AVN News Desk New Delhi: लोकसभा चुनाव की तारीखें सामने आ चुकी हैं और देश में इस वक्त चुनावी माहौल बना हुआ है. वही इस चुनावी माहौल के बीच सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले की सुनवाई की है. कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों से संबंधित मामले को सुना है, जिसमें वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में चुनाव आयोग और केंद्र से जवाब मांगा है. गौरतलब यह है कि वर्तमान परिस्थितियों में वीवीपैट पर्चियों के माध्यम से किसी भी पांच चयनित ईवीएम का सत्यापन किया जाता है. दरअसल यह है कि वीवीपैट एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो कि मतदाता को यह देखने की अनुमति देता है कि उसका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने वकील और कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस को जारी किया है. वही याचिकाकर्ता ने वीवीपैट पेपर पर्चियों के माध्यम से केवल 5 ही रैंडम रूप से चयनित ईवीएम के सत्यापन के मौजूदा चलन के विपरीत चुनावों में वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग की है. वही सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में चुनाव आयोग के दिशानिर्देश को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि वीवीपैट सत्यापन क्रमिक रूप से किया जाएगा, यानी एक के बाद एक, और कहा गया है कि इससे अक्सर अनुचीत देरी होती ही है.
वही दायर याचिका में यह कहा गया है कि ‘चुनाव न केवल निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए क्योंकि सूचना के अधिकार को भारत के संविधान के आर्टिकल 19(1) (ए) और 21 के संदर्भ में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा भी माना गया है.वही मतदाता को आर्टिकल 19 और 21 के तहत और वही सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत चुनाव आयोग (2013) में इस माननीय न्यायालय के निर्देशों के उद्देश्य और उद्देश्य के अनुसार अपने द्वारा डाले गए वोट और वीवीपीएटी के पेपर वोट द्वारा गिने गए वोट को सत्यापित करने का भी अधिकार है.
इस याचिका में चुनाव आयोग को सभी वीवीपैट पेपर पर्चियों की गिनती करके वीवीपैट के जरिए मतदाता द्वारा ‘डाले गए वोटों के रूप में दर्ज’ किए गए वोटों के साथ अनिवार्य रूप से क्रॉस-चेक करने के लिए ईसीआई को निर्देश देने की भी मांग की गई है. वही इस याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि मतदाता को वीवीपैट से निकली वीवीपैट पर्ची को मतपेटी में डालने की अनुमति दी जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मतदाता का मत ‘रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है.
अब जानिए, याचिका में क्या क्या कहा गया है
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई इस याचिका में कहा गया है कि यदि वीवीपैट पार्चियों का एक साथ सत्यापन किया जाता है तो प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में गिनती के लिए अधिक अधिकारी तैनात करने होंगे और पूरा सत्यापन पांच से छह घंटे में किया जा सकता है। याचिका में बताया कि सरकार ने 24 लाख वीवीपैट खरीदे हैं, जिसमें लगभग पांच हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, बावजूद इसके करीब 20 हजार वीवीपैट की पर्चियां ही सत्यापित हो सकती हैं। बता दें, आठ अप्रैल 2019 को शीर्ष अदालत ने प्रत्येक लोकसभा में वीवीपैट पर्चियों के माध्यम से गुजरने वाली ईवीएम की संख्या को एक से बढ़ाकर पांच करने का आदेश दिया था।
लोकसभा का कार्यक्रम
पहला फेस : 19 अप्रैल को 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीट पर मतदान होगा।
दूसरे फेस: 26 अप्रैल को 13 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की 89 सीट पर मतदान होगा।
तीसरा फेस: सात मई को 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 94 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान होगा।
चौथा फेस: 13 मई को 10 राज्यों के 96 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान होगा।
पांचवां फेस: 20 मई को आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 49 सीट पर मतदान होगा।
छठा फेस: 25 मई को सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 57 सीट पर मतदान होगा।
सातवां फेस: एक जून को आठ राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की 57 सीट पर मतदान होगा।