AVN News Desk; उत्तर प्रदेश नोएडा : लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही समाजवादी पार्टी (SP) सक्रिय हो गई है. लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी ने शनिवार (16 मार्च) उम्मीदवारों को एक और की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट सपा (समाजवादी पार्टी) ने आजमगढ़ सीट से धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है. वही आजमगढ़ में छठे चरण में 25 मई को वोटिंग होगी. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ (भोजपुरी अभिनेता) को मैदान में उतारा है. ऐसे में यहां कड़ा मुकाबला होने की पूरी उम्मीद है.
हालांकि, यहां यादव और मुस्लिम बहुल इस सीट पर मायावती की चाल क्या होगी, इस पर भी सभी की नजर लगातार बनी हुई है. 19 लाख वोटर्स वाली इस पर 4.5 लाख यादव और 3 लाख मुस्लिम वोट हैं. वहीं, 2.75 लाख दलित और 80 हजार राजभर समुदाय के वोटर हैं. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) इस सीट से सियासी समीकरण बदलने का दम रखती हैं. इस बीच ही मायावती ने उलेमा काउंसिल से मुलाकात की है, जिससे समाजवादी पार्टी (सपा ) की टेंशन बढ़ गई है.
लोकसभा में बीएसपी कर सकती यहां है खेला
अगर उलेमा काउंसिल और बहुजन समाज पार्टी के बीच बात बन जाती है तो सपा ने जिस मुस्लिम यादव वोट बैंक के मद्देनजर धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से टिकट दिया है. बहुजन समाज पार्टी मुस्लिम वोट को बांट सकती है. दूसरी ओर भोजपुरी एक्टर निरहुआ की यादव समाज के बीच काफी लोकप्रियता है और वो भी यादव समाज से ही आते है तो उनको भी टेंशन हो सकती है इस कुछ दिन पहले मीडिया में बयान भी दिया था.
2019 में अखिलेश यादव ने जीता था चुनाव
2019 लोकसभा में निरहुआ ने आजमगढ़ सीट से अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था. अखिलेश यादव ने यहां से ढाई लाख से ज्यादा वोट से जीत हासिल की थी. हालांकि, 2022 में उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी. इसके बाद इस सीट पर धर्मेंद्र यादव ने निरहुआ के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इस बार निरहुआ ने 8 हजार से जीत हासिल की थी. उनकी के जीत के पीछे सबसे बड़ी वजह रही मायावती के कैंडिडेट गुड्डू जमाली रहे, जिन्हें उलेमा काउंसिल का समर्थन हासिल था. तब जमाली मे उपचुनाव में ढाई लाख वोट हासिल किए थे.

दो साल बाद ही निरहुआ और धर्मेंद्र यादव एक बार फिर से आमने-सामने हैं. हालांकि गुड्डू जमाली अब समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया हैं. उधर धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाए जाने पर निरहुआ यानी दिनेश लाल यादव ने अखिलेश यादव पर तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि अखिलेश यादव को किसी स्थानीय यादव पर भरोसा नहीं है इसलिए वह अपने परिवार से ऊपर नहीं उठ पाए हैं.