AVN News Desk: चार राज्यों के विधानसभा चुनाव की तस्वीर साफ हो गई है. इनमें से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) सरकार बनाने जा रही है. 2018 के चुनाव में बीजेपी ने इन तीनों ही राज्यो में भाजपा (BJP) हार गई थी. हालांकि, बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी करने में कामयाब हो गई थी.
इन राज्यों में बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) ने इस बार नया प्रयोग किया था. चार राज्यों में बीजेपी ने लोकसभा सांसदों (MP) और केंद्रीय मंत्रियों को भी टिकट बांटे थे.
चार राज्यों में बीजेपी (BJP ) ने 21 सांसदों को मैदान में उतारा था. 7-7 सांसद राजस्थान (RJ) और मध्य प्रदेश (MP), 4 छत्तीसगढ़ और 3 तेलंगाना में उतारे थे. इन सांसदों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर,फग्गन सिंग कुलस्ते और प्रहलाद सिंह पटेल भी हैं. इन विधानसभा चुनाव जीतने वाले सांसदों को अगले 14 दिनों के भीतर अपनी एक सीट छोड़नी ही पड़ेगी.
संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने न्यूज एजेंसी को बताया है कि अगर 14 दिन के भीतर अपनी एक सीट नहीं छोड़ी तो उन्हें अपनी संसद की सदस्यता भी गंवानी पड़ सकती है.
पर ऐसा क्यों होता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 101(2) के मुताबिक, अगर कोई लोकसभा का सदस्य विधानसभा का चुनाव लड़ता है और जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सदन से इस्तीफा देना ही होता है. इसी तरह अगर किसी विधानसभा का सदस्य लोकसभा का सदस्य बन जाता है तो उसे भी 14 दिन के भीतर इस्तीफा देना ही होता है. ऐसा नहीं करने पर उसकी लोकसभा की सदस्यता अपने आप ही खत्म हो जाती है.
इसी तरह अगर कोई लोकसभा का सदस्य राज्यसभा का सदस्य भी बन जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 10 दिन के भीतर ही एक सदन से इस्तीफा देना होता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 101(1) और रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट (Representatives of the People’s Act) की धारा 68(1) में इसका प्रावधान है.
वहीं, अगर कोई व्यक्ति दो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ता है और दोनों ही जगह से जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर ही किसी एक सीट से इस्तीफा देना ही होता है. यही नियम यानी बात विधानसभा चुनाव में भी लागू होती है. दो सीट से जीतने पर कोई एक सीट 14 दिन के भीतर छोड़नी पड़ती है.
लोकसभा सदस्य तो विधानसभा की शपथ नहीं ले सकते है
चुनाव खत्म होने के बाद चुनाव आयोग विजयी उम्मीदवार (Winning Candidate) को नोटिफेशन जारी करता है. संविधान के परंपरा के अनुसार लोकसभा सदस्य रहते हुए विधायक पद की शपथ ग्रहण नहीं कर सकते है. अगर ऐसा करते हैं तो उन्हें लोकसभा स्पीकर को इसकी सूचना देनी ही होगी. अगर उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है तो नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन बाद उनकी सदस्यता अपने आप ही खत्म हो सकती है.
अगर लोकसभा नहीं छोड़ी, विधायकी से इस्तीफा दिया तो?
जीते हुए सांसद लोकसभा से इस्तीफा नहीं देते हैं और विधायकी पद छोड़ते हैं तो उनकी सीट पर दोबारा उप चुनाव कराए जाएंगे.
1996 में रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट (Representatives of the People’s Act) में संशोधन किया गया था, जिसकी धारा 151A के मुताबिक खाली हुई सीट पर चुनाव आयोग को 6 महीने के भीतर उप चुनाव कराने की कानूनी व्यवस्था तय की गई है.
ये सांसद जिस भी सीट से इस्तीफा देंगे, उस सीट पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराने ही होंगे. अगर लोकसभा छोड़ते हैं तो लोकसभा सीट पर उपचुनाव होंगे और विधानसभा छोड़ते हैं तो विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने होंगे. हालांकि, लोकसभा सीट पर उपचुनाव की गुंजाइश बहुत कम है, क्योंकि कुछ ही महीनों में आम चुनाव होने वाले हैं.