AVN News Desk New Delhi: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का चुनाव हो चुका है जिसमें 102 सीटो पर मतदान हुआ और दूसरे फेज की 88 सीटों पर चुनाव अभी होना है 26 अप्रैल को और दोनो चरणों को मिला दे तो 2810 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें पहले फेज में 1618 और दूसरे फेज में 1192 उम्मीदवारों में से 501 यानी 18% के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 327 यानी 12% के खिलाफ तो गंभीर आपराधिक मामले हैं। जिनमें 5 साल या उससे ज्यादा की सजा हो सकती है।
एडवोकेट विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में ADR के हवाले से यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि सांसदों और विधायकों से जुड़े क्रिमिनल केस की सुनवाई करने वाली स्पेशल कोर्ट ने 2023 में 2000 से ज्यादा मामलों में फैसला सुनाया है।
विजय को सांसदों/विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के जल्दी निपटारे की मांग वाली एक जनहित याचिका में न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) बनाया गया था। विजय के मुताबिक, लगभग 501 उम्मीदवार पहले दो चरणों में लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, उन पर अदालतों में अभी भी आपराधिक मामले चल रहे हैं।

लोकसभा 2019 में भी यही हाल था
हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में यह मांग की है कि संबंधित अदालतों को इन उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित मामलों और जांच को जल्द निपटाने के सख्त निर्देश दिए जाएं। इसके पीछे वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भी यही स्थिति थी, जिसमें 7928 उम्मीदवारों में से 1500 उम्मीदवारों (19%) पर आपराधिक मामले थे। इनमें से 1070 उम्मीदवारों (13%) पर गंभीर आपराधिक मामले थे।
चुनाव जीतकर संसद पहुंचे 514 सदस्यों में से 17वीं लोकसभा (2019-2024) में 225 सदस्यों (44%) के खिलाफ आपराधिक मामले थे। यानी आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों ने बिना आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की तुलना में अधिक सीटें जीती थीं।
लोकसभा के पहले दो फेज में 501 कैंडिडेट दागी: 327 पर ऐसे केस, जिनमें 5 साल की सजा; SC को दिए हलफनामे में खुलासा हुआ और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की सितंबर में जारी रिपोर्ट 194 मौजूदा सांसदों के खिलाफ हत्या और महिलाओं से अत्याचार के गंभीर केस दर्ज हैं।
चुनाव जीतकर संसद पहुंचे 514 सदस्यों में से 17वीं लोकसभा (2019-2024) में 225 सदस्यों (44%) के खिलाफ आपराधिक मामले थे। यानी आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों ने बिना आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की तुलना में अधिक सीटें जीती थीं।
2023 में निपटे यानी फैसला 2018 केस, 4474 अब भी पेंडिंग
हंसारिया ने अलग-अलग हाईकोर्ट्स से मिली जानकारी के आधार पर एक टेबल चार्ट बनाकर कोर्ट को दिया है। इसमें बताया गया है कि 1 जनवरी 2023 तक सांसद/विधायकों के खिलाफ 4697 आपराधिक मामले दर्ज थे। 2023 में ही 2018 मामलों का निपटारा हो चुका है।
2023 में सांसदों/विधायकों के खिलाफ 1746 नए आपराधिक मामले दर्ज किए गए। इस तरह 1 जनवरी 2024 तक इन पर कुल 4474 मामले लंबित हैं।

हलफनामे में ये मांगें भी रखीं है
हाईकोर्ट्स, स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए के पीठासीन अधिकारियों से उन सभी मामलों की रिपोर्ट मांग सकता है जो 3 साल से ज्यादा समय से पेंडिंग हैं। साथ ही पेंडिंग होने की वजह भी बताई जाए। वही केस की रियल टाइम प्रोग्रेस जानने के लिए नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड की तरह से एक मॉडल वेबसाइट बनाई जाए।
वही इस काम के लिए एक कमेटी भी बनाई जाए, जिसमें कानून और न्याय की समझ रखने वाले लोगों को शामिल किया जाए।
नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट (Suprim Court) ने दिया था कमेटी बनाने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2023 में सांसदों के खिलाफ चल रहे सभी आपराधिक मामलों की तेजी से सुनवाई करने के लिए सभी हाई कोर्ट्स को निर्देश दिया था। साथ ही यह निगरानी के लिए एक विशेष बेंच बनाने को भी कहा था। कोर्ट ने कहा था कि संसद, विधान सभाओं और विधान परिषदों के सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामलों को प्राथमिकता दी जाए।
