिखती ही नहीं।”
– डॉ. विनीता रॉय, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, दिल्ली

4. कानून क्या कहता है?

भारतीय कानून के तहत ब्लड रिलेशन में विवाह प्रतिबंधित है। IPC की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट में रिश्तों के दुरुपयोग को दंडनीय अपराध माना गया है। किन्तु जब दोनों बालिग हों और शादी सहमति से हो, तब कानूनी अड़चन कम होती है, जो कई बार सामाजिक बर्बादी को जन्म देती है।

5. संस्कारों की ज़रूरत फिर से

समाज को फिर से वही संस्कार, वही शिक्षा देने की ज़रूरत है जो हमें बचपन में मिलती थी – कि हर रिश्ता अनमोल होता है, हर मर्यादा की एक सीमा होती है।
अगर सोशल मीडिया के माध्यम से युवा पीढ़ी केवल आकर्षण और बोल्डनेस ही सीख रही है, तो यह भविष्य के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।

सोशल

6. हाल के ताज़ा मामले (2024–25)

उत्तर प्रदेश, मऊ: 23 वर्षीय युवक ने अपनी विधवा चाची से शादी कर ली, दोनों की मुलाकात reels बनाते हुए हुई थी।

बिहार, दरभंगा: बहन समान मौसेरी बहन के साथ एक युवक का प्रेम-प्रसंग, बाद में दोनों ने घर से भाग कर शादी की।

बिहार, जमुई जिले: चाची ने अपने भतीजे से शादी कर लिया जब की चाची के बच्चे है।
इसी में एक और रिश्ता तार तार करने वाला सामने आया जब एक मोशी ने अपने ही बहन के बेटे से शादी और मां बेटे के रिश्ते को तार तार कर दिया।

राजस्थान, कोटा: एक महिला शिक्षक ने अपने भतीजे से ही संबंध बना लिए और स्कूल में ही यह वीडियो वायरल हो गया।

भावनात्मक अपील :

भारत की पहचान उसके रिश्तों में है, उसके मूल्यों में है। अगर आज ये रिश्ते ही धुंधले हो रहे हैं तो हमें आत्मचिंतन की ज़रूरत है।
सोशल मीडिया एक जरिया है, मगर यह हमारे संस्कारों का विकल्प नहीं हो सकता।
हमें अपने बच्चों को सिखाना होगा कि तकनीक से जुड़ो, मगर अपनी जड़ों से मत कटो। रिश्ते बस शरीर से नहीं बनते, आत्मा से बनते हैं… और आत्मा कभी भी रिश्तों की मर्यादा को भुला नहीं सकती।

सुझाव:

सरकार और अभिभावकों को चाहिए कि स्कूलों में “रिश्तों और नैतिक शिक्षा” को फिर से अनिवार्य बनाया जाए और सोशल मीडिया के प्रभाव पर नियंत्रण के लिए ठोस नीति लाई जाए।

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