Supreme Court: उत्तर प्रदेश के संभल की जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने निचली अदालत के सर्वे के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चीफ जस्टिस (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ कल उस याचिका पर सुनवाई करेगी।

उत्तर प्रदेश संभल जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने याचिका में क्या कहा

वही मस्जिद समिति ने अपनी याचिका में कहा है कि, 19 नवंबर को मज्सिद के हरिहर मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका संभल कोर्ट में दायर हुई है। उसी दिन सीनियर डिविजन के सिविल जज ने मामले को सुना और मस्जिद समिति का पक्ष सुने बिना सर्वे के एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर दिया। एडवोकेट कमिश्नर 19 की शाम ही सर्वे के लिए पहुंच भी गए। 24 को फिर सर्वे हुआ। जिस तेजी से सारी प्रक्रिया हुई, उससे लोगों में शक फैल गया और वे अपने घर से बाहर निकल गए। भीड़ के उग्र हो जाने का बाद पुलिस गोलीबारी हुई और छह लोगों की मौत हो गई।

सर्वे के दौरान पथराव, फैली हिंसा

संभल में स्थानीय कोर्ट के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद का सर्वे कराया गया था. सर्वे के दौरान स्थानीय लोगों ने इसका पूरा विरोध किया था और पत्थरबाजी की थी. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई बार हुई झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी और 25 लोग जख्मी हो गए थे. इस सर्वे की रिपोर्ट 29 नवंबर को अदालत में पेश किए जाने की उम्मीद जताया है.

बिना दूसरा पक्ष सुने नहीं दिया जाना चाहिए था आदेश: मस्जिद समिति

याचिका में आगे कहा गया, शाही मस्जिद 16वीं सदी से वहां है। इतनी पुरानी धार्मिक इमारत के सर्वे का आदेश पूजास्थल अधिनियम और प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल कानून के बिलकुल खिलाफ है। अगर यह सर्वे जरूरी भी था तो यह एक ही दिन में बिना दूसरे पक्ष को सुने नहीं दिया जाना चाहिए था।

इसमें आगे सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाए। सर्वे रिपोर्ट को फिलहाल सीलबंद लिफाफे में रखा जाए। याचिका में मांग की गई है कि शीर्ष कोर्ट यह भी आदेश दे कि इस तरह के धार्मिक विवादों में बिना दूसरे पक्ष को सुने सर्वे का आदेश न दिया जाए। सीजेआई खन्ना और जस्टिस संजीव कुमार की पीठ कल इस मामले पर सुनवाई करेगी।

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