ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस ओवरसीज प्रमुख सैम पित्रोदा के खिलाफ दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट (चार्जशीट) दर्ज की है. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दोषारोपण पत्र में सुमन दुबे और अन्य लोगों का नाम भी शामिल किया है. वही इस चार्जशीट पर संज्ञान लेने की सुनवाई 25 अप्रैल को तय की गई है. वही इस मामले में ED पहले ही 64 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर चुकी है.
ईडी ने राहुल-सोनिया और अन्य के खिलाफ दायर की चार्जशीट
वही,ईडी (ED) द्वारा राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अन्य के खिलाफ PMLA की धारा 44 और 45 के तहत शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आरोपी व्यक्तियों ने धारा 3 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निर्देश दिया है कि शिकायत और संबंधित कागजों की साफ-सुथरी कॉपी और ओसीआर (रीडेबल) कॉपी अगली सुनवाई से पहले अदालत में दाखिल करें. फिलहाल ये मामला दिल्ली स्थित राऊज एवेन्यू कोर्ट के ACJM-03 अदालत में ट्रायल के तहत है. वही मामले की सुनवाई इस अदालत में इसलिए की जा रही है क्योंकि जब कोई मामला मनी लॉन्ड्रिंग और अपराध से जुड़ा होता है तो दोनों ही मामलों की सुनवाई एक ही अदालत में होनी चाहिए. चूंकि प्रस्तावित आरोपी राज्यसभा और लोकसभा के वर्तमान सांसद हैं, इसलिए यह मामला इस अदालत में सौंपा गया है.
अब इस मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को तय की गई है. वही इस दिन सरकारी वकील और जांच अधिकारी को केस डायरी के साथ अदालत में उपस्थित होना होगा.
चार्जशीट पर किसने क्या कहा?
राऊज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल चार्जशीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुछ अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की बदले की भावना और डराने की राजनीति का उदाहरण है, जो अब पूरी तरह बेकाबू हो चुकी है.
क्या है नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस?
नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस इंडियन लिमिटेड, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और नेशनल हेराल्ड अखबार के बीच लेनदेन से जुड़ा हुआ है. वही यह आरोप है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के फंड्स का दुरुपयोग किया और AJL की संपत्ति को अपनी निजी नियंत्रण वाली कंपनी ‘यंग इंडियन’ में ट्रांसफर करवा दिया है.
ईडी का आरोप है कि पार्टी फंड्स का गैरकानूनी ढंग से निजी लाभ के लिए उपयोग किया गया है. जांच में पाया गया है कि यंग इंडियन में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76 फीसदी हिस्सेदारी है.
ईडी ने मामले की जांच की शुरुआत 2021 से हुई थी, लेकिन इसकी नींव 2014 में भाजपा के दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दर्ज कराई गई एक आपराधिक शिकायत से पड़ी थी. आरोप लगाए कि AJL की लगभग 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को महज 50 लाख रुपये की रकम में यंग इंडियन लिमिटेड के जरिए नियंत्रण में लिया गया था.
पहले जानें- क्या है ये नेशनल हेराल्ड से जुड़ा मामला?
देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी एजेएल का गठन किया था। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था। तब एजेएल के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित हुए।
भले ही एजेएल के गठन में पं. जवाहर लाल नेहरू की भूमिका थी, लेकिन इसपर मालिकाना हक कभी भी उनका नहीं रहा। क्योंकि, इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे। 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। साल 2008 तक एजेएल पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया। तब एजेएल ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद एजेएल प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी।

आप को बता दें कि शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू के पिता के नाम पर एजेएल में शेयर थे। फिर मामला दर्ज हुआ 2012 में बीजेपी के नेता और देश के नामी वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा के खिलाफ मामला दर्ज कराया। तब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी। सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि यंग इंडिया लिमिटेड ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए गलत तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को अधिग्रहित किया।
स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि वाईआईएल ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो एजेएल पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था। यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड को दिया गया कर्ज अवैध था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था।
ईडी की जांच, कोर्ट से सोनिया-राहुल को जमानत
2014 में जब केंद्र में भाजपा की सरकार आई तो इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने शुरू की। मामले में सोनिया और राहुल गांधी पर कार्रवाई की तलवार लटकने लगी थी। ऐसे में दोनों कोर्ट पहुंच गए। 19 दिसंबर, 2015 को निचली अदालत ने इस मामले में दोनों को जमानत दे दी थी। 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार करते हुए मामले के सभी पांच आरोपियों (सोनिया, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस और सुमन दुबे) को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी थी।
ईडी की कार्रवाई भी तय
2018 में, केंद्र सरकार ने 56 साल पुराने स्थायी पट्टे को समाप्त करने का फैसला लिया गया था। इसके अलावा हेराल्ड हाउस परिसर से एजेएल को इस आधार पर बेदखल करने का फैसला किया है कि एजेएल कोई प्रिटिंग या पब्लिकेशन गतिविधि नहीं कर रहा था। जबकि इसी काम के लिए बिल्डिंग को 1962 में आवंटित किया गया था। हालांकि, पांच अप्रैल 2019 को, सुप्रीम कोर्ट ने अगली सूचना तक सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों का निष्कासन) अधिनियम, 1971 के तहत एजेएल के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दे दिया। इस मामले में ईडी ने सोनिया और राहुल को पूछताछ के लिए भी बुलाया था।